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लोकसभा चुनाव: पूर्व मंत्री नकुल दुबे सीतापुर से होंगे बसपा के उम्मीदवार!

मायावती ने प्रभारियों को नियुक्त किये जाने की जानकारी आज बीएसपी मुख्यालय में जिला कोर्डिनेटर की बैठक में दी। बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा की जनविरोधी व अहंकारी सरकार को केन्द्र की सत्ता से हटाना बहुत जरूरी है।

Aditya Mishra
Published on: 3 March 2019 2:05 PM GMT
लोकसभा चुनाव: पूर्व मंत्री नकुल दुबे सीतापुर से होंगे बसपा के उम्मीदवार!
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लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने योगेश वर्मा को बुलंदशहर, अजीत बालियान को अलीगढ, सतवीर गुर्जर को गौतमबुद्धनगर, मलूक नागर को अमरोहा, आर एस कुशवाहा को सलेमपुर, नकुल दुबे को सीतापुर, सीएल वर्मा को मोहनलालगंज, नीलू सत्यार्थी को मिश्रिख, अरशद सिद्द्की को धौरहरा, निशा सचान को अकबरपुर और मनोज अग्रवाल को फर्रुखाबाद का लोकसभा प्रभारी बनाया है।

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मायावती ने प्रभारियों को नियुक्त किये जाने की जानकारी आज बीएसपी मुख्यालय में जिला कोर्डिनेटर की बैठक में दी। बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा की जनविरोधी व अहंकारी सरकार को केन्द्र की सत्ता से हटाना बहुत जरूरी है। इसलिए पार्टी कार्यकर्ता छोटे-मोटे सभी आपसी गिले-शिकवे व मतभेद को भुलाकर हर हाल में जबर्दस्त तौर पर इस गठबंधन को कामयाब बनाने के लिये पूरी लगन से काम करें।

उन्होंने आगे कहा कि देश को अपनी रक्षा, सुरक्षा व सम्मान के मामले में पूरी मुस्तैदी के साथ ठोस तैयारी करने की बडी जरुरत है ताकि कोई भी देश ना तो भारत की अनदेखी कर सके और ना ही कभी आँख दिखाने की हिम्मत ही कर सके।

पुलवामा आतंकी हमले पर कहा कि सत्ताधारी बीजेपी के लिये राजनीति करने का समय नहीं था परन्तु बीजेपी उस समय में भी अपनी संकीर्ण राजनीति करने से बाज़ नहीं आई और लोगों को यह महसूस भी हुआ कि देश की सुरक्षा व सम्मान मजबूत व सुरक्षित हाथों में नहीं हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता बीजेपी की सरकार से राजस्थान, मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ आदि की तरह ही मुक्ति चाहती है। मात्र बीएसपी-सपा गठबन्धन ही खासकर उत्तर प्रदेश में बीजेपी को जबर्दस्त तौर पर पछाड़ने में सक्षम है और यूपी के लोग ही घोर वादाख़िलाफी करने वाली व जुमलेबाज जनविरोधी बीजेपी की कमर तोड़ेंगे।

केन्द्र व राज्य सरकारों को घोर दलित व ओबीसी आरक्षण विरोधी बताते हुये मायावती ने कहा कि इनके शासनकाल में इन वर्गों के आरक्षण की संवैधानिक व्यवस्था को निष्क्रिय व निष्प्रभावी बनाने का हर स्तर पर षडयंत्र करते रहने के साथ-साथ इनके आरक्षण के कोटा को भी जानबूझकर नहीं भरा गया है जिस कारण इन वर्गों के लोग सरकारी नौकरियों से वंचित होते जा रहे है।

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इतना ही नहीं बल्कि विश्वविद्यालयों में आरक्षण की व्यवस्था भी बदलकर एक प्रकार से निष्प्रभावी हो गई है। यह आरक्षण व्यवस्था विश्वविद्यालय के आधार पर होती थी जिसे अब समाप्त करके विभागवार बना दिया गया है। सरकार ने इसकी सही पैरवी नहीं की है। इसलिये अब इस व्यवस्था की बहाली के लिये केन्द्र सरकार को सही कदम उठाने की जरूरत है।

अब इसकी भीख मांगने के बजाय लोगों को अपना हक लेने के लिये कमर कसना होगा और उसके लिये आने वाला लोकसभा के आमचुनाव का समय बहुत ही उपयुक्त है। अपना हक बढ़कर लेने की प्रवृति का विकास करना अब बहुत जरूरी है।

मायावती ने बैठक में बूथ स्तर तक में संगठन की गतिविधियों, चुनावी तैयारियों व सर्वसमाज में पार्टी के जनाधार को मजबूत बनाने के सम्बन्ध में अनवरत प्रयासों के साथ-साथ बीएसपी व समाजवादी पार्टी गठबंधन के सम्बंध में ज़मीनी तालमेल व तैयारियों की गहन समीक्षा की।

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Aditya Mishra

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