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ये हैं टीपू से 'सुल्तान' बने UP के CM अखिलेश यादव के नवरत्न

sujeetkumar
Published on: 10 Jan 2017 9:40 AM GMT
ये हैं टीपू से सुल्तान बने UP के CM अखिलेश यादव के नवरत्न
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लखनऊ: पिछले तीन महीने से लगातार यदुवंश की तकरार में अखिलेश यादव एक ध्रुव बने हुए है। इन दिनों अखिलेश यादव ने साबित किया है, कि नेताजी के बाद उनके पास भी अपनी टीम है। जिन्हें आजकल टीम अखिलेश का नाम दिया जाता है। टीम अखिलेश लगातार चर्चा में है। चाहे नेताजी के घर के आगे प्रदर्शन कर, अथवा शिवपाल यादव का विरोध कर या फिर उनके करीबी संतोष यादव उर्फ सनी के घर पड़े छापे की वजह से। ज्यादातर टीम अखिलेश के लोग विधानपरिषद के जरिए माननीय बन गये हैं, पर इनकी पकड़ की पहली परीक्षा अगला चुनाव होने जा रहा है।

आइये जानते हैं, कौन हैं अखिलेश के नवरत्न...

सुनील कुमार सिंह यादव उर्फ साजन

टीम अखिलेश में एक बड़ी सियत रखने वाले सुनील कुमार सिंह यादव उर्फ सुनील साजन विधान परिषद सदस्य हैं। इन्होंने अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत के.के.सी के छात्रसंघ अध्यक्ष के तौर पर की थी। अखिलेश यादव ने 2001-02 में ‘अपना संवाद’ कार्यक्रम राजधानी के केकेसी कालेज से शुरु किया। हालांकि कैंपस में वाटरकूलर के उद्घाटन कार्यक्रम का आयोजन था। कार्यक्रम के दौरान इनकी बड़ी भूमिका थी। साजन पहली बार चर्चा में तब आए 9 अप्रैल, 2011 को सपा के विरोध प्रदर्शन के दौरान उन्हें आईपीएस डी.के.ठाकुर के जूतों के नीचे आयी तस्वीर चल निकली। इसके बाद हुए परिवर्तन रैली और साइकिल यात्रा में सुनील साजन ने टीम अखिलेश में वह मुकाम हासिल कर लिया कि उनके पार्टी से निष्कासन से क्षुब्ध अखिलेश यादव अपनी सरकार में ही सैफई महोत्सव में नहीं पहुंचे, सुनील माननीय बन चुके हैं । फिलहाल अभी वह पार्टी से बाहर हैं।

आनंद भदौरिया

इन्हें टीम अखिलेश की तरफ से मुलायम सिंह यादव के सामने प्रदर्शन को लेकर पार्टी से बाहर किया गया है। हालांकि इससे पहले भी ये 2015 में पार्टी से बाहर किए जा चुके है। लेकिन अखिलेश यादव के खुद मोर्चा खोलने पर इन्हें वापस ले लिया गया था। आनंद भदौरिया लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्रराजनीति के दौरान नकल के आरोपों से भी जूझते नज़र आए, पर अखिलेश यादव को मिले और फिर टीम अखिलेश का अहम हिस्सा बन गये। 9 अप्रैल 2011 में डीके ठाकुर की पैरों के नीचे की तस्वीर का हिस्सा बने हुए और अखिलेश की आंख के तारे बन गये। अखिलेश यादव की साइकिल यात्रा में साइकिल चलाई। अखिलेश यादव ने इन्हें लोकसभा का टिकट दिलाया पर यह सीट हार गये पर बाद में इन्हें विधानपरिषद के जरिए माननीय बना दिया गया।

संजय लाठर

हरियाणा निवासी संजय लाठर भी इन दिनों माननीय हैं पर पार्टी से बाहर हैं। इनकी पत्नी अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की सदस्य भी हैं। व्यवसायी मेधा मुख्यमंत्री को काफी भाती है और यह मुख्यमंत्री के काफी करीबियों मे से एक है। मथुरा में रियल एस्टेट से लेकर कई तरह के व्यवसाय करने वाले संजय लाठर ने मथुरा के मांठ इलाके से अपना राजनैतिक अस्तित्व तलाश करने की कोशिश की थी पर यहां पर तृणमूल कांग्रेस के श्याम सुन्दर शर्मा के सामने जनता ने इन्हें नकार दिया था।

