योगेश मिश्र
योगेश मिश्र
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में महागठबंधन की शक्ल पूरी तरह से तैयार हो गई है। सपा, बसपा, कांग्रेस और रालोद ही नहीं, कई छोटे दल भी इस गठबंधन के हिस्सेदार होंगे। भाजपा हराओ फार्मूले को फुलप्रूफ बनाने के लिए सारी तैयारियां कर ली गई हैं। सब कुछ ठीकठाक रहा तो राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के चुनाव के दौरान गठबंधन का औपचारिक ऐलान किया जा सकता है। सीटों के बंटवारे में पिछले चुनाव में कौन, किस सीट पर दूसरे स्थान पर था, इस फार्मूले से किनारा कस लिया गया है क्योंकि यह फार्मूला गठबंधन की राह में कई अड़चने खड़ा कर रहा था। मसलन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सपा की जगह बसपा का प्रभाव अधिक है जबकि एटा, इटावा, मैनपुरी, फर्रुखाबाद, फिरोजाबाद, आगरा का इलाका समाजवाद का किला माना जाता है। नतीजतन, अब हर पार्टी अपने इलाके और अपने प्रभाव वाली सीटें छांटकर गठबंधन के साथियों के बीच अपना पक्ष रखेगी।
UP में विपक्षी गठबंधन का खाका तैयार, SP, BSP, कांग्रेस RLD सहित छोटे दल हिस्सेदार
तय फार्मूले में बसपा को ज्यादा सीटें
अब तक तय फार्मूले के मुताबिक अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी 28 या 29 सीटों पर लड़ेगी। बसपा को 36 या 38 सीटें मिल सकती हैं। निषाद पार्टी, पीस पार्टी और अपना दल का सोने लाल पटेल की पत्नी वाला धड़ा भी गठबंधन का हिस्सा होगा। इन सबको एक-एक सीट दी जाएगी। राष्ट्रीय लोकदल दो-तीन सीटों पर संतोष करने को तैयार है मगर उसे बागपत और मथुरा सीट जरूर चाहिए। कांग्रेस को अमेठी, रायबरेली के बाद धौरहरा, कुशीनगर और सहारनपुर सीटें अनिवार्य तौर पर चाहिए। हालांकि पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने दो सीट ही जीती थीं और छह सीटों पर दूसरे स्थान पर थी। सपा को रामपुर, संभल, बदायं, एटा, इटावा, मैनपुरी, फिरोजाबाद, आजमगढ़, जौनपुर, मुरादाबाद, कन्नौज सरीखी सीटें मिलने की उम्मीद है। हालांकि सूत्रों की मानें तो अलीगढ़ सीट पार्टी महासचिव रामगोपाल यादव गुड्डू पंडित के लिए चाहते हैं।
हाथरस से सपा रामजी लाल सुमन के बेटे को उतारना चाहती है। निषाद पार्टी से उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष, अपना दल से सोने लाल पटेल की पत्नी और पीस पार्टी से डॉ.अयूब का बेटा मैदान में होगा। सूत्रों की मानें तो अभी तक उम्मीदवारों के नाम तय करने में बसपा ने भले ही मैदान मार लिया हो, लेकिन उसके कई उम्मीदवार बाहरी होने के चलते क्षेत्र में अपनी दखल नहीं दिखा पा रहे हैं।
UP में विपक्षी गठबंधन का खाका तैयार, SP- BSP, कांग्रेस- RLD सहित छोटे दल हिस्सेदार
गठबंधन का इतिहास
यदि हम पिछले चुनावों को विश्लेषण करें तो वर्ष 1993 के विधानसभा चुनाव में सपा और बसपा मिलकर चुनाव मैदान में उतरे थे। उस चुनाव में बसपा को 63 सीटों सहित 28.53 फीसदी वोट मिले थे। सपा को 109 सीटों के साथ 29.48 फीसदी वोट हाथ लगे थे। भाजपा ने 177 सीटों पर विजय हासिल हुई थी और 33.30 फीसदी वोट मिले थे। उस समय उत्तर प्रदेश और आज का उत्तराखंड एक साथ था। 1996 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बसपा मिलकर लड़े थे। उस समय कांग्रेस को 33 सीटें और 29.13 फीसदी वोट मिले थे जबकि बसपा को 67 सीटें और 27.73 फीसदी वोट हासिल हुए थे। सपा को 110 सीटें और 32.10 फीसदी वोट मिले थे। उस चुनाव में भाजपा को 174 सीटें और 33 फीसदी वोट हासिल हुए थे।
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गठबंधन होने पर बदल सकती है तस्वीर
पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सपा, बसपा और कांग्रेस को बुरी तरह धूल चटाई थी। उस चुनाव में काबिलेगौर बात यह थी कि उस चुनाव में सपा, बसपा व कांग्रेस अलग-अलग मैदान में उतरे थे और भाजपा को इसका भी फायदा मिला था। 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा, बसपा और कांग्रेस को जो भी वोट मिले वह सियासी समीकरणों के मुताबिक उनका न्यूनतम आंकड़ा कहा जा सकता है। सपा और बसपा ने मिलकर लोकसभा चुनाव में 42 फीसदी वोट हासिल किया था। जबकि 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में इन दोनों दलों को44 फीसदी वोट हासिल हुए थे। कांग्रेस को क्रमश:7 और 6 फीसदी वोट हाथ लगे थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 42.63 और 2017 के विधानसभा चुनाव में 39.16 फीसदी वोट हाथ लगे थे। 2014 लोकसभा चुनाव में यूपी में भाजपा गठबंधन ने 73, कांग्रेस ने 2 एवं सपा ने 5 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी, लेकिन अगर सपा, बसपा, कांग्रेस व रालोद का गठबंधन होता हैं तो 2019 में स्थिति बदलने की सम्भावना है। भाजपा को कई लोकसभा सीटों पर हार का सामना करना पड़ सकता है।