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फोटो वायरल : कुलपति के चरणों में पंडित दीनदयाल

sudhanshu
Published on: 23 Oct 2018 1:53 PM GMT
फोटो वायरल : कुलपति के चरणों में पंडित दीनदयाल
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गोरखपुर: ये हैं दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर के कुलपति प्रोफेसर विजय कृष्ण सिंह अपने आलाकमानों के आदर्श दीनदयाल उपाध्याय जी को अपने जूते का अभिवादन करा रहें हैं। गोरखपुर विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के दिन कुलपति महोदय ने दीनदयाल जी का अपमान किया है।

जी हां, ये तस्‍वीर 38 वें दीक्षांत समारोह सप्ताह के अंतर्गत आयोजित रंग तरंग चित्र प्रदर्शनी का आयोजन अमृतकला वीथिका में किया गया था। जिसका उद्धघाटन कुलपति विजय कृष्ण सिंह को करना था। इस दौरान गेट पर ही पंडित दीनदयाल उपाध्याय की रंगोली कुछ छात्रों ने बनाई थी और वहीं पर कुलपति महोदय पहुंचकर फोटो खिंचवाने लगे। तभी किसी कैमरे में उनकी यह तस्‍वीर जूतों के साथ कैमरे में कैद हो गई। फिर क्या था सोशल मीडिया पर इस तस्‍वीर को किसी ने डाल दिया और देखते ही देखते इस तस्‍वीर पर सैंकड़ो कमेन्ट्स आने शुरू हो गए|

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गेट पर ही बनी थी रंगोली

इस संबंध में दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर के जनसंपर्क अधिकारी प्रोफ़ेसर हर्ष सिन्हा ने बताया कि दीक्षांत सप्ताह के अंतर्गत रंग तरंग चित्र प्रदर्शनी का आयोजन अमृता कला वीथिका में आयोजन किया गया था। इस दौरान कुछ विद्यार्थियों ने विभाग के गेट पर ही रंगोली बनाई थी और ऐसी ही एक रंगोली में इस वर्ष के लोगों का भी चित्र उकेरा गया था और जिनके नाम पर यह विश्वविद्यालय है, पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की भी रंगोली बनाई गई थी। औपचारिक शुभारंभ के बाद रंगोली बनाने वाले विद्यार्थियों के आग्रह पर उनके प्रोत्साहन के लिए वहां पर उपस्थित लोगों ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की तस्वीर के साथ फोटो खिंचवाई और कुलपति जी की वही तस्वीर दिखाई जा रही है। यह पूरी तरह से उन कलाकार छात्रों के प्रोत्साहन के लिए किया गया था। उसमें यह कहना कि इस प्रकार अवमानना की जा रही है। इसका कोई आधार ही नहीं है।

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यह मात्र कलाकृति है, तूल देना गलत

हर्ष सिन्‍हा ने कहा कि जिस विश्वविद्यालय का नाम ही पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के नाम पर रखा गया हो। उनकी अवमानना विश्व विद्यालय परिवार का कोई सदस्य सुन भी नहीं सकता। अगर उस चित्र को आप गौर से देखें तो यह साफ हो जाएगा। वह एक कलाकृति है। उसी प्रकार की कलाकृति है। जैसा सुदर्शन पटनायक रेत के किनारे महात्मा गांधी और अन्य बड़े लोगों की आकृतियां बनाते रहते हैं और उसके बाद कुछ लोग बगल में खड़े हैं। जो संदर्भ चित्र है उसमें केवल कुलपति जी दिखाई दे रहे हैं। यह कोई ऐसा मामला नहीं है। जिसको संज्ञान लेकर खास करके विवाद का विषय बने।

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