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अस्पतालों को वेंटिलेटर से नहीं निकाल पाए मंत्री, उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी नई सरकार

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Published on: 2 July 2017 4:26 PM IST
अस्पतालों को वेंटिलेटर से नहीं निकाल पाए मंत्री, उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी नई सरकार
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अमित यादव

लखनऊ: योगी सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कामकाज संभालते ही कहा था कि वह स्वास्थ्य व्यवस्था को वेंटिलेटर से निकालने आए हैं। इसे लेकर उन्होंने अस्पतालों का ताबड़तोड़ निरीक्षण किया। उन्होंने राजधानी के लोहिया, सिविल और बलरामपुर अस्पताल का भी औचक निरीक्षण किया। वहां मिली खामियों को दूर करने के आदेश दिए। साथ ही आला अधिकारियों से जवाब भी मांगा। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि आम लोगों की समस्याएं दूर न करने पर कार्रवाई होगी।

स्वास्थ्य मंत्री के इन कदमों के बाद इन अस्पतालों में क्या बदलाव आया। इसे देखने के लिए अपना भारत ने बलरामपुर, सिविल व लोहिया अस्पताल का जायजा लिया गया। इन अस्पतालों में ओपीडी व अन्य जगहों पर तमाम अव्यवस्थाएं दिखीं। मरीजों के इलाज से लेकर कई तरह की समस्याएं बनी हुई हैं। यहां आए मरीजों ने कहा कि उन्हें सरकार से उम्मीद थी कि सबकुछ बदल जाएगा, लेकिन सबकुछ पहले जैसा ही है।

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बलरामपुर में ओटी का बुरा हाल

बलरामपुर अस्पताल में ओटी का बुरा हाल है। ओटी का एसी काम नहीं कर रहा है। आंख की सीआर मशीन खराब पड़ी है। इस कारण आंख की जांच के लिए आए मरीज परेशान हैं। न्यू वार्ड की लिफ्ट कई महीनों से काम नहीं कर रही है। हॉस्पीटल में सुपरस्पेशिएलिटी ब्लॉक बना, लेकिन यह उम्मीदों के हिसाब से नहीं चल सका। स्ट्रेचर से लेकर कई टेबल टूटे पड़े हैं। नाम न छापने के शर्त पर हॉस्पीटल के एक डॉक्टर ने बताया कि इस बार का बजट ढ़ाई करोड़ रुपये कम आया है। स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कई बार बलरामपुर हॉस्पीटल का निरीक्षण किया।

इस दौरान उन्होंने खाने के सामान से लेकर विभागों तक की बारीकी से पड़ताल की। खामियां मिलने पर अस्पताल के निदेशक डॉ.ईयूसी सिद्दीकी से जवाब तलब किया था और समस्याओं को दूर करने का निर्देश दिया था, लेकिन आज तक खामियां नहीं दूर की गयीं। दूसरी ओर निदेशक के मुताबिक मंत्री के निर्देश पर हर बेड पर सेंट्रलाइज्ड ऑक्सीजन की सुविधा उपलब्ध है। जहां इसकी व्यवस्था नहीं है, वहां सिलेंडर के जरिए ऑक्सीजन सप्लाई हो रही है। मंत्री के दौरे के बाद अस्पताल में सुधार के बारे में पूछने पर उन्होंने कुछ भी बोलने से मना कर दिया।

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सिविल में सीटी स्कैन मशीन खराब

सिविल अस्पताल में मौके पर वाटर मशीन चालू दिखी, लेकिन दो मशीनों में लगे चार नलों में से केवल दो ही ठीक तरीके से काम कर रहा है। बाकी दो नलों से बहुत हल्का-हल्का पानी निकल रहा है। सिविल में भी लोगों को पानी की समस्या से जूझना पड़ रहा है। यहां 10 साल पहले लगी सीटी स्कैन मशीन आए दिन खराब होती रहती है। इसके चलते मरीजों को बिना जांच कराए वापस लौटना पड़ता है। अस्पताल आए गंभीर मरीजों को वेंटिलेटर की सुविधा बड़ी मुश्किल से मिल पाती है। ओपीडी में भीड़ अधिक होने के चलते बहुत से मरीजों को रोजाना काफी देर इंतजार करना पड़ता है।

अस्पताल परिसर में वाहन खड़ा करने का कोई नियम नहीं है। हर तरफ गाडिय़ां गलत तरीके से पार्क रहती हैं। सिविल अस्पताल में एक दिन आधी बिल्डिंग में केबल फाल्ट के कारण बिजली गुल रही। बिजली गुल हो जाने से सभी जांचे रुक गई। अफरातफरी के बीच फाल्ट ठीक करने में करीब तीन घंटे लग गए।

सिविल अस्पताल में यूपी की पहली कैथ लैब खोली गई थी, लेकिन केवल लैब दो साल ही चली। इसके बाद से कैथ लैब बंद है। लैब खराब होने से एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी के लिए मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में मोटी रकम देनी पड़ती है। ऐसे में गरीब मरीजों को काफी दिक्कत होती है। अस्पताल के निदेशक डॉ. एचएस दानू ने बताया कि जल्द ही सीटी स्कैन मशीन लगने वाली है। इसके लिए शासन से बजट आ गया है। इसके अलावा अन्य मदों में भी बजट मिला है।

रोजाना कहां कितनी ओपीडी

बलरामपुर अस्पताल- 5800

सिविल अस्पताल- 3900

लोहिया अस्पताल- 4900

केजीएमयू- 4700

लोहिया इंस्टीट्यूट- 2000

इलाज के सरकारी संसाधन

केजीएमयू, एसजीपीजीआई, लोहिया इंस्टीट्यूट, लोहिया अस्पताल, भाऊराव देवरस संयुक्त अस्पताल, लोकबंधु अस्पताल, डफरिन अस्पताल।

प्राइमरी सेंटर्स- 52 पीएचसी, 9 सीएचसी, 8 बीएमसी

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लोहिया में पानी की समस्या गंभीर

लोहिया हॉस्पिटल में पानी और बिजली का बुरा हाल है। अस्पतालों में आए मरीजों को पानी की किल्लत से जूझना पड़ता है। पानी के लिए लोग अक्सर कतारों में लगे रहते हैं। आए दिन अस्पताल में बिजली गुल होती रहती है। इसके चलते मरीजों की जांच से लेकर इलाज तक का काम प्रभावित होता है। ओपीडी के बगल में लगे वाटर फ्रिजर की एक टोटी से ही पानी आता मिला जबकि इसमें चार टोटियां लगी हैं। एक तो अस्पताल का चक्कर और दूसरे पानी की समस्या से लोग परेशान हैं। इंदिरा नगर की नीतू ने बताया कि वे अक्सर लोहिया अस्पताल आती हैं, लेकिन यहां पानी की समस्या रहती है।

दूसरी ओर अस्पताल के निदेशक डॉ डीएस नेगी ने बताया कि पानी की बर्बादी बचाने के लिए केवल एक टोटी काम कर रही है। उन्होंने बताया कि वाटर कूलर के पास मरीज के तीमारदार बर्तन आदि चीजें धोने लगते है। ऐसे में पानी की बर्बादी होती है। ओपीडी के बगल वाली बिल्डिंग में वाटर मशीन कमरे में ताला बंद है। वहीं उस कमरे के बाहर लगे नल में पीने का पानी नहीं आ रहा है। इस तरह से केवल एक ही टोटी से मरीजों को ठंडा पानी मिल पा रहा है। लोहिया में वेंटिलेटर की समस्या है। हर साल वेंटिलेटर के लिए बजट तो आता है लेकिन फिर वापस चला जाता है। पैसा सीएमएसडी को जारी किया जाता है। लेकिन कोई इस ओर ध्यान नहीं देता है और पैसा वित्तीय वर्ष खत्म होने के बाद शासन को चला जाता है।



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