TRENDING TAGS :
Sharad Yadav Death: तीन राज्यों से बने सांसद, मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू कराने में बड़ी भूमिका
Sharad Yadav Death: लोकसभा में शरद यादव ने तीन राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया। उनका निधन समाजवादी राजनीति के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
Sharad Yadav Death: पूर्व केंद्रीय मंत्री और कद्दावर समाजवादी नेता शरद यादव का गुरुवार की रात निधन हो गया। समाजवादी और पिछड़ी जातियों की राजनीति के चैंपियन माने जाने वाले शरद यादव का लंबा राजनीतिक करियर रहा है। समाजवादी नेता डॉ राम मनोहर लोहिया और लोकनायक जयप्रकाश नारायण से प्रभावित रहने वाले शरद यादव अपने राजनीतिक जीवन में सात बार लोकसभा सांसद और तीन बार राज्यसभा सांसद चुने गए।
मजे की बात यह है कि लोकसभा में उन्होंने तीन राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया। मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू कराने में भी शरद यादव की महत्वपूर्ण भूमिका थी। उनका निधन समाजवादी राजनीति के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। शरद यादव के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश के कई बड़े नेताओं ने शोक जताया है।
डॉ लोहिया के विचारों से प्रभावित थे शरद यादव
शरद यादव के विचारों पर डॉक्टर लोहिया का काफी असर था। डॉक्टर लोहिया से प्रेरित होकर शरद यादव ने कई राजनीतिक आंदोलनों में हिस्सा लिया। आपातकाल के दौरान शरद यादव को गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया था। इसके अलावा भी राजनीतिक आंदोलनों के कारण उन्हें कई मौकों पर जेल की हवा खानी पड़ी। शरद यादव को देश में ओबीसी ही राजनीति का बड़ा चेहरा माना जाता रहा है। उन्हें मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू कराने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला नेता माना जाता है।
शरद यादव 1999 से 2004 के बीच अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में कई विभागों के मंत्री रहे। इससे पूर्व वीपी सिंह की सरकार में भी उन्होंने मंत्री के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। शरद यादव को पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का भी करीबी माना जाता था। जब एच डी देवगौड़ा के नेतृत्व में जनता दल (सेक्युलर) का गठन किया गया तो शरद यादव की अगुवाई में जनता दल (यूनाइटेड) का गठन हुआ।
तीन राज्यों से सात बार बने सांसद
अपने लंबे संसदीय जीवन के दौरान शरद यादव 7 बार लोकसभा का चुनाव जीतने में कामयाब रहे जबकि तीन बार वे राज्यसभा के सदस्य भी बने। मजे की बात यह है कि उन्होंने तीन राज्यों से लोकसभा चुनाव जीता। बिहार के मधेपुरा लोकसभा सीट से वे चार बार सांसद चुने गए। इस दौरान उन्होंने राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव को भी हराने में कामयाबी हासिल की। शरद यादव दो बार जबलपुर और एक बार उत्तर प्रदेश की बदायूं लोकसभा सीट से भी सांसद चुने गए। उन्होंने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के संयोजक की भूमिका भी निभाई थी।
जदयू को मजबूत बनाने में शरद यादव की प्रमुख भूमिका मानी जाती है मगर बाद में नीतीश कुमार से उनके रिश्ते में खटास आ गई। 2018 में शरद यादव ने जदयू से अलग होकर लोकतांत्रिक जनता दल का गठन किया। हालांकि वे अपनी पार्टी को सियासी रूप से ज्यादा मजबूत नहीं बना सके। पिछले साल उन्होंने अपनी पार्टी का राष्ट्रीय जनता दल में विलय कर दिया था।
छात्र जीवन में हासिल किया था गोल्ड मेडल
राजनीति के मैदान में सक्रिय होने से पहले शरद यादव काफी होनहार विद्यार्थी थे। उनका जन्म मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले में एक किसान परिवार में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा हासिल करने के बाद उन्होंने जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया। वे काफी प्रतिभाशाली छात्र थे और उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग में गोल्ड मेडल हासिल किया था।
इसके साथ ही उन्होंने रॉबर्टसन मॉडल साइंस कॉलेज से स्नातक की डिग्री भी हासिल की थी। काफी कम उम्र में ही वे राजनीति के मैदान में सक्रिय हो गए थे। जबलपुर से 1974 में पहली बार सांसद चुने जाने के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और उसके बाद देश की सियासत में प्रमुख भूमिका निभाई।