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चुनावी साल में सभी वर्गों को मुलायम रहे साध, महिलाएं, ब्राह्मण, दलित आए याद
लखनऊः यूपी में विपक्ष की बढ़ती सियासी सरगर्मी के बीच सत्तारूढ़ सपा के सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव अगला विधानसभा चुनाव पार्टी को जिताने के लिए खुद मैदान में उतर पड़े हैं। अफजाल अंसारी के एम्स से लौटते ही कौमी एकता दल (क्यूईडी) के विलय की तैयारी है। वहीं, शनिवार को मुलायम ने पार्टी में जातीय समीकरण पर भी नजर डाली। उन्होंने दलितों, मुसलमानों, ब्राह्मणों और महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने का निर्देश प्रदेश अध्यक्ष और सीएम अखिलेश यादव को दिया।
क्या बोले मुलायम?
चुनावी साल में अखिलेश यादव सरकार की उपलब्धियों को गांव-गांव पहुंचाने के लिए शनिवार को 'श्री मुलायम संदेश यात्रा' को हरी झंडी दिखाई गई। इस मौके पर मुलायम ने अखिलेश समेत सभी कार्यकर्ताओं को समाजवाद का मूल समझाया। उन्होंने कहा कि युवा अगर 'सात क्रांतियां' पढ़ ले तो समाजवाद समझ जाएंगे। उन्होंने महिलाओं की कम तादाद की बात कही। मुलायम बोले कि नौजवान अगर बेटियों-बहनों का सम्मान करने लगें तो 50 नहीं, 500 महिलाएं कार्यक्रम में होतीं।
वोट जुटाने का ऐसे समझाया समीकरण
मुलायम ने इस मौके पर कहा कि सपा में चार युवा संगठन हैं। मुख्य संगठन भी है। सभी में महिलाओं, मुसलमानों और दलितों के अलावा ब्राह्मणों की संख्या बढ़ानी जरूरी है। 15 दिन में समीक्षा कर इन सभी की तादाद बढ़ाई जाए। उन्होंने इस मौके पर मुस्लिम कार्ड भी खेला। सपा सुप्रीमो ने कहा कि बीजेपी ने अयोध्या में मस्जिद गिरवाई। जिसके बाद मुसलमानों ने हमारी सरकार बनवाई। मुसलमान सपा के खिलाफ नहीं हैं। सीएम अखिलेश से उन्होंने कहा कि से कहा कि हर थाने में दो से चार मुस्लिम सिपाही तैनात करो।
हिंदुओं की नाराजगी कम करने की कोशिश
मुलायम सिंह ने बीते दिनों एक कार्यक्रम में कहा था कि अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलवाने का दुखद फैसला उन्हें लेना पड़ा। उन्होंने ये भी कहा था कि जरूरत होती तो 16 नहीं, 30 कारसेवक भी मारे जाते। शनिवार को अपने इस बयान के उलट उन्होंने कहा कि बाबरी आंदोलन में हमने किसी को नहीं मरवाया। कानून का पालन करने में सुरक्षा एजेंसियों ने जिम्मेदारी निभाई, फिर भी मेरे खिलाफ मुकदमा लिखाया गया। माना जा रहा है कि हिंदुओं की नाराजगी कम करने के लिए उन्होंने बयान बदला है।