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सचिन पायलट ने फिर फोड़ा लेटर बम, आरक्षण के मुद्दे से बढ़ाई गहलोत की मुसीबत

पायलट ने मुख्यमंत्री को लिखी इस चिट्ठी में चुनावों में किए गए आरक्षण के वादे को याद दिलाया है। उन्होंने यह भी कहा है कि चुनावी घोषणा के बावजूद अभी तक सरकार की ओर से इस मांग को पूरा नहीं किया गया है।

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Published on: 12 Sep 2020 3:08 PM GMT
सचिन पायलट ने फिर फोड़ा लेटर बम, आरक्षण के मुद्दे से बढ़ाई गहलोत की मुसीबत
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सचिन पायलट ने फिर फोड़ा लेटर बम, आरक्षण के मुद्दे से बढ़ाई गहलोत की मुसीबत

अंशुमान तिवारी

जयपुर: राजस्थान कांग्रेस में एक बार फिर उठापटक के आसार दिखने लगे हैं। पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की ओर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लिखी गई चिट्ठी के बाद राज्य की सियासत में एक बार फिर खींचतान की संभावना बनने लगी है। पायलट ने मुख्यमंत्री को लिखी इस चिट्ठी में चुनावों में किए गए आरक्षण के वादे को याद दिलाया है। उन्होंने यह भी कहा है कि चुनावी घोषणा के बावजूद अभी तक सरकार की ओर से इस मांग को पूरा नहीं किया गया है।

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एमबीसी आरक्षण के वादे की याद दिलाई

पायलट ने अपनी चिट्ठी में मुख्यमंत्री को सरकारी नौकरियों में गुर्जर और अति पिछड़ा वर्ग (एमबीसी) को पांच फ़ीसदी आरक्षण दिए जाने के वादे की याद दिलाई है। पायलट का कहना है कि मेरी जानकारी में यह बात आई है कि राज्य सरकार की ओर से निकाली गई भर्तियों में अति पिछड़ा वर्ग को अभी तक आरक्षण नहीं दिया जा रहा है।

पायलट के मुताबिक पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2018 और रीट भर्ती 2018 में भी अति पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिला। पायलट ने कहा कि राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले प्रतिनिधिमंडल ने मुझसे मिलकर इस मुद्दे पर मेरा ध्यान खींचा है। उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से कांग्रेस की ओर से इस बाबत किए गए चुनावी वादे को पूरा करने की अपेक्षा की है।

विकास कार्य ठप होने का भी जिक्र

आरक्षण के मुद्दे के साथ ही पायलट ने देवनारायण बोर्ड व देवनारायण योजना के तहत आने वाले विकास कार्यों का भी जिक्र किया है। पायलट के मुताबिक इस योजना के तहत आने वाले विकास कार्य पूरी तरह ठप हो गए हैं क्योंकि इन दोनों योजनाओं के लिए उचित बजट आवंटन नहीं किया गया है।

पायलट ने कहा कि इन दोनों योजनाओं के तहत विकास कार्यों को पूरा करने के लिए उचित बजट आवंटन किए जाने की मांग भी जोर पकड़ रही है।

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सचिन ने खड़ा किया था गहलोत के लिए संकट

पूर्व मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने हाल में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद कर दिया था जिसकी वजह से गहलोत सरकार के लिए बड़ा संकट खड़ा हो गया था। पायलट के बगावत की वजह से राज्य की सियासत में करीब एक महीने तक उठापटक का दौर चला था मगर आखिरकार कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से बातचीत के बाद सचिन पायलट की पार्टी में वापसी हो गई थी।

गहलोत के हमलों का जवाब नहीं

राज्य में सियासी संकट के दौरान गहलोत ने कई बार सचिन पायलट पर तीखे हमले किए थे। वैसे सचिन पायलट ने इन हमलों को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की थी। जानकारों का कहना है कि पायलट की पार्टी की मुख्यधारा में वापसी के बावजूद दोनों नेताओं के बीच रिश्ते अभी भी सामान्य नहीं हो सके हैं।

कांग्रेस के फेरबदल में सचिन को जिम्मेदारी नहीं

सचिन पायलट को बगावत के बाद राज्य में उपमुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया था और कांग्रेस अध्यक्ष पद भी उनसे छीन लिया गया था। अब सचिन पायलट की पार्टी में वापसी के बाद हर किसी की नजर दोनों नेताओं के रिश्तों पर टिकी है।

शुक्रवार को कांग्रेस संगठन किए गए फेरबदल में भी सचिन पायलट को कोई नई जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई है। जानकारों का कहना है कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व अभी कुछ और दिनों तक सचिन पायलट को आजमाना चाहता है और उसके बाद ही उन्हें पार्टी में कोई नई जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।

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