उदयवीर सिंह

इन दिनों एमएलसी है पर यह भी पार्टी से बाहर हैं। इटावा के रहने वाले उदयवीर वैसे तो मुख्यमंत्री से लोगों की मुलाकात कराने को लेकर चर्चा में रहते हैं पर हाल में तब चर्चा में आए जब उन्होंने यदुवंश के हालिया झगड़े का मुलायम सिंह यादव की पत्नी को जिम्मेदार ठहराया। नतीजतन, उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। बावजूद इसके अखिलेश यादव टीम के अहम सदस्य और अखिलेश यादव के विश्वास पात्र हैं। इनकी हैसियत टीम अखिलेश में यह है कि वह मंत्री बनाने की कूव्वत रखते हैं।

राहुल भसीन

टीम अखिलेश के अहम सदस्य पर इनकी राजनैतिक से ज्यादा कारोबारी दक्षता है। टीम अखिलेश में उन्हें रोजर के नाम से भी जाना जाता है। भले ही राजनीति से सीधा संबंध न हो पर कपड़ा व्यवसायी राहुल भसीन एकाएक अरबपतियों में शुमार हो गए। उनका प्रशासनिक अधिकारियों के कामकाज में बकायदा दखल रहता है। राहुल भसीन अखिलेश यादव के उन दिनों के दोस्त हैं जब वे मुख्यमंत्री नहीं थे। राजधानी के एक होटल में उनका अखिलेश यादव से उठना बैठने से शुरु हुआ । उनका रिश्ता पारिवारिक बन चुका है, जो उनकी स्थिति को लगातार मजबूत बनाता है।

गजेंद्र सिंह

अखिलेश यादव के खासमखास के अलावा उनके ओएसडी और मुख्यमंत्री बनने से पहले तक उनके विश्वासपात्र पीआर पर्सनल के तौर पर गजेंद्र सियासी गलियारो में मशहूर रहे हैं। गजेंद्र सिंह की ड्यूटी अखिलेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद भी उनके आवास 5 कालीदास मार्ग के कैंप आफिस में थी। नेताजी की नाराजगी की वजह से कुछ दिनों के लिए इन्हें हटना पड़ा। बहरहाल पार्टी आफिस और जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट में यह टीम अखिलेश के अहम सदस्य के तौर पर तैनात हैं।

राजू यादव

वैसे तो यह समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव के नजदीकी हैं। पर इन दिनों टीम अखिलेश के अहम सदस्य के तौर पर काम कर रहे है। राजू यादव ने अपने जीवन की शुरुआत छोटे ठेके से की । पर रामगोपाल यादव के टिकट देने पर चुनाव जीत गए । उन्हें हालिया झगड़े में टीम अखिलेश में जगह मिल गयी।

अतुल प्रधान

टीम अखिलेश के सदस्य अतुल प्रधान फिलहाल पार्टी से बाहर हैं। इन्हें सरधना से टिकट मिला और बाद में काट दिया गया है। शिवपाल यादव के करीबी माने जाने वाले पिंटू राणा चुनाव लड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। पार्टी सूत्रों की मानें तो शिवपाल ने संगठन में अपनी ताकत दिखाते हुए अतुल प्रधान का टिकट काटकर पिंटू राणा को दे दिया है। शिवपाल और अखिलेश की लड़ाई के बीच अतुल अखिलेश का समर्थन करते हुए शिवपाल के विरोध में चले गए थे। अतुल प्रधान ने वर्ष 2012 के चुनावों में भी संगीत सोम के खिलाफ सरधना सीट से चुनाव लड़ा था। जिसमें वह हार गए थे।

अनुराग भदौरिया

टीम अखिलेश के करीब और ग्रामीण क्रिकेट लीग शुरुआत कराने वाले अनुराग भदौरिया भी टीम अखिलेश के सदस्य माने जाते हैं। अनुराग भदौरिया सार्वजनिक स्थानों पर अखिलेश यादव के आसपास दिखने में कोई कोताही नही बरतते। हाल में वह आईजीसीएल में एक डांसर से लेकर चर्चा में आए थे। वह लखनऊ पूर्वी से उम्मीदवार बनने के फिराक में हैं।

अभिषेक मिश्रा

अखिलेश सरकार में मंत्री और अखिलेश यादव के करीबी हैं। अभिषेक मिश्रा को सरकार में हाल में कैबिनेट स्तर दिया गया है। अखिलेश यादव की खोज के तौर पर अभिषेक मिश्रा ने अपना सार्वजनिक जीवन शुरु किया। एक चर्चित आईएएस के बेटे और आईआईएम में विजिटिंग प्रोफेसर के तौर पर काम कर रहे अभिषेक को अखिलेश यादव की पहल पर ही लखनऊ से टिकट दिया गया । उन्हें पहले राज्यमंत्री फिर कैबिनेट मंत्री बनाया गया। अभिषेक अंतरराष्ट्रीय स्तर और विदेशी प्रतिनिधिमंडलों में सरकार का चेहरा माने जाते हैं।

