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मुरली मनोहर जोशी बोले- जवाहरलाल नेहरू की वजह से संस्कृत नहीं हो पाई भारत की राष्ट्रभाषा
देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की वजह से भारत की राष्ट्रभाषा संस्कृत नहीं बन पाई। यह बात बीजेपी के सीनियर लीडर और लोकसभा सांसद डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने कही।
वाराणसी: देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की वजह से भारत की राष्ट्रभाषा संस्कृत नहीं बन पाई। यह बात बीजेपी के सीनियर लीडर और लोकसभा सांसद डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने कही।
काशी हिन्दू यूनिवर्सिटी के संस्कृत विद्या धर्म संकाय के राधाकृष्णन सभागार में सोमवार (03 अप्रैल) को आयोजित पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे बतौर चीफ गेस्ट डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि मध्य प्रदेश की तरह देश भर में सभी पाठयक्रमों में संस्कृत भाषा को लागू किया जाना चाहिए। जोशी ने कहा कि अगर पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सविधान निर्मात्री परिषद् में भाषा के चयन के दौरान हस्तक्षेप ना किया होता तो आज भारत की राष्ट्रभाषा संस्कृत ही होती।
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संविधान निर्मात्री परिषद में भारत की राजभाषा क्या हो? इस पर जब चर्चा हो रही थी तब डॉ. भीम राव अम्बेडकर समेत दस अन्य लोगों ने संस्कृत को भारत की राष्ट्र भाषा बनाने के लिए प्रस्ताव किया था। इस बैठक में सभी धर्मों और सभी राज्यों के प्रतिनिधि थे। लेकिन पंडित जवाहर लाल नेहरू के हस्तेक्षप के चलते ये नहीं हो सका। अगर नेहरू उस समय हस्तक्षेप न करते तो भारत की राष्ट्रभाषा संस्कृत ही होती। संस्कृत भाषा को सिर्फ केंद्र को ही नहीं, बल्कि सभी राज्यों को भी लागू करने का प्रयास किया जाना चाहिए। जोशी ने कहा कि देश के सभी राज्यों को संस्कृत भाषा को पाठ्यक्रम में लागू करना चाहिए।
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डॉ. जोशी ने कहा कि देश की सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में भी संस्कृत भाषा को शामिल किया जाना चाहिए। संस्कृत भाषा में जो विवधता है वो किसी भाषा में नहीं मिलती। जो ज्ञान हमे विश्व भर में उपलब्ध कराना है उसके लिए जरूरी है कि संस्कृत को हम तकनीक से जोडें।
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