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शिवसेना ने कांग्रेस पर बोला बड़ा हमला, कहा-अब प्रदर्शन करके दिखाना ही होगा
'सामना' में लिखा है कि देश में भाजपा विरोधी असंतोष की चिंगारी भड़क रही है। लोगों को बदलाव चाहिए ही चाहिए इसलिए वैकल्पिक नेतृत्व की आवश्यकता है। सवाल यह है कि ये कौन दे सकता है?'
मुंबई: शिवसेना ने एक बार फिर कांग्रेस पर बड़ा हमला बोला है। यूपीए गठबंधन की कमान संभालने वाली कांग्रेस के खिलाफ ‘सामना’ में सवाल उठाते हुए शिवसेना ने कहा है कि जब कांग्रेस पत्थर को भी खड़ा करती थी, तो उसे लोगों का समर्थन हासिल होता था। लेकिन अब कांग्रेस के समर्थन वाली मतपेटी बदल चुकी है।
सामना के संपादकीय में कहा गया है कि यूपीए के नेतृत्व के लिए कांग्रेस को प्रदर्शन करके दिखाना होगा। संपादकीय में हाल में हुए चुनाव का जिक्र करते हुए कांग्रेस की दुर्दशा के बारे में बताया गया है।
सामना के संपादकीय में लिखा गया है, 'संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन अर्थात ‘यूपीए’ का मजबूत होना समय की मांग है। लेकिन ये कैसे होगा? फिलहाल विरोधियों की एकता पर राष्ट्रीय मंथन शुरू है। ‘यूपीए’ का नेतृत्व कौन करेगा यह विवाद का मुद्दा नहीं है।
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शिवसेना नेता संजय राउत की फोटो(सोशल मीडिया)
मुद्दा ये है कि यूपीए को मजबूत बनाना है और भाजपा के समक्ष चुनौती के रूप में उसे खड़ा करना है। कांग्रेस पार्टी ये सब करने में समर्थ होगी तो उसका स्वागत है।
संपादकीय में लिखा गया है, 'कांग्रेस नेतृत्व को ऐसा लग रहा है कि इस मामले में दूसरे लोगों को नहीं बोलना चाहिए। कांग्रेस बड़ी पार्टी है और गठबंधन का नेतृत्व बड़ी पार्टी ही करती है, ऐसा भी उनके नेता कहते हैं। हमारा भी कुछ अलग विचार नहीं है। बड़ी पार्टी को इस यात्रा के लिए हमारी शुभकामनाएं!'
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शिवसेना नेता संजय राउत की फोटो(सोशल मीडिया)
लोगों को बदलाव चाहिए ही