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क्या कामयाब हो पाएंगे राहुल गांधी, बनेगी कांग्रेस युवाओं की पार्टी
कांग्रेस पार्टी में ऊपर से लेकर नीचे तक जारी उथल-पुथल अब बाहरी तौर पर भी दिखने लगी है। कार्यसमिति की बैठक से पहले जिन 23 नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष को पत्र लिखकर कांग्रेस के भविष्य को लेकर अपनी चिंता जताई है अब उनका भविष्य ही दांव पर लगता दिखाई दे रहा है।
लखनऊ: कांग्रेस कार्यसमिति की सोमवार को हुई बैठक के बाद जिस तरह कांग्रेस में आंतरिक संघर्ष का माहौल बना है उसने पार्टी कार्यकर्ताओं को दो बडे धडों में बांट दिया है। एक ओर कई दशक से संगठन से लेकर सरकार तक बारी-बारी अपनी सत्ता और ताकत का अहसास कराने वाले पार्टी के दिग्गज नेता हैं तो दूसरी ओर युवाओं की वह फौज है जो राहुल गांधी के साथ मिलकर संघर्ष की नई इबारत लिखने की कोशिश में है।
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कांग्रेस बनेगी युवाओं की पार्टी! (file photo)
अपने ही साथियों का तीखा विरोध झेलना पड़ रहा है
युवा पीढी को कांग्रेस की बागडोर संभालने के लिए तैयार रहने का मंत्र फूंकने में राहुल कामयाब रहे हैं। यही वजह है कि कार्य समिति के बहाने पार्टी शीर्ष पर उंगली उठाने वाले नेताओं को अपने ही साथियों का तीखा विरोध झेलना पड़ रहा है। आंतरिक संघर्ष का यह दौर भी नेतृत्व का फैसला होने तक जारी रहेगा ।
कांग्रेस पार्टी में ऊपर से लेकर नीचे तक जारी उथल-पुथल अब बाहरी तौर पर भी दिखने लगी है। कार्यसमिति की बैठक से पहले जिन 23 नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष को पत्र लिखकर कांग्रेस के भविष्य को लेकर अपनी चिंता जताई है अब उनका भविष्य ही दांव पर लगता दिखाई दे रहा है। गुलाम नबी आजाद को पार्टी से बाहर करने की मुखर मांग उत्तर प्रदेश की जमीन से उठ चुकी है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधान परिषद में कांग्रेस दल के नेता रहे नसीब पठान ने गुलाम नबी आजाद के खिलाफ जिस तरह की आग उगली है उससे पार्टी में जारी संघर्ष और पार्टी के भावी स्वरूप की कल्पना की जा सकती है।
कांग्रेस बनेगी युवाओं की पार्टी (instagram)
ऐसी ही नाराजगी का सामना पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद को भी झेलना पड़ रहा है
कार्यकर्ताओं की ऐसी ही नाराजगी का सामना पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद को भी झेलना पड़ रहा है। उनके अपने राजनीतिक कार्य क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी के जिलाध्यक्ष ने ही उनके खिलाफ बिगुल फूंक रखा है। यह हाल तब है जबकि जितिन प्रसाद ने कांग्रेस अध्यक्ष को पत्र लिखने वाली गलती को सुधारने की कोशिश करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष को नया पत्र लिखकर संगठन में फेरबदल की बात उठाई है। कार्यसमिति की बैठक में अध्यक्ष को यह अधिकार दिया गया है कि वह संगठन में मनचाहा फेरबदल कर लें। इसी बात को जितिन ने अपने पत्र में दोहराया है लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं का आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा है।
कांग्रेस के जानकारों का कहना है
कांग्रेस के जानकारों का कहना है कि संघर्ष का यह दौर दरअसल पार्टी में नए शक्ति केंद्र की स्थापना से जुड़ा है। सोनिया गांधी से राहुल और प्रियांका गांधी तक सत्ता हस्तांतरण के दौर में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं और कार्यकर्ताओं को नया अनुभव हो रहा है। राहुल और उसके बाद प्रियांका गांधी ने पार्टी के जमे – जमाए दिग्गज नेताओं के बजाय नए लोगों पर दांव लगाना शुरू कर दिया है। यह परिवर्तन कांग्रेस के महारथियों को रास नहीं आ रहा है। जितिन प्रसाद के रुख को उत्तर प्रदेश कांग्रेस की बागडोर से जोडकर देखा जा रहा है। पार्टी के एक वर्ग का मानना था कि केंद्र में मंत्री का ओहदा संभाल चुके जितिन को प्रदेश अध्क्ष का दायित्व सौंपकर उनके राजनीतिक कद का सम्मान किया जाएगा लेकिन प्रियंका ने प्रदेश में नई टीम खडी करने का जोखिम उठाया है।
इन कांग्रेस नेताओं के रास्ते का बाधा बने राहुल गाँधी
इसी तरह केंद्र में गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी जैसे नेताओं को भी संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलने की उम्मीद बनी हुई थी लेकिन उनकी इस राह में राहुल गांधी बाधा बने हुए हैं। राहुल गांधी ने पिछले दशक में युवा कार्यकर्ताओं को महत्वपूर्ण दायित्व सोंपने की शुरुआत की है। पिछले दशक में उन्होंने कांग्रेस के युवा एवं छात्र संगठन को पूरी तरह लोकतांत्रिक चोला पहनाने की कोशिश की है। इससे कांग्रेस के उन नेताओं का तिलिस्म टूटा है जो सालों-साल तक युवाओं को अपने पीछे घूमने के लिए मजबूर करते रहे हैं। राहुल की इसी कार्यशैली की वजह से पार्टी का युवा वर्ग उनके साथ खडा है और महारथियों को ललकार रहा है।
कांग्रेस बनेगी युवाओं की पार्टी (instagram)
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प्रदेश कांग्रेस के प्रशासन प्रभारी सिद्धार्थ प्रिय श्रीवास्तव का कहना है कि जो लोग आज पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र की दुहाई दे रहे हैं और चुनाव की वकालत कर रहे हैं । उन्हें सबसे पहले राहुल गांधी को नेता मानकर सैल्यूट करना चाहिए क्योंकि युवा संगठन में राहुल गांधी ने इसकी शुरुआत दस साल पहले ही कर दी है। आंतरिक लोकतंत्र बहाली के सबसे बडे पैरोकार तो राहुल ही हैं। वह भी चाहते हैं कि पार्टी के संगठन पदों पर कुंडली मारकर बैठे नेता पद खाली करें जिससे नई पीढी को काम करने का मौका मिले। उन्होंने एक साल पहले ही पद छोड दिया लेकिन तमाम ऐसे नेता हैं जो पद से चिपक गए हैं और कांग्रेस की छवि खराब कर रहे हैं।
अखिलेश तिवारी
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