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पीएम मोदी ने उपराष्ट्रपति की किताब विमोचन पर सुनाया अटल-नायडू का किस्सा

Aditya Mishra
Published on: 2 Sept 2018 1:20 PM IST
पीएम मोदी ने उपराष्ट्रपति की किताब विमोचन पर सुनाया अटल-नायडू का किस्सा
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नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू की किताब 'मूविंग ऑन... मूविंग फॉरवर्ड: अ इयर इन ऑफिस' का विमोचन रविवार को नई दिल्ली में किया गया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी मौजूद रहे। 245 पन्नों की इस किताब में उन्होंने सभापति के तौर पर अपने एक साल की यात्रा का वर्णन किया है। इसके अलावा किताब में नया भारत बनाने के मिशन का भी जिक्र है।

इस मौके पर पीएम मोदी ने अटल विहारी वाजपेयी और उपराष्ट्रपति नायडू के बीच का एक किस्सा सुनाया। मोदी ने कहा, अटलजी वेंकैया नायडू को एक मंत्रालय देना चाहते थे। वेंकैया जी ने कहा, मैं ग्रामीण विकास मंत्री बनना चाहता हूं। वह दिल से किसान हैं। वह किसानों और कृषि के कल्याण की दिशा में समर्पित हैं।

पीएम मोदी ने कहा कि वेंकैया जी हमेशा जिम्मेदारियों को लेकर चलते रहे हैं। अपने आप को दायित्व के अनुरूप ढालने से ही वेंकैया जी सफलता प्राप्त करते रहे हैं। पीएम ने कहा, "वेंकैया जी के बारे में सुनकर हमें काफी गर्व होता है, वह अनुशासन का पालन करने वाले हैं। वह कभी घड़ी, कलम और पैसे नहीं रखते हैं।" फिर भी घड़ी न रखने पर भी वेंकैया जी हर कार्यक्रम में समय पर पहुंचते हैं।



पुस्तक विमोचन में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने कहा, उन्होंने उपराष्ट्रपति, राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव के दफ्तर में काम किया है और यह उनके एक साल के अनुभव में काफी हद तक परिलक्षित होता है। लेकिन उनका बेस्ट अभी आना बाकी है। जैसे एक कवि ने कहा है, सितारों के आगे जहां और भी हैं, अभी इश्क के इम्तेहान और भी हैं।

इस मौके पर नायडू ने कहा, 'यह एक ऐसा समय है जब देश आगे बढ़ रहा है व मुझे इस पद के साथ एक नई भूमिका में देश और इसके लोगों की सेवा करने के लिए गौरवान्वित महसूस हो रहा है। यह एक क्षण है जब देश को बदलने के लिए दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति लोगों के साथ अनुनाद पा रही है। स्पष्ट है अभी बहुत रास्ता तय करना बाकी है। हमें एक राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ना चाहिए। हमें दृढ़ता से आगे बढ़ना चाहिए।'

नायडू ने कहा, मैं थोड़ा दुखी था क्योंकि संसद उस तरह से नहीं चली जैसा कि उसे चलना चाहिए था। दूसरी सभी मायने रखने वाली चीजें चल रही हैं। वर्ल्ड बैंक, एडीबी, वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने चाहे कोई भी रेटिंग दी हैं वह खुशी वाली हैं। आर्थिक स्तर पर जो कुछ घटित हो रहा है उसपर सभी भारतीयों को गर्व करना चाहिए।

किताब में नायडू ने लिखा है कि वह पिछले साल 11 अगस्त को उपराष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद उन्होंने चार प्रमुख मुद्दों पर सार्वजनिक संवाद की तलाश और उसे आकार देने के उनके मिशन के लिए पूरे देश में बहुत सी यात्राएं की हैं। किताब में उपराष्ट्रपति के तौर पर अपने अनुभव के बारे में बताते हुए नायडू ने किताब में लिखा है कि यह कठिन चुनौतियों और असीमित अवसरों का समय है।

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