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कर्नाटक में कांग्रेस गठबंधन सरकार को संकट से उबारने में जुटी
लोकसभा चुनावों में मिली करारी शिकस्त के चलते कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन के संकट का सामना करने के बीच बुधवार को कांग्रेस ने इससे उबरने की कोशिश के तहत विधायक दल की बैठक की। साथ ही, राज्य कैबिनेट में विस्तार पर चर्चा करने के लिए वरिष्ठ नेता एवं मंत्री बृहस्पतिवार को एक बैठक करेंगे।
गठबंधन को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए यहां भेजे गए कांग्रेस महासचिव के. सी. वेणुगोपाल ने मुख्यमंत्री कुमारस्वामी, पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और मंत्रियों से मुलाकात की। साथ ही, वह भाजपा की जोड़ तोड़ की कोशिशों से गठबंधन को बचाने के लिए विधायक दल की एक बैठक में भी शामिल हुए।
कांग्रेस विधायक दल के नेता और कांग्रेस-जद(एस) समन्वय समिति प्रमुख सिद्धरमैया ने कहा कि कांग्रेस छोड़ कर कोई नहीं जाएगा और कहीं कोई असंतोष नहीं है।
उन्होंने कांग्रेस विधायक दल की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम सभी साथ हैं। यह मजबूत सरकार है और बनी रहेगी। यदि भाजपा सरकार को अस्थिर करने की कोशिश करती है तो वे लोग (भाजपा के नेता) सबसे बड़े बेवकूफ होंगे। ’’बैठक में कांग्रेस के 72 विधायक शामिल हुए जबकि दो बागी विधायक रमेश जरकीहोली और आर रोशन बेग इसमें शामिल नहीं हुए।
वहीं, दो अन्य विधायकों - रामलिंगा रेड्डी और बयराती बासवराज- ने बैठक में शरीक नहीं होने की इजाजत ली थी।
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रमेश का भाजपा नेताओं से मिलना जुलना बढ़ने से यह संकेत मिल रहा था कि वह पार्टी छोड़ सकते हैं जबकि बेग पार्टी नेतृत्व का उपहास कर रहे थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना कर रहे थे ।
कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस प्रमुख दिनेश गुंडु राव ने कहा कि कैबिनेट विस्तार के लिए बैठक पर चर्चा करने के लिए वरिष्ठ नेता एवं मंत्री बृहस्पतिवार को मिलेंगे। असंतोष को दूर करने के लिए यह समाधान तलाशा गया है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस और जद(एस) के विधायक दलों की संयुक्त बैठक जल्द होगी।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक प्रदेश कांग्रेस इकाई ने विधायक काम्पली गणेश का निलंबन निरस्त कर दिया है। दरअसल, जनवरी में एक रिजार्ट में पार्टी के एक सहकर्मी से हुए कथित विवाद के बाद वह कार्रवाई का सामना कर रहे थे।
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कर्नाटक की कुल 28 लोकसभा सीटों में से 25 पर भाजपा की जीत के बाद कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन की चिंताएं बढ़ गई हैं। राज्य में कांग्रेस और जद (एस) को मात्र एक-एक सीट पर जीत मिली।
गठबंधन में दरार की खबरों के बीच लोकसभा चुनावों में शानदार जीत से उत्साहित भाजपा कथित तौर पर राज्य की सत्ता पर काबिज होने की कोशिश कर रही है।
पिछले साल 224 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा के लिए हुए चुनावों में 104 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी भाजपा कर्नाटक में सरकार बनाने के प्रयास में है। भाजपा ने बाद में एक सीट पर हुए उप-चुनाव में जीत हासिल कर विधानसभा में अपनी संख्या 105 कर ली।
कांग्रेस ने भी कुंडगोल विधानसभा उप-चुनाव जीता था।
सत्ताधारी गठबंधन में कुल 117 विधायक हैं, इनमें 78 कांग्रेस और 37 जद (एस) के हैं। इसे बसपा के एक और एक निर्दलीय विधायक का भी समर्थन है।
कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि कुमारस्वामी, कांग्रेस विधायक दल के नेता एवं समन्वय समिति के प्रमुख सिद्दरमैया, उप-मुख्यमंत्री जी परमेश्वर और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव के साथ की गई बैठक में वेणुगोपाल ने कैबिनेट विस्तार या फेरबदल के मुद्दे पर चर्चा की।
सूत्रों ने बताया कि मंगलवार रात को यहां पहुंचे वेणुगोपाल ने गठबंधन सरकार के कई कांग्रेस मंत्रियों से भी मुलाकात की।
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सूत्रों के मुताबिक, बैठक में नेताओं के बीच इस पर कोई आम राय नहीं बन पाई कि तीन खाली पदों को भर कर कैबिनेट विस्तार किया जाए या कुछ मंत्रियों को इस्तीफा दिलवा कर एवं कुछ असंतुष्ट विधायकों को मंत्री बनाकर कैबिनेट में फेरबदल किया जाए।
सूत्रों ने बताया कि कई वरिष्ठ मंत्री अपना पद छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। इसकी वजह से कैबिनेट फेरबदल में काफी मुश्किल आएगी।
विधायकों और कांग्रेस आलाकमान के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद शीर्ष नेता इस बाबत कोई फैसला कर सकते हैं।
कर्नाटक में मंत्री के कुल 34 पदों में से कांग्रेस के पास 22 और जद (एस) के पास 12 हैं। अभी तीन पद खाली हैं। इनमें दो जद (एस) कोटे का और एक कांग्रेस कोटे का मंत्री पद है।
(भाषा)
बेंगलुरु: लोकसभा चुनावों में मिली करारी शिकस्त के चलते कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन के संकट का सामना करने के बीच बुधवार को कांग्रेस ने इससे उबरने की कोशिश के तहत विधायक दल की बैठक की। साथ ही, राज्य कैबिनेट में विस्तार पर चर्चा करने के लिए वरिष्ठ नेता एवं मंत्री बृहस्पतिवार को एक बैठक करेंगे।