कमाल अख्तर

किसी जमाने में मुलायम और शिवपाल के करीब मंत्री रहे कमाल अख्तर इन दिनों टीम अखिलेश में काफी मजबूत है। हाल में ही उन्हें कैबिनेट से हटाए जाने की चर्चा थी । तो माना जा रहा है कि अखिलेश यादव की ही पहल से उनकी कुर्सी न सिर्फ बची बल्कि टीम अखिलेश में उनकी जगह मजबूत हो गयी।

तेज नारायण पांडेय उर्फ पवन पांडेय

अयोध्या विधानसभा से विधायक बनने के पहले से भी पवन पांडेय टीम अखिलेश के सदस्य रहे। लखनऊ विश्वविद्यालय से छात्रनेता के तौर पर कैरियर शुरु करने वाले तेज नारायण पांडेय इन दिनों सरकार में राज्यमंत्री हैं। हाल में ही जावेद आब्दी को मुख्यमंत्री आवास में थप्पड़ मारने के मुद्दे पर चर्चा में आए हैं।

राजेंद्र चौधरी

इस समय सत्ता के गलियारों में मुख्यमंत्री की छायाप्रति के तौर पर मशहूर हैं। कहा जाता है कि मुख्यमंत्री के साढे चार साल के कार्यकाल में शायद ही की ऐसी फोटो हो जिसके फ्रेम में इनकी शक्ल न हो। अखिलेश यादव के साथ ही अपने वजूद को पैबस्त करने के बाद राजेंद्र चौधरी को पार्टी प्रवक्ता के पद से हाथ धोना पड़ा है। लोकदल बसपा से होते हुए राजेंद्र चौधरी सपा में आए और अब सपा में अपनी निष्ठा को लेकर पूरा तरह अटल हैं।

संजीव गुर्जर

टीम अखिलेश के सदस्य नाम है संजय गुर्जर पर इन्हें संजीव गुर्जर बुलाया जाता है। यह पहले ओंकार यादव के साथ काम करते थे जो सपा के बागपत के नेता हैं।फिर अखिलेश के पास वहीं से चले गये।संजीव पहले छोटी-मोटी प्लाटिंग का काम करते थे। सतीश अवाना के मार्फत संजीव मायावती के भाई आनंद कुमार के संपर्क में रहे। इस बार नोयडा में उनके बिना पत्ता नहीं हिलता है।

कौन हैं संतोष यादव उर्फ सनी यादव

संतोष यादव उर्फ सनी उत्तर प्रदेश विधानपरिषद के सदस्य हैं। सनी की 16 साल की उडान किसी स्वप्निल यात्रा से कम नहीं है। सनी यादव ने लखनऊ विश्वविद्यालय से 2000 में एलएलबी किया था। पढाई के दौरान ही सनी सपा से जुड़कर छात्रसंघ राजनीति में उतरे। उस वक्त अखिलेश यादव भी राजनीति का ककहरा सीखकर खुद को स्थापित करने के लिए अपनी टीम बना रहे थे। तब से ही संतोष यादव सनी अखिलेश यादव के करीबी रहे थे। के के सी के संवाद कार्यक्रम में संतोष यादव सनी का बड़ा योगदान था। यहीं से सनी अखिलेश यादव की आंख के तारे बन गये।

सनी यादव सबसे ज्यादा चर्चा में तब आए जब विधानपरिषद चुनाव के समय बस्ती से शिवपाल के करीबी नेता राजकिशोर के भाई का टिकट कटवाकर अपना टिकट कंफर्म कराकर एमएलसी बन बैठे। इससे पहले भी 2012 के चुनाव में उन्हें सहजनवां से टिकट काटकर समाजवादी पार्टी का प्रत्याशी बनाया गया था पर वे चौथे नंबर पर रहे थे।

समाजवादी पार्टी के एमएलसी सनी अपना ग्रुप पॉवर सप्लाई कंपनी के मालिक हैं। हाल में ही वह तब चर्चा में आए जब उन्होंने अपने कर्मचारियों को दो महीने की सैलरी पुराने नोटों के रूप में दी थी।

घर पर पड़ा था छापा

आयकर विभाग ने सनी के घर छापा भी मारा था। सनी यादव की ‘अपना ग्रुप पावर सप्लाई’ को गोरखपुर समेत पूरे पूर्वांचल में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड में अंडरग्राउंड केबलिंग का बडे पैमाने पर काम दिया गया है। इसके साथ ही उनकी कंपनी को ग्रामीण विद्युतीकरण में कुछ काम मिला और उनकी मैनपावर सप्लाई कंपनी को पूर्वांचल मध्यांचल विद्युत वितरण के पावर स्टेशन पर सिक्योरिटी गार्ड्स सप्लाई का काम मिला है। डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ सेंट्रल एक्साइज इंटेलीजेंस को सपा एमएलसी संतोष यादव उर्फ सनी के ऑफिस से बड़े पैमाने पर बिजली विभाग के ठेकों से जुड़े कागजात मिले हैं।

डीजीसीईआई के अफसरों के मुताबिक

इन ठेकों में भी बड़े खेल और टैक्स चोरी की बात सामने आई है। इन ठेकों के बारे में संबंधित विभागों से ब्योरा मांगा जाएगा। बिजली विभाग के बड़े अफसर भी जांच के दायरे में आ सकते हैं। कहा जाता है कि पूर्वांचल के एमडी ए के सिंह ने सनी यादव की पैरवी पर कई ऐसी कंपनियों काम दिया जिन्होंने फर्जी बैंक गारंटी दी और अब मोबलाइलेजशन मनी लेकर चली गयी। ऐसे में इसे लेकर भी जांच की जा रही है। बिजली विभाग के एमडी ए पी मिश्रा और प्रमुख सचिव संजय अग्रवाल ने भी सनी यादव पर खूब रहमत बरसाई है। सनी यादव को इतने बड़े पैमाने पर ठेके दिए जाने की भी एजेंसी पड़ताल करेगी। इस संबंध में बिजली विभाग को पत्र लिखकर संबंधित ठेकों के बारे में जानकारी मांगी जाएगी।

सूत्रों के मुताबिक एमएलसी संतोष यादव उर्फ सनी की कंपनी अपनाटेक कंसल्टेंसी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड मैनपावर सप्लाई के ठेकों के नाम पर राज्य सरकार से भुगतान ले रही है। कागजों में सनी यादव ने अपनी मैनपावर कंपनी का टर्नओवर 35 करोड़ रुपये से ज्यादा का दिखाया है। अब एजेंसी यह भी पता करने की कोशिश कर रही है कि इन ठेकों में देने में नियमों को कितना ताक पर रखा गया है।

डा. राम मनोहर लोहिया चिकित्सा संस्थान में सिक्योरिटी गार्ड्स और सीएचसी-पीएचसी पर सिक्योरिटी गार्ड्स और मैनपावर की सप्लाई, सनी की कंपनी के लोग लोहिया अस्पताल, जनेश्वर मिश्र पार्क की सिक्यूरिटी व अन्य सरकारी संस्थानों में लगे हुए हैं। इसके बारे में भी जानकारी जुटाई जा रही है। पता चला है कि स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत एक बड़े चिकित्साधिकारी ने इस कंपनी को मानव संसाधन की आपूर्ति का ठेका देने के बदले ‘साझीदारी’ भी कर रखी है। इसके अलावा चीनी मिलों, पावर सब स्टेशन, अस्पतालों जनेश्वर मिश्र पार्क में सिक्योरिटा का ठेका भी सनी यादव की कंपनी के पास है। दरअसल सनी यादव की यह कंपनी एक दशक पुरानी और है इसे पिछली मुलायम सरकार में पहली बार का लखनऊ विकास प्राधिकरण से अफसर वी बी सिंह के जमाने में काम मिला था और उसके बाद इस सरकार में तो कंपनी की पौ बारह हो गयी।

12 जिलों में आधार कार्ड बनाने का काम भी सनी यादव की कंपनी के पास

एजेंसी के अधिकारियों को आशंका है कि आधार कार्ड में भी बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा हुआ है। इसके लिए डीजीसीईआई आधार को पत्र लिखेगी।

डीजीसीईआई एमएलसी के दफ्तरों से मिले तीन कम्प्यूटर और एक लैपटॉप की भी जांच करा रही है। इसमें बड़ी संख्या में डाटा डिलीट किया गया है। एजेंसी को सनी यादव के यहां से दो साल की बैलेंस शीट बरामद हुई है। इसका मिलान बैंक और रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज को दी गई बैलेंस शीट से किया जाएगा। एजेंसी को सनी यादव के यहां से एजेंसी को एक निजी डायरी मिली है। इसमें कई ट्रांसफर पोस्टिंग का जिक्र है। इसके साथ ही जब इन्होंने 2013-14 में अपना और अपनी पत्नी का आयकर रिर्टन भरा था तब भी ये खूब चर्चा हुई थी। इसमें सनी यादव का 15 लाख और पत्नी का 16 लाख का रिर्टन था।

सूत्रों के अनुसार आयकर विभाग को यह सूचना मिली है कि संतोष यादव और उनकी पत्नी के नाम पर बस्ती में करोड़ों रुपए की कई बेनामी सम्पत्तियां हैं। इसके साथ ही संतोष यादव ने लखनऊ में सुल्तानपुर, फैजाबाद रोड पर भी प्रापर्टी का काम शुरू किया है, जिसमें करोड़ों का ब्‍लैकमनी खपाया गया है।

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