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सपा में छिड़े युद्ध से दुविधा में मुसलमान: अखिलेश की चुप्पी, मुस्लिम समाज का बढ़ा रही असमंजस
UP Politics News: आजम खान के मीडिया प्रभारी फसाहत अली शानू ने एक कार्यक्रम में यह कहा है कि पिछले ढाई साल में अखिलेश यादव ने आजम खान को जेल से छुड़ाने के लिए किसी तरह का कोई प्रयास नहीं किया।
UP Politics News: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Elections 2022) में समाजवादी पार्टी (सपा) (Samajwadi Party) को जिताने के लिए यादव-मुस्लिम समुदाय ने पूरी ताकत लगा दी थी, लेकिन अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की सत्ता में वापसी नहीं हो सकी। इसके बाद हुए विधान परिषद की 36 सीटों के चुनाव में भी सपा एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं कर सकी। इन दो चुनावों के नतीजे के बाद अब सपा अंदरूनी कलह शुरू हो गई।
सबसे पहले सपा मुखिया अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) ने अपनी नाराजगी का इजहार किया। इसके बाद शफीकुर्रहमान बर्क और आजम खान खेमे से बगावती सुर उठने लगे हैं। तो शहाबुद्दीन सरीखे कई मौलाना भी सपा से अलग विकल्प तलाशने की बात कहने लगे हैं। कुल मिलाकर सपा में छिड़े घमासान ने यूपी के मुसलमानों को दो राहे पर खड़ा कर दिया है। वे अब यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि आखिर करें तो क्या करें?
सपा के पारम्परिक कहे जाने वाले मुस्लिम वोट बैंक में फैली सियासी अनिश्चितता से कांग्रेस की बांछे खिला दी है। वहीं दूसरी तरफ आजम खां एक बार फिर सपा से दूर होने की सोचने लगे है। यदि ऐसा होता होता तो सपा का मुस्लिम-यादव (एमवाई) समीकरण बिगड़ सकता है और सपा को मुस्लिम वोटबैंक से हाथ धोना पड़ सकता है। इसका संकेत सपा के कई नेताओं ने दिया था।
आजम खान को जेल से छुड़ाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया-फसाहत अली शानू
आजम खान के मीडिया प्रभारी फसाहत अली शानू ने एक कार्यक्रम में यह कहा है कि पिछले ढाई साल में अखिलेश यादव ने आजम खान को जेल से छुड़ाने के लिए किसी तरह का कोई प्रयास नहीं किया। संभल से सपा के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क (Shafiqur Rahman Burke) ने भी यह कहा था कि सपा मुस्लिमों की आवाज नहीं उठा रही है। इन नेताओं के बयान आने के बाद जब अखिलेश यादव की तरफ के कोई बयान नहीं आया तो बुधवार को तो आजम के समर्थक कहे जाने वाले सलमान जावेद राईन ने अखिलेश यादव द्वारा आजम खान, सपा विधायक नाहिद हसन और शहजिल इस्लाम के लिए आवाज ना उठाने के सवाल पर सपा इस्तीफा दे दिया।
शिवपाल, शफीकुर्रहमान और आजम खां सपा मुखिया से खफा
इसके बाद भी गुरुवार को सपा मुखिया अखिलेश यादव ने प्रेस कांफ्रेंस में शिवपाल सिंह यादव, शफीकुर्रहमान बर्क और आजम खान खेमे की नाराजगी को लेकर एक भी शब्द नहीं बोला। जबकि सपा मुखिया अखिलेश यादव को पता है कि सपा के बड़े मुस्लिम चेहरों की नाराजगी सपा के सियासी समीकरण को कमजोर कर सकती हैं। फिर भी वह चुप है तो इसकी क्या वजह है? क्या अखिलेश चाहते है कि शिवपाल, शफीकुर्रहमान और आजम खां पार्टी छोड़ दें? फिलहाल इस सवाल का जवाब अखिलेश यादव और उनकी टीम के सदस्य नहीं दे रहे हैं।
अखिलेश यादव की खामोशी
जबकि राजनीतिक के जानकारों का कहना है कि इस मामले में अखिलेश यादव की खामोशी पार्टी के नाराज नेताओं को पार्टी से दूर कर देगी। और इसका असर पार्टी के वोटबैंक पर पड़ेगा। अब देखना यह है कि अखिलेश यादव पार्टी के नाराज मुस्लिम नेताओं के बीच पनपी इस असुरक्षा को भांप कर आजम खां और शफीकुर्रहमान वर्क को मनाने की पहल कब करते हैं। फिलहाल आजम खान (Aajam Khan) के करीबी नेता शिवपाल यादव के संपर्क में हैं। ऐसे में आने वाले समय में दोनों नेता एक खेमे में आ सकते हैं। ऐसा होने पर सपा के 'मुस्लिम-यादव' वोट बैंक पर असर पड़ेगा। 'एमवाई' फैक्टर सपा की साइकिल का सबसे बड़ा सहारा है। उस पर ही अब खतरा मंडरा रहा है। फिर भी अखिलेश यादव बेपरवाह हैं और सपा के मुस्लिम समर्थक दुविधा में हैं।
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