TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

जानिए क्यों कमलनाथ के मंत्री इस मंदिर में कर रहे पूजा, इंदिरा भी टेक चुकी हैं माथा

कमलनाथ सरकार के जनसंपर्क मंत्री पी सी शर्मा अचानक 'सत्ता की देवी' कही जाने वाली बगलामुखी माता के मंदिर पहुंचे। माना जा रहा है कि शर्मा सूबे में सरकार बचाने के लिए बगलामुखी मंदिर पहुंचे थे।

Aditya Mishra
Published on: 15 March 2020 5:38 PM IST
जानिए क्यों कमलनाथ के मंत्री इस मंदिर में कर रहे पूजा, इंदिरा भी टेक चुकी हैं माथा
X

भोपाल: मध्य प्रदेश में जहां कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी जॉइन करने के बाद कमलनाथ सरकार पर संकट मंडरा रहा है, वहीं कांग्रेस के नेता सरकार बचाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।

कमलनाथ सरकार के जनसंपर्क मंत्री पी सी शर्मा अचानक 'सत्ता की देवी' कही जाने वाली बगलामुखी माता के मंदिर पहुंचे। माना जा रहा है कि शर्मा सूबे में सरकार बचाने के लिए बगलामुखी मंदिर पहुंचे थे।

आगर-मालवा जिले के नलखेड़ा में स्थित बगलामुखी मंदिर में पहुंचकर शर्मा ने दर्शन-पूजन किया और माता का आशीर्वाद लिया। इस दौरान उन्होंने एक विशेष हवन भी किया।

ये भी पढ़ें...कांग्रेस पर सिंधिया का बड़ा हमला: मध्य प्रदेश सरकार ने पूरे नहीं किए वादे

इस मंदिर को सत्ता की चाभी से जोड़ देखा जाता है

आपको बता दें कि इस महीने की शुरुआत में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव भी बगलामुखी मंदिर गए थे और 'शत्रुविजय यज्ञ' किया था। इस मंदिर की विशेषता यह है कि इसे सीधे सत्ता से जोड़कर देखा जाता है। यह भी माना जाता है कि सूबे में सत्ता की कुर्सी उसी को मिलती है, जिसे माता बगलामुखी चाहती हैं।

जब हार के बाद इस मंदिर में पहुंची इंदिरा गांधी

अपने कार्यकाल में 15 मार्च 2015 को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी माँ बगलामुखी मंदिर में दर्शनों उपरांत हवन अनुष्ठान करवाया, जिसके बाद से ये मंदिर पूरे भारत में सुर्खियों में आया। सन 1977 में चुनावों में हार के बाद पूर्व प्रधानमन्त्री इंदिरा गाँधी ने भी प्रदेश के इस प्राचीन मन्दिर में अनुष्ठान करवाया।

उसके बाद वह फिर दोबारा सत्ता में आई और 1980 में देश की प्रधानमंत्री बनी.ये भी पहुंचे थे। इससे पहले भी इस मन्दिर में कई नामी हस्तियाँ हाजिरी भर चुकी हैं। इनमें अमर सिंह, जया प्रदा, मनमिंदर सिंह बिट्टा, जगदीश टाइटलर, राज बब्बर की पत्नी नादिरा बब्बर के नाम सुर्ख़ियों में रहे।

गोविंदा और गुरदास मान जैसी जाने-माने चेहरे यहां आ चुके हैं। कांगड़ा के देहरा से मात्र 8 किलोमीटर कि दूरी पर स्थित मां बगलामुखी मंदिर हजारों साल पुराना है।

देर भर में तीन ही मंदिर, रावण की ईष्टदेवी हैं मां बगलामुखी

भारत में मां बगलामुखी के तीन ही प्रमुख ऐतिहासिक मंदिर हैं, जो क्रमशः दतिया (मध्यप्रदेश), कांगड़ा (हिमाचल) तथा नलखेड़ा (मध्यप्रदेश) में हैं। तीन मुखों वाली त्रिशक्ति माता बगलामुखी का एक मंदिर आगरमालवा जिला में नलखेड़ा में लखुंदर नदी के किनारे है, मां बगलामुखी रावण की ईष्टदेवी हैं।

सीएम कमलनाथ का बयान-नहीं गिरेगी मध्य प्रदेश में सरकार, जानिए क्या है फॉर्मूला

ऐसे पड़ा बगुलामुखी नाम

मां बगलामुखी को नौ देवियों में 8वां स्थान प्राप्त है। मां की उत्पत्ति ब्रह्मा द्वारा आराधना करने की बाद हुई थी। ऐसी मान्यता है कि एक राक्षस ने ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त किया कि उसे जल में कोई मनुष्य या देवता न मार सके।

इसके बाद वह ब्रह्मा जी की पुस्तिका ले कर भाग रहा था। तभी ब्रह्मा ने मां भगवती का जाप किया। मां बगलामुखी ने राक्षस का पीछा किया तो राक्षस पानी मे छिप गया। इसके बाद माता ने बगुले का रूप धारण किया और जल के अंदर ही राक्षस का वध कर दिया।

सब कुछ पीला

त्रेतायुग में मा बगला मुखी को रावण की ईष्ट देवी के रूप में भी पूजा जाता है, त्रेतायुग में रावण ने विश्व पर विजय प्राप्त करने के लिए मां की पूजा की।

इसके अलावा भगवान राम ने भी रावण पर विजय प्राप्ति के लिए मां बगलामुखी की आराधना की। क्योंकि मां को शत्रुनाशिनी माना जाता है। पीला रंग मां प्रिय रंग है। मंदिर की हर चीज पीले रंग की है। यहां तक कि प्रसाद भी पीले रंग ही चढ़ाया जाता है।

हाल ही में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव 'सत्ता की देवी' कही जाने वाली बगलामुखी माता के मंदिर पहुंचे और पूजा-अर्चना की थी। आगर-मालवा जिले के नलखेड़ा में स्थित इस मंदिर की बगलामुखी माता को सत्ता की देवी कहा जाता है।

राज्यपाल ने दे दिए हैं आदेश

उधर, मध्य प्रदेश का सियासी तूफान लगातार जोर पकड़ रहा है। राज्यपाल लालजी टंडन ने फ्लोर टेस्ट के आदेश दे दिए हैं। विधानसभा का बजट सत्र शुरू होने से पहले फ्लोर टेस्ट कराया जाएगा, जिसके लिए बीजेपी और कांग्रेस अपनी ताकत झोंकने के लिए तैयार हैं।

कांग्रेस ने अपने विधायकों को जयपुर से वापस बुला लिया है और सीएम कमलनाथ कैबिनेट की बैठक कर रहे हैं। यही नहीं, दिल्ली में बीजेपी आलाकमान की बैठक भी जारी है, जिसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया भी हिस्सा ले रहे हैं।

16 पर नहीं लिया कोई फैसला

सिंधिया खेमे के इस्तीफा दे चुके कांग्रेस के 22 बागी विधायकों में से भी ज्यादातर बेंगलुरु में ठहरे हुए हैं। विधानसभा अध्यक्ष ने इन 22 विधायकों में से छह के त्यागपत्र शनिवार देर शाम को मंजूर कर लिए गए थे, जबकि 16 विधायकों के त्यागपत्र पर फिलहाल कोई निर्णय नहीं लिया है।

मध्य प्रदेश में 16 मार्च को होगा फ्लोर टेस्ट, राज्यपाल ने स्पीकर को दिया निर्देश



\
Aditya Mishra

Aditya Mishra

Next Story