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Jyotiraditya Scindia: ग्वालियर के राजघराने से ताल्लुक रखते हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया, जानें कैसे ली राजनीति में एंट्री

ज्योतिरादित्य सिंधिया पढ़े-लिखे युवा नेता की छवि में पूरी तरह फिट बैठते हैं। हार्वर्ड कॉलेज, हार्वर्ड विश्वविद्यालय के स्नातक उदार कला महाविद्यालय में स्थानांतरित कर दिया, जहां उन्होंने 1993 में अर्थशास्त्र में बीए की डिग्री के साथ स्नातक किया।

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Newstrack NetworkPublished By Monika
Published on: 8 July 2021 12:48 PM IST
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ज्योतिरादित्य सिंधिया (फोटो : सोशल मीडिया )

Jyotiraditya Scindia: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की कैबिनेट विस्तार में बुधवार को 43 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई। इस लिस्ट में ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) का नाम भी शामिल रहा । उन्होंने बुधवार शाम राष्ट्रपति भवन (rashtrapati bhavan) में नागरिक उड्डयन मंत्री पद के लिए शपथ ली । ख़ास बात ये रही कि 30 साल पहले उनके पिता ने भी नागरिक उड्डयन मंत्रालय संभाला था ।

ज्योतिरादित्य सिंधिया का जन्म 1 जनवरी 1971 को बॉम्बे में माधवराव सिंधिया और माधवी राजे सिंधिया के घर हुआ। कहा जाता है कि राजनीति में पढ़े- लिखे लोगों की कमी है । लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया पढ़े-लिखे युवा नेता की छवि में पूरी तरह फिट बैठते हैं। उनकी शिक्षा कैंपियन स्कूल, मुंबई और द दून स्कूल, देहरादून में हुई। उन्होंने सेंट स्टीफंस कॉलेज , दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है । बाद में उन्होंने हार्वर्ड कॉलेज, हार्वर्ड विश्वविद्यालय के स्नातक उदार कला महाविद्यालय में स्थानांतरित कर दिया, जहां उन्होंने 1993 में अर्थशास्त्र में बीए की डिग्री के साथ स्नातक किया। वो यही नहीं रुके साल 2001 में, उन्होंने स्टैनफोर्ड ग्रेजुएट स्कूल ऑफ बिजनेस से मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन प्राप्त की ।

ज्योतिरादित्य सिंधिया ( फोटो: सौ .से सोशल मीडिया )

ग्वालियर के राजघराने से ताल्लुक

आपको बता दें, ज्योतिरादित्य सिंधिया ना केवल मंत्री हैं बल्कि एक ग्वालियर रियासत के अंतिम महाराजा जीवाजीराव सिंधिया के पोते हैं। पिता माधवराव सिंधिया 26वें संशोधन के रूप में ग्वालियर के महाराजा बने थे। दूसरी तरफ उनकी माता जी माधवी राजे सिंधिया (किरण राज्य लक्ष्मी देवी), नेपाल के प्रधान मंत्री, कास्की और लामजंग के महाराजा, गोरखा के रामकृष्ण कुंवर के पितृवंशीय वंशज, जुडा शमशेर जंग बहादुर राणा की परपोती थीं। उनकी दादी विजयराजे सिंधिया, भाजपा के संस्थापक सदस्यों में से थीं ।

पिता माधवराव सिंधिया- ज्योतिरादित्य सिंधिया (फोटो : सोशल मीडिया )

पिता के नक्शे कदम पर बेटा

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने पिता के निधन के बाद अपनी राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी । 18 सितम्बर 2001 को माधवराव की हवाई हादसे में मृत्यु हो गई थी। उस दौरान वह गुना से लोकसभा सांसद पद संभाल रहे थे । बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया नें भी पहली बार लोकसभा सीट से ही चुनाव लड़ा । साल 2002 में भारी संख्या में वोट हासिल कर संसद में कदम रखा। मई 2004 में एक बार फिर निर्वाचित किया गया । 2007 में केंद्रीय मंत्रिपरिषद में उन्हें संचार और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री का पद संभालने को दिया गया। 2009 में तीसरी बार उन्हें चुना गया इस बार वो वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री बने । 2014 में सिंधिया गुना से चुने गए थे लेकिन साल 2019 में कृष्ण पाल सिंह यादव नें उस सीट पर कब्ज़ा कर लिया।

ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ PM मोदी (फोटो : सोशल मीडिया )

कांग्रेस छोड़ पकड़ा भाजपा का दामन

पिछले साल 10 मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया नें कांग्रेस पार्टी छोड़ भाजपा का दामन थामा था । जिसके चलते वो काफी समय तक सुर्ख़ियों में बने रहे थे । जिसके बाद 19 जून 2020 को ज्योतिरादित्य मध्य प्रदेश से भाजपा के राज्यसभा सांसद चुने गए थे।जिसके बाद बुधवार को उन्हें मोदी मंत्रालय में नागरिक उड्डयन मंत्री बनाया गया ।



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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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