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1991 के क्रांतिकारी बजट के बीच जब चुप रहने वाले मनमोहन सिंह ने सुनाई थी अपनी कहानी
मनमोहन सिंह (Dr. Manmohan Singh) का साल 1991 का यह बजट भाषण (1991 Budget speech) आजादी के बाद का अब तक का सबसे लंबा भाषण है। तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह का यह बजट भाषण करीब 18,177 शब्दों का था।
Manmohan Singh Budget: बजट हर साल पेश होता है। टीवी पर वर्षों से इसका सीधा प्रसारण भी किया जाता रहा है। लेकिन उसे सुनने के साथ समझते कितनों को सुना है? कल्पना कीजिए अगर कोई एक्सपर्ट पैनल न बैठे तो चंद लोग ही होंगे जो उस बजटीय भाषण को समझ पाएं। इसीलिए ज्यादातर लोगों के लिए बजट भाषण अमूमन उबाऊ होता है। इसमें कुछ लोगों की ही दिलचस्पी दिखती है, जो उद्योग, बिजनेस से जुड़े या करदाता होते हैं।
अधिकांश लोग भले ही बजटीय भाषण (Manmohan Singh Budget 1991 Budget speech) को समझें या न समझें। लेकिन उसे देखने की एक वजह होती है कि क्या सस्ता हुआ और क्या महंगा। जब बजट पेश हो रहा हो, तो शायद ही कोई मंत्री इस दौरान अपनी आपबीती सुनाता है। इस दौरान आंकड़ों और अंकों का इतना बड़ा मायाजाल होता है, जो आम आदमी के सिर के ऊपर से गुजर जाता है। बावजूद उस वक्त कोई ऐसा व्यक्ति जिससे कहानियां सुनने की बिल्कुल अपेक्षा न हो, अगर वही ऐसा कुछ कर दे तो चौंकना स्वाभाविक है।
कहानी 1991 के बजट भाषण की (manmohan singh budget speech 1991)
जी हां, हम बात कर रहे हैं 1991 के बजट भाषण (1991 Budget speech Manmohan Singh) की। जो उस वक्त दे रहे थे नरसिंह राव सरकार (Narasimha Rao government) में तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह (Dr. Manmohan Singh)। अपने बजट भाषण के दौरान उन्होंने अपनी जिंदगी का फसाना सुनाया था। इस बजट भाषण ने भारत की अर्थव्यवस्था की तस्वीर ही बदल दी थी। इसी के साथ उदारीकरण के रास्ते खुले थे। लाइसेंस और परमिट राज का दौर खत्म किया था। आयात में सहूलियत पैदा की तथा विदेशी निवेश के लिए देश के दरवाजे खोले थे। नतीजा, घाटे में चल रहे पीएसयू में विनिवेश शुरू हुआ था।
इस देश ने मुझे बहुत सम्मान दिया
अपने बजट भाषण को पेश करते हुए मनमोहन सिंह (Dr. Manmohan Singh) ने तब कुछ ऐसा बोला था, जिसकी अपेक्षा उनसे नहीं की जाती है। उन्होंने अपनी निजी जिंदगी के कई राज खोले थे। अपने बजटीय भाषण (1991 Budget speech Manmohan Singh) के अंत में उन्होंने पंडित जवाहरलाल नेहरू का हवाला देते हुए कहा था कि "वह इंदिरा गांधी को कहते थे, कि देश के मसलों को निपटाने में पूरे भाव के साथ काम करना चाहिए। लेकिन भावुक नहीं होना चाहिए।" मनमोहन सिंह आगे बोले, "इस तरह के मौके पर मेरे कुछ भावुक हो जाने के लिए मैं संसद से माफी मांगना चाहूंगा।" वह बोले, "मेरा जन्म गरीब परिवार में हुआ। मैं जिस गांव में रहता था, उसके अक्सर सूखे के चपेट में रहने की आशंका रहती थी। यह अब पाकिस्तान में है। यूनिवर्सिटी की स्कॉलरशिप और ग्रांट से मैं कॉलेज पहुंच पाया। ब्रिटेन भी पढ़ने गया। इस देश ने मुझे बहुत सम्मान दिया। कई प्रतिष्ठित पदों पर मुझे सेवाएं देने का मौका मिला। यह मुझ पर कर्ज है, जिसे मैं कभी चुका नहीं सकता हूं।"
निजी बातों से उस भाषण को बना दिया यादगार
हालांकि, डॉ. मनमोहन सिंह (Dr. Manmohan Singh) को पता था कि वह ऐसा बजट भाषण (1991 Budget speech Manmohan Singh) दे रहे थे, जो देश के इतिहास में महत्वपूर्ण अध्याय बनने जा रहा था। उनके इस भाषण को आगे कई दशकों तक पढ़ा जाना था। निजी बातें करके उन्होंने इसे और यादगार बनाया था। अपनी पृष्ठभूमि बताने के बाद मनमोहन सिंह बोले, " मैं कसम खाता हूं, कि मैं अपने देश की सेवा पूरी ईमानदारी और समर्पण के साथ करता रहूंगा। वित्त मंत्री को सख्त होना चाहिए। देश के हितों की रक्षा करने के लिए मैं ऐसा करूंगा भी। लेकिन मेरा वादा है कि देश की जनता के साथ मेरा रुख नरम ही रहेगा। मैं कभी नहीं भूल सकता कि सभी आर्थिक प्रक्रियाएं अंत में लोगों के हितों की सेवा के लिए ही होती हैं।"
अब तक का सबसे लंबा बजट भाषण था
क्या आपको पता है, मनमोहन सिंह (Dr. Manmohan Singh) का साल 1991 का यह बजट भाषण (1991 Budget speech Manmohan Singh) आजादी के बाद का अब तक का सबसे लंबा भाषण है। तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह का यह बजट भाषण करीब 18,177 शब्दों का था। इसे अब तक का सबसे लंबा बजट भाषण कहा जाता है।
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