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असंतुष्टों की चिट्ठी पर विवाद बढ़ा, इस नेता के खिलाफ सबसे ज्यादा नाराजगी

पार्टी नेताओं में सबसे ज्यादा गुस्सा राज्यसभा में विपक्ष के नेता और लंबे समय से कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य गुलाम नबी आजाद के प्रति है।

Newstrack
Published on: 31 Aug 2020 11:41 AM IST
असंतुष्टों की चिट्ठी पर विवाद बढ़ा, इस नेता के खिलाफ सबसे ज्यादा नाराजगी
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कांग्रेस में असंतुष्ट नेताओं की ओर से पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखी गई चिट्ठी पर विवाद बढ़ता जा रहा है। पार्टी के भीतर एक बड़ा वर्ग असंतुष्ट नेताओं की खिलाफत पर उतर आया है।

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली: कांग्रेस में असंतुष्ट नेताओं की ओर से पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखी गई चिट्ठी पर विवाद बढ़ता जा रहा है। पार्टी के भीतर एक बड़ा वर्ग असंतुष्ट नेताओं की खिलाफत पर उतर आया है। ‌पार्टी के भीतर असंतुष्ट नेताओं के खिलाफ फौरन कार्रवाई करने की मांग तेज होती जा रही है। असंतुष्ट नेताओं में सबसे ज्यादा नाराजगी पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के प्रति है। पार्टी में कार्रवाई की तेज होती मांग को लेकर असंतुष्ट नेताओं के दिलों की धड़कन भी तेज होती जा रही हैं।

आजाद के प्रति सबसे ज्यादा नाराजगी

कांग्रेस के भीतर नेताओं और कार्यकर्ताओं का एक बड़ा वर्ग पार्टी में बदलाव और स्थायी अध्यक्ष की मांग को लेकर पार्टी अध्यक्ष को चिट्ठी लिखने वाले असंतुष्ट नेताओं पर कार्रवाई करने की मांग कर रहा है। पार्टी नेताओं में सबसे ज्यादा गुस्सा राज्यसभा में विपक्ष के नेता और लंबे समय से कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य गुलाम नबी आजाद के प्रति है।

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Gulam Nabi Azad कांग्रेस में असंतुष्ट नेताओं के खिलाफ बढ़ा विरोध (फाइल फोटो)

आजाद ने कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में कहा था कि यदि कांग्रेस में चुनाव नहीं कराए गए तो पार्टी अगले 50 साल तक विपक्ष में ही बैठेगी। कई प्रदेशों के नेताओं ने आजाद के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इन नेताओं का कहना है कि सही बात तो यह है कि असंतुष्ट नेता आज तक मलाई काटते रहे हैं। आजाद ने पार्टी के लिए कोई संघर्ष नहीं किया है। वे खुद 23 सालों तक कांग्रेस वर्किंग कमेटी में मनोनीत होते रहे और अब चुनाव की मांग करके पार्टी को मजबूत बनाने का दिखावा कर रहे हैं।

असंतुष्ट को सता रहा इस बात का डर

Gulam Nabi Azad-Kapil Sibbal कांग्रेस में असंतुष्ट नेताओं के खिलाफ बढ़ा विरोध (फाइल फोटो)

जानकार सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के कई नेताओं का यह भी मानना है कि पार्टी अध्यक्ष को लिखा गया पत्र और कांग्रेस वर्किंग कमेटी के चुनाव की मांग के पीछे दरअसल राहुल गांधी का विरोध छिपा हुआ है। पार्टी के एक नेता नेता का कहना है कि पत्र लिखने वाले अधिकांश नेताओं को इस बात का भय सता रहा था कि राहुल गांधी उन्हें दोबारा राज्यसभा में नहीं भेजेंगे। एक नेता का कहना है कि असंतुष्ट नेता दिखावे के तौर पर बार बार यह बात कह रहे हैं कि वह गांधी परिवार के खिलाफ नहीं हैं।

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पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी का कहना है कि इस मुद्दे पर कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में सात घंटे तक चर्चा हो चुकी है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी साफ कर दिया है कि सभी मुद्दों पर एक परिवार की तरह चर्चा की गई है। अब पार्टी में सभी को मतभेदों को भुलाकर आगे बढ़ना है और पार्टी को मजबूत बनाना है। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के यह कहने के बाद भी यदि कोई सुर्खियों में बने रहने के लिए बयानबाजी करता है तो इसे उसकी ही पसंद कहा जा सकता है।

राहुल को अध्यक्ष बनाने की मांग तेज

Rahul Gandhi-Harsih Rawat राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने की मांग तेज (फाइल फोटो)

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस महासचिव हरीश रावत का भी कहना है कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक के अंत में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सभी से विरोध और मतभेद भूलकर आगे बढ़ने की बात कही थी। अब हर किसी को पार्टी अध्यक्ष की इस टिप्पणी के दायरे में ही व्यवहार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सीडब्ल्यूसी की बैठक में कोई भी पार्टी में संगठनात्मक चुनाव के खिलाफ नहीं था।

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पार्टी में चुनाव के समय और उसकी प्रक्रिया को तय करने की जिम्मेदारी पार्टी अध्यक्ष की ही है और वही इसे तय करेंगी। रावत ने राहुल गांधी को कांग्रेस के साथ ही विपक्ष का भी सबसे बड़ा नेता बताया। उन्होंने कहा कि राहुल पहले भी अध्यक्ष के रूप में हमारे लिए जरूरी थे और अब भी जरूरी हैं। उनका पार्टी अध्यक्ष बनना हम सभी के लिए गौरव की बात होगी। असंतुष्ट नेताओं की चिट्ठी के बाद राहुल गांधी को एक बार फिर पार्टी की कमान सौंपने की मांग भी लगातार तेज हो रही है।

जल्दबाजी की कोई जरूरत नहीं

Salman Khurshid कांग्रेस में असंतुष्ट नेताओं के खिलाफ बढ़ा विरोध (फाइल फोटो)

पार्टी के एक और वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद का भी कहना है कि कांग्रेस अध्यक्ष चुनने के लिए किसी प्रकार की जल्दबाजी की जरूरत नहीं है। खुर्शीद ने कहा कि मुझे पार्टी अध्यक्ष चुनने की तुरंत कोई जरूरत नहीं दिख रही है। उन्होंने कहा कि पार्टी में नेतृत्व के मुद्दे का फैसला सोनिया गांधी को ही करना चाहिए।

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उन्होंने पार्टी में चिट्ठी लिखने वाले नेताओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि अगर तुरंत अध्यक्ष नहीं चुना गया तो कोई आसमान नहीं टूट पड़ेगा। गुलाम नबी आजाद की ओर इशारा करते हुए खुर्शीद ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के वरिष्ठ नेता सालों तक पार्टी के शीर्ष पदों पर रहे हैं और उस वक्त भी पार्टी आगे बढ़ी है जब चुनाव नहीं हुए।



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