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स्वार्थपूर्ति के लिए नेताओं का पार्टी बदलना कोई नई बात नहीं है लेकिन जो परिवार तीन पीढ़ियों से कांग्रेस का सेवक रहा हो और उसके बदले अनगिनत लाभ लिये हों, उसका पार्टी छोड़कर धुर विरोधी पार्टी में शामिल होना उत्तर प्रदेश के संदर्भ में बड़ी राजनीतिक घटना है।
रतिभान त्रिपाठी
लखनऊ : स्वार्थपूर्ति के लिए नेताओं का पार्टी बदलना कोई नई बात नहीं है लेकिन जो परिवार तीन पीढ़ियों से कांग्रेस का सेवक रहा हो और उसके बदले अनगिनत लाभ लिये हों, उसका पार्टी छोड़कर धुर विरोधी पार्टी में शामिल होना उत्तर प्रदेश के संदर्भ में बड़ी राजनीतिक घटना है।
बात प्रतापगढ़ से तीन बार सांसद रहीं पूर्व विदेश मंत्री राजा दिनेश सिंह की पुत्री राजकुमारी रत्ना सिंह की हो रही है, जो एक दिन पहले कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गईं। इसके लिए उन्होंने दिल्ली और लखनऊ का मंच न चुनकर प्रतापगढ़ में ही चुनावी मंच का इस्तेमाल किया।
इस राजनीतिक घटनाक्रम से यह चर्चा आम है कि राजकुमारी रत्ना सिंह किसी राजनीतिक स्वार्थपूर्ति के लिए भाजपा में आई हैं या फिर यह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी की कोई कूटनीति है, जो लंबे अरसे से उनके राजनीतिक साथी रहे हैं।
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कांग्रेस के टिकट पर तीन बार सांसद रह चुकी हैं रत्ना
इन दिनों उत्तर प्रदेश में 11 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव चल रहे हैं। भाजपा लगभग सभी सीटों पर ताकतवर दिख रही है। प्रतापगढ़ की सदर सीट पर भी उपचुनाव हो रहा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वहीं जनसभा को संबोधित करने गए तो पूर्व सांसद राजकुमारी रत्ना सिंह ने कांग्रेस छोड़ भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने की घोषणा कर दी।
कालाकांकर राजघराने की बेटी रत्ना सिंह कांग्रेस के टिकट पर प्रतापगढ़ से तीन बार सांसद रह चुकी हैं। उनके पिता राजा दिनेश सिंह चार बार सांसद और केंद्रीय मंत्री रहे हैं।
जबकि उनके बाबा राजा रामपाल सिंह स्थापना के बाद से लगातार कांग्रेस में रहे हैं। कांग्रेस के शासनकाल में इस राजघराने का समाज और सरकार में बड़ा रुतबा रहा है।
सामाजिक रूतबा तो अब तक है, कांग्रेस की हालत पतली होने पर रत्ना सिंह चुनाव जरूर हार गई हैं। ऐसे में उनके कांग्रेस छोड़ भाजपा में जाने पर सवाल दर सवाल हैं।
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रत्ना सिंह को चुनाव जिताने में प्रमोद तिवारी का बड़ा योगदान
यह जगजाहिर है कि राजकुमारी रत्ना सिंह को प्रतापगढ़ से चुनाव जिताने में प्रमोद तिवारी का बड़ा योगदान रहता रहा है। कई बार कुछ विधानसभा क्षेत्रों में राजकुमारी रत्ना सिंह को कम वोट मिलते रहे हैं लेकिन आठ बार लगातार विधायकी का विश्व रिकॉर्ड बनाने वाले प्रमोद तिवारी के क्षेत्र रामपुर खास से उन्हें हमेशा सर्वाधिक वोट मिलते रहे हैं।
पिछले चुनाव में रत्ना सिंह को रामपुर खास में भी विरोधी से कम वोट मिले थे। इसको लेकर भी अलग अलग चर्चाएं हुईं लेकिन रत्ना सिंह और प्रमोद तिवारी ने एक दूसरे के खिलाफ इस मसले पर कोई टिप्पणी नहीं की थी।
समर्थकों के मन में उठे ये सवाल?
राजकुमारी रत्ना सिंह ने कांग्रेस छोड़ी जरूर है पर उस पार्टी के खिलाफ कोई टिप्पणी करने से परहेज किया है। लेकिन उनके समर्थकों को अचरज है कि तीन पीढ़ी का कांग्रेसी घराना अचानक भाजपाई कैसे गया। बातें कही सुनी ही सही लेकिन चर्चा में हैं कि राजकुमारी रत्ना सिंह अपने बेटे भूमन्यू सिंह का राजनीतिक भविष्य भाजपा में तलाश रही हैं।
उनका पार्टी बदलना इसी रणनीति का हिस्सा है। इस बारे में रत्ना सिंह से बातचीत की कोशिश की गई लेकिन संपर्क नहीं हो सका। गौरतलब है कि प्रमोद तिवारी बहुत निष्ठावान कांग्रेसी हैं।
अनेक संकटों से जूझने के बावजूद उन्होंने कभी अपनी पार्टी नहीं छोड़ी। रत्ना सिंह के भाजपा में जाने के बाद उभरे सवालों के बाबत पूछने पर प्रमोद तिवारी का कहना है कि रत्ना जी का जाना बहुत दुखद और दुर्भाग्य पूर्ण है।
दूसरे सवाल पर उनका साफ कहना है कि जो भी लोग अनर्गल बातें कर रहे हैं,वह कपोल कल्पहना है। मैं कांग्रेस का सच्चा सिपाही हूं और रहूंगा।
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