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RJD में छिड़ा घमासान, तेजप्रताप के करीबी को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाया, लालू के बेटे का बड़ा हमला
राष्ट्रीय जनता दल में ऊपर से भले ही सबकुछ दुरुस्त दिख रहा हो मगर भीतर ही भीतर जबर्दस्त सियासी घमासान छिड़ा हुआ है।
Delhi: राष्ट्रीय जनता दल में ऊपर से भले ही सबकुछ दुरुस्त दिख रहा हो मगर भीतर ही भीतर जबर्दस्त सियासी घमासान छिड़ा हुआ है। राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव के दोनों बेटे तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव भले ही एक-दूसरे पर हमले न कर रहे हों मगर भीतर ही भीतर एक-दूसरे को पटखनी देने की सियासी चालें जरूर चली जा रही हैं।
इसी कड़ी में तेजस्वी यादव के करीबी माने जाने वाले प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने बुधवार को छात्र राजद के प्रदेश अध्यक्ष आकाश यादव की छुट्टी करते हुए उनकी जगह गगन कुमार को छात्र राजद का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया।
आकाश यादव को तेज प्रताप यादव का करीबी माना जाता है। तेज प्रताप यादव पहले ही जगदानंद सिंह पर हमले करते रहे हैं। और माना जा रहा है कि जगदानंद सिंह ने यह कदम उठाकर तेज प्रताप को जबर्दस्त झटका देने के साथ ही बदला भी चुकाया है।
जगदानंद सिंह स्वतंत्रता दिवस के दिन प्रदेश कार्यालय पर झंडारोहण करने नहीं पहुंचे
प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह की ओर से की गई इस कार्रवाई को तेजस्वी यादव का भी समर्थन बताया जा रहा है। क्योंकि तेजस्वी यादव के साथ लंबी बातचीत के बाद ही जगदानंद सिंह ने यह कदम उठाया है। पिछले दिनों तेज प्रताप यादव की ओर से हमला किए जाने के बाद से जगदानंद सिंह प्रदेश कार्यालय नहीं आ रहे थे। यहां तक कि स्वतंत्रता दिवस के दिन झंडारोहण के लिए भी वे प्रदेश कार्यालय नहीं पहुंचे थे। तब आनन-फानन में तेजस्वी यादव ने प्रदेश कार्यालय पहुंच कर झंडा फहराया था।
जगदानंद सिंह ने छात्र राजद के प्रदेश अध्यक्ष को हटाया
जगदानंद सिंह के प्रदेश कार्यालय न पहुंचने के पीछे उनकी नाराजगी को कारण बताया जा रहा था। उनकी नाराजगी के कारण ही सियासी हलकों में यह चर्चा भी फैल गई थी कि वे जल्द ही पद मुक्त होना चाहते हैं। लेकिन बुधवार को अचानक प्रदेश कार्यालय पहुंचने के बाद जगदानंद सिंह ने सियासी धमाका करते हुए छात्र राजद के प्रदेश अध्यक्ष आकाश यादव की छुट्टी कर दी।
तेजस्वी यादव से मुलाकात के बाद उठाया कदम
प्रदेश कार्यालय पहुंचने से पहले जगदानंद सिंह पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के सरकारी आवास पर पहुंचे थे जहां पर उनकी तेजस्वी यादव के साथ मुलाकात हुई थी। दोनों नेताओं के बीच करीब दो घंटे तक बातचीत हुई। इसके बाद जगदानंद सिंह प्रदेश कार्यालय पहुंचे और उन्होंने आकाश यादव को पद से हटाने का लेटर जारी कर दिया। पिछले दिनों प्रदेश कार्यालय पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान आकाश यादव की ओर से लगाए गए पोस्टरों से तेजस्वी यादव का चेहरा गायब था। इसे लेकर भी सियासी हलकों में खूब चर्चा हुई थी और इसे दोनों भाइयों के बीच घमासान के तौर पर लिया गया था।
तेजप्रताप ने दिलाई पार्टी संविधान की याद
प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह की ओर से की गई इस कार्रवाई पर तेज प्रताप यादव भड़क गए हैं। उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष को पार्टी संविधान की याद दिलाई है। तेज प्रताप यादव ने कहा कि प्रवासी सलाहकार से सलाह लेने में प्रदेश अध्यक्ष को इस बात का भी ख्याल नहीं रहा कि पार्टी संविधान से चलती है। पार्टी के संविधान के मुताबिक किसी भी पदाधिकारी को पद से हटाने से पहले उसे नोटिस दी जाती है। नोटिस दिए बिना किसी को पद मुक्त नहीं किया जा सकता। प्रदेश अध्यक्ष की ओर से की गई कार्रवाई में पार्टी संविधान का भी ध्यान नहीं रखा गया।
जगदानंद सिंह ने नाराजगी से इनकार किया
बाद में मीडिया की ओर से सवाल पूछे जाने पर प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि तेजप्रताप से नाराजगी का कोई सवाल ही नहीं है। छात्र राजद के नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के सवाल पर उन्होंने कहा कि मेरी ओर से छात्र राजद का गठन ही नहीं किया गया था। यह पद पहले से ही खाली चल रहा था और इस पर अब गगन कुमार की नियुक्ति की गई है।
पिछले दिनों लगाए गए पोस्टरों को लेकर पैदा हुए विवाद को लेकर जगदानंद सिंह ने कहा कि बहुत से लोग पोस्टर लगाते हैं। उन्होंने कहा कि राजद में किसी भी प्रकार का कोई विवाद नहीं है। और विपक्ष के लोग नाहक ही विवाद पैदा करने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
विवाद और गहराने की आशंका
सियासी जानकारों का कहना है कि छात्र राजद के प्रदेश अध्यक्ष पद पर किए गए इस बदलाव को लेकर आने वाले दिनों में पार्टी में बड़ा विवाद पैदा हो सकता है। आकाश यादव को तेजप्रताप यादव का करीबी माना जाता रहा है। और इस मुद्दे को लेकर तेज प्रताप यादव की ओर से जगदानंद सिंह पर हमले और तेज किए जा सकते हैं। माना जा रहा है कि इस फैसले के पीछे तेजस्वी यादव का भी हाथ है और यह विवाद दो भाइयों के बीच सियासी घमासान छिड़ने का बड़ा कारण बन सकता है। अब देखने वाली बात यह होगी कि राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव की ओर से इस विवाद को किस तरह सुलझाया जाता है।