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एनसीपी प्रमुख शरद पवार का ऐलान- अब नहीं लड़ेंगे लोकसभा चुनाव
जहां चुनाव आयोग द्वारा आगामी लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोंषणा की गयी वहीं, महाराष्ट्र के कद्दावर नेता और एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने आगामी लोकसभा चुनाव, नहीं लड़ने का फैसला किया है। वहीं पिछले काफी समय से पवार द्वारा महाराष्ट्र की माढा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की अटकलें थी, हालांकि एनसीपी प्रमुख ने सोमवार को इन अटकलों को विराम दे दिया।
मुंबई: चुनाव लड़ने की संभावनाओं को विराम देते हुए एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा, कि ' मैंने सोचा कि मेरे परिवार से दो सदस्य पहले ही 2019 लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। मैं 14 बार चुनाव लड़ ही चुका हूं इसलिए मैंने महसूस किया कि यह चुनाव न लड़ने का फैसला करने का सही समय है।'
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जहां चुनाव आयोग द्वारा आगामी लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोंषणा की गयी वहीं, महाराष्ट्र के कद्दावर नेता और एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने आगामी लोकसभा चुनाव, नहीं लड़ने का फैसला किया है। वहीं पिछले काफी समय से पवार द्वारा महाराष्ट्र की माढा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की अटकलें थी, हालांकि एनसीपी प्रमुख ने सोमवार को इन अटकलों को विराम दे दिया।
शरद पवार ने इशारों-इशारों में चुनाव न लड़ने के संकेत देने के साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया कि माढ़ा से किसी और को चुनाव मैदान में उतारा जाएगा। वहीं अजित पवार के बेटे पार्थ पवार मावल से चुनाव लड़ेंगे। पवार ने कहा कि पार्टी के तमाम कार्यकर्ता और नेता पार्थ पवार को चुनाव में उम्मीदवार बनाने का आग्रह कर रहे थे।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता प्रफुल्ल पटेल ने बताया कि बुधवार को दिल्ली में राहुल गांधी और शरद पवार की बैठक में महाराष्ट्र गठबंधन पर चर्चा हुई। हालांकि अभी दूसरी सहयोगी पार्टियों से बातचीत पूरी नहीं हो पाई है, लेकिन लोकसभा चुनाव के लिए संभावित उम्मीदवारों का चयन कर लिया गया है। अगले 4-5 दिन में फाइनल लिस्ट जारी की जा सकेगी।
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महागठबंधन में कौन-कौन से दल शामिल रहेंगे, इसका स्वरूप कैसा रहेगा इन सभी मुद्दों पर बातचीत जारी है। प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि देश में महागठबंधन के रूप में एक मजबूत विकल्प बन रहा है। 2014 के आम चुनाव में भी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और इंडियन नेशनल कांग्रेस ने गठबंधन किया था। कांग्रेस ने महाराष्ट्र की 26 सीटों पर चुनाव लड़ा था जिसमें से उसे केवल 2 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। राकांपा ने 21 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे, जिनमें से 4 को जीत हासिल हो सकी थी। हालांकि लोकसभा चुनाव के कुछ ही समय बाद विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियां अलग हो गई थीं।