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Political News: अब शिंदे ने भी कांग्रेस नेतृत्व की कार्यशैली पर उठाए सवाल, कहा-पार्टी में खत्म हो गई संवाद की परंपरा
कांग्रेस नेता सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि एक समय था जब कांग्रेस शिविर आयोजित करती थी। इन शिविर में मंथन होता था कि पार्टी कहां जा रही है, पार्टी के क्या दिशा निर्देश होंगे। लेकिन आज यह समझना कठिन है कि आखिर पार्टी जा कहां रही है। शिंदे ने कहा कि अब चिंतन शिविर का आयोजन नहीं किया जाता है, मैं इस बात को लेकर काफी दुखी महसूस करता हूं।
Political News: विभिन्न राज्यों में आंतरिक कलह से परेशान कांग्रेस नेतृत्व के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेता भी बड़ी मुसीबत बनते जा रहे हैं। कांग्रेस हाईकमान इन दिनों विभिन्न राज्यों में पार्टी नेताओं के बीच चल रहे आंतरिक संघर्ष को सुलझाने में जुटा हुआ है मगर इस बीच पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने नेतृत्व की कार्यशैली पर ही सवाल उठा दिए हैं। शिंदे का कहना है कि कांग्रेस अपनी विचारधारा की संस्कृति को भी खोती जा रही है। पुणे में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान शिंदे ने कहा कि यदि हम कांग्रेस की पुरानी कार्यशैली को देखें तो मौजूदा समय में स्थितियां काफी बदल चुकी हैं। कांग्रेस में पहले महत्वपूर्ण मुद्दों पर डिबेट और संवाद हुआ करता था, लेकिन अब सब कुछ पूरी तरह खत्म हो चुका है। उन्होंने कहा कि पार्टी की मौजूदा कार्यशैली को देखकर मुझे गहरा दुख होता है।
महत्वपूर्ण मुद्दों पर अब नहीं होती चर्चा
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि यदि हम पहले के समय को देखें तो कांग्रेस में चिंतन शिविरों और कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता था। इन शिविरों में पार्टी की ताकत का भी उचित मूल्यांकन किया जाता था। इसके साथ ही महत्वपूर्ण मुद्दों पर पार्टी नेताओं के बीच चर्चा भी होती थी, लेकिन अब सब कुछ खत्म हो चुका है। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में यह समझना काफी मुश्किल हो गया है कि आखिर पार्टी कहां जा रही है। उन्होंने कहा कि जब पार्टी नेतृत्व की ओर से बैठकों का आयोजन ही नहीं किया जाएगा तो आत्मचिंतन की प्रक्रिया कैसे पूरी होगी। उन्होंने कहा कि अगर पार्टी की नीतियों में किसी भी प्रकार की कमी है तो उसे दूर किया जा सकता है मगर इसके लिए बैठकों का आयोजन और नीतियों पर चर्चा करना जरूरी है।
मन की बातों को सबके सामने रखा
उन्होंने कहा कि एक समय ऐसा था जब पार्टी में मेरी आवाज सुनी जाती थी और मेरे शब्दों की भी कुछ कीमत हुआ करती थी। मुझे नहीं पता कि अब वही स्थिति है या नहीं। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि मेरी बातों पर गौर फरमाया जाएगा या नहीं, लेकिन मैंने अपने मन की बातों को सबके सामने रखा है। महाराष्ट्र से ताल्लुक रखने वाले शिंदे एक समय कांग्रेस के हाई प्रोफाइल नेता रहे हैं और वे गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। वे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की भी जिम्मेदारी निभा चुके हैं। उनकी बेटी प्रणिति शिंदे कांग्रेस की विधायक हैं और उन्हें पिछले दिनों पश्चिमी महाराष्ट्र का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।
कई अन्य नेता भी उठा चुके हैं सवाल
यह पहला मौका नहीं है जब कांग्रेस के किसी वरिष्ठ नेता की ओर से पार्टी नेतृत्व की कार्यशैली पर सवाल उठाए गए हैं। शिंदे से पहले पार्टी के कई अन्य वरिष्ठ नेताओं ने भी पार्टी की कार्यशैली सुधारने की मांग की थी। कई वरिष्ठ नेताओं ने इस बाबत पिछले साल पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी भी लिखी थी। जी-23 के नाम से जाने जाने वाले इन नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष को लिखी चिट्ठी में जल्द से जल्द संगठन चुनाव कराने की भी मांग की थी। उनका कहना था कि भाजपा का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस में व्यापक फेरबदल की जरूरत है। पार्टी अध्यक्ष को चिट्ठी लिखने वाले नेताओं में गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा, वीरप्पा मोइली और मनीष तिवारी आदि नेता शामिल रहे हैं। कोरोना महामारी के चलते पार्टी के अध्यक्ष का चुनाव भी काफी दिनों से टल रहा है।
कांग्रेस नेतृत्व आत्ममंथन करे
शिंदे के बयान पर टिप्पणी करते हुए शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व को शिंदे के बयान पर आत्ममंथन करना चाहिए। वे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे हैं और उन्होंने पार्टी को मजबूत बनाने के लिए काफी काम किया है। अगर वे पार्टी में आत्मचिंतन की परंपरा खत्म होने पर चिंता जता रहे हैं तो निश्चित रूप से कांग्रेस नेतृत्व को इस पर मंथन करना चाहिए। हालांकि उन्होंने यह भी कहा यह कांग्रेस का आंतरिक मामला है और इस पर फैसला कांग्रेस का नेतृत्व ही लेगा।