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यूपी में भाजपा सरकार एवं संगठन में बदलाव की तैयारी, होंगे चौकानें वाले निर्णय
लखनऊ : भारतीय जनता पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उत्तर प्रदेश सरकार एवं संगठन में बड़े बदलाव की तैयारी कर रही है। संभावना है कि जनवरी के अंत तथा फरवरी के प्रथम सप्ताह तक इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा। इस बदलाव में नेताओं की क्षेत्रीय एवं जातीय लोकप्रियता, प्रशासनिक क्षमता, कार्यदक्षता तथा पारदर्शी एवं ईमानदार छवि का ध्यान रखा जाएगा। अभी तक राज्य सरकार में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पसंद का एक भी मंत्री नहीं है।
नए बदलाव में मुख्यमंत्री की पसन्द का विशेष ध्यान रखा जाएगा। योगी मंत्रिमंडल में अनुभवी मंत्रियों की कमी के कारण भी कई तरह की प्रशासनिक एवं विभागीय कार्रवाई में कमियां उजागर हो रही है। इसलिए अनुभवी नेताओं के साथ ही युवा मंत्रियों को तरजीह दी जाएगी। संगठन में युवा कार्यकर्ताओं को बढ़ावा देने पर बल दिया गया है। संगठन में वरिष्ठ नेताओं को लेकर खींचतान बढ़ती है। संगठन को समय-समय पर सलाह देने के लिए वरिष्ठ नेताओं का एक मार्गदर्शक मंडल भी बनाया जाएगा।
उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार एवं संगठन में बदलाव की ख़बरों के बीच नेताओं का दिल्ली दौरा शुरू हो गया है। सरकार एवं संगठन में शामिल होने वाले नेता दिल्ली में अपने आकाओं से लगातार संपर्क बनाये हुए है। चर्चा है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र के नेतृत्व में संगठन के कामकाज पर निगाह रखने के लिए वरिष्ठ नेताओं की कोर कमेटी बनायी जाएगी जो हर पक्ष में बैठक कर संगठन की मजबूती एवं सक्रियता बढ़ाये रखने के लिए कार्यक्रम तैयार करेगी।
सूत्रों के अनुसार योगी सरकार अभी लखनऊ में 20-21 जनवरी को होने वाले इन्वेस्टर्स मीट की तैयारियों में जुटी हुई है। इससे मुख्यमंत्री को मंत्रीमंडल विस्तार में वरिष्ठों से चर्चा करने का समय नही मिल पा रहा है। सरकार एवं संगठन में बदलाव के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने पहले ही पहल शुरू कर दी है आैर अपनी राय से भाजपा नेतृत्व को अवगत करा दिया है।
संघ की रिपोर्ट में भी कई मंत्रियों के क्रियाकलापों पर आपत्तिया जतायी गयी है जबकि संगठन के भी कुछ पदाधिकारियों की कार्यशैली एवं सुस्ती पर भी नाराजगी जाहिर की गयी है। संघ की रिपोर्ट पर कार्रवाई हुई तो योगी मंत्रिमंडल के कम से कम 8 मंत्रियों की छुट्टी होनी तय है। कुछ मंत्रियों को संगठन में भी भेजे जाने की तैयारी है। इसी प्रकार संगठन में आधे से ज्यादा पदाधिकारियों को हटाकर नये लोगों को जिम्मेदारी सौपीं जाएगी। जिलों में भी 70 से 80 प्रतिशत जिलाध्यक्षों को बदले जाने की रिपोर्ट तैयार है।
मुख्यमंत्री भी अपने मंत्रिमंडल के कई विभागों की कार्यशैली से खुश नही है। संघ ने भी कुछ विभागों की कार्यशैली पर सवाल उठाये है। इन रिपोर्टो के अनुसार स्वास्थ्य, वन, ग्राम विकास, नगर विकास, विधि एवं न्याय, बेसिक शिक्षा एवं माध्यमिक शिक्षा, परिवहन विभागों के कामकाज पर असंतोष जाहिर किया है। इसमें कुछ मंत्रियों को हटाया जाना है तो कुछ के विभाग बदले जाएगे। भाजपा नेतृत्व ने संगठन में पिछड़े वर्ग को प्राथमिकता देने का मन बनाया है। इसी कड़ी के तहत परिवहन मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह तथा वन मंत्री दारा सिंह चौहान को संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जानी है। स्वतंत्रदेव को संगठन को लंबा अनुभव है तथा युवा पीढ़ी के नेता है। इसी प्रकार दारा सिंह चौहान पिछड़े वर्ग के नेता है। वन विभाग में दारा के कामकाज को लेकर भी कई आरोप लगे है। यही वजह थी कि वनाधिकारियों के तबादले की सूची को जुलाई 2017 में मुख्यमंत्री ने निरस्त कर दिया था।
आरोप था कि वनाधिकारियों के तबादले में बड़ी लेन-देन की गयी थी। इसके साथ ही कई आैर मंत्रियों के भी हटाये जाने की चर्चा है। योगी मंत्रिमंडल के विस्तार में 6 नये मंत्री बनाये जाने की संभावना है। इसी प्रकार संगठन में तीन महामंत्री, 4 उपाध्यक्ष तथा 6 सचिव बदले जाने है। इस बदलाव में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डा. महेन्द्र नाथ पाण्डेय को भी दो अपने विश्वस्त रखने की छूट होगी। जिलाध्यक्षों की नियुक्ति वरिष्ठ नेताओं की कोर-कमेटी तय करेगी।
भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तथा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष महेन्द्र नाथ पाण्डेय को 25 जनवरी तक सरकार एवं संगठन के बदलाव का खाका प्रस्तुत करने को कहा है। इसके बाद केन्द्रीय नेतृत्व की मुहर लगने के बाद बदलाव को हरी झंडी दे दी जाएगी।