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Real Shiv Sena: असली शिवसेना की जंग हुई और तीखी, उद्धव ठाकरे के बाद अब एकनाथ शिंदे भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे
Real Shiv Sena: शिवसेना पर प्रभुत्व स्थापित करने के लिए उद्धव ठाकरे और मौजूदा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच जंग तीखी हो गई है। उद्धव ठाकरे के बाद अब सीएम एकनाथ शिंदे भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं।
Real Shiv Sena: शिवसेना पर प्रभुत्व स्थापित करने के लिए उद्धव ठाकरे और मौजूदा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच जंग तीखी हो गई है। दोनों एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोलने का कोई मौका नहीं चूक रहे हैं। उद्धव ठाकरे के बाद अब एकनाथ शिंदे भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। शिंदे की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए ताजा हलफनामे में मांग की गई है कि चुनाव आयोग को असली शिवसेना का फैसला करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
दरअसल दोनों गुटों की ओर से असली शिवसेना होने का दावा किया जा रहा है और यह मामला चुनाव आयोग की चौखट पर पहले ही पहुंच चुका है। आयोग की ओर से दोनों पक्षों को आपत्तियां और दस्तावेज दाखिल करने के लिए 8 अगस्त तक का समय दिया गया है।
शिंदे ने एससी में दाखिल किया हलफनामा
चुनाव आयोग के इस आदेश के खिलाफ उद्धव गुट पहले ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर चुका है। पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की ओर से शीर्ष अदालत में दाखिल की गई याचिका में कहा गया है कि बागी विधायकों का मामला अभी भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इस संबंध में शीर्ष अदालत में सुनवाई चल रही है और ऐसे में शीर्ष अदालत का फैसला आने तक चुनाव आयोग को असली शिवसेना के संबंध में कोई भी फैसला लेने से रोका जाना चाहिए। दरअसल चुनाव आयोग की तरफ से 8 अगस्त तक का समय तय किए जाने के बाद उद्धव गुट सक्रिय हो गया है।
अब इस संबंध में एकनाथ शिंदे भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। उन्होंने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करके शिवसेना में हुई बगावत का पूरा ब्योरा पेश किया है। उन्होंने उद्धव के साथ सिर्फ 15 विधायकों के होने का जिक्र करते हुए कहा कि 15 विधायकों के समूह की ओर से 39 विधायकों को बागी गुट नहीं कहा जा सकता। शिंदे की ओर से शीर्ष अदालत से मांग की गई है कि असली शिवसेना के संबंध में चुनाव आयोग को फैसला करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
आयोग को फैसला लेने की छूट देने की मांग
मुख्यमंत्री के करीबियों का कहना है कि किसी भी राजनीतिक दल और उसके चुनाव निशान के संबंध में कोई भी विवाद पैदा होने पर चुनाव आयोग की ओर से ही फैसला किया जाता है। अगर इस मामले में सियासी दलों की ओर से सुप्रीम कोर्ट का सहारा लिया जाएगा तो फिर चुनाव आयोग का कोई मतलब ही नहीं रह जाएगा। शिंदे की ओर से दाखिल किए गए हलफनामे में यह भी कहा गया है कि विधायकों की अयोग्यता का फैसला विधानसभा के स्पीकर की ओर से लिया जाना चाहिए।
इस मामले में कोर्ट को किसी भी प्रकार का दखल नहीं देना चाहिए। हलफनामे में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की ओर से विधानसभा में फ्लोर टेस्ट कराने के फैसले का भी जिक्र किया गया है। उद्धव गुट की ओर से राज्यपाल के फैसले को भी चुनौती दी गई है। फ्लोर टेस्ट के दौरान एकनाथ शिंदे ने आसानी से अपना बहुमत साबित कर दिया था।
तीन अगस्त को होनी मामले की सुनवाई
शिवसेना में हुई बगावत से जुड़ी याचिकाओं की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की ओर से की जा रही है। इस मामले में अगली सुनवाई 1 अगस्त के बजाय 3 अगस्त को होने वाली है। माना जा रहा है कि 3 अगस्त को दोनों पक्षों के वकीलों की ओर से एक बार फिर शीर्ष अदालत के सामने दमदार दलीलें रखने की कोशिश की जाएगी।
इस बीच राज्य में शिंदे कैबिनेट के विस्तार की तस्वीर अभी पूरी तरह साफ नहीं हो सकी है। शिंदे ने जल्द ही राज्य में कैबिनेट विस्तार होने का दावा किया था। माना जा रहा है कि विधानसभा का सत्र शुरू होने से पहले शिंदे कैबिनेट का विस्तार होगा। जानकार सूत्रों का कहना है कि शिंदे गुट और भाजपा के बीच कैबिनेट विस्तार का फार्मूला पहले ही तय हो चुका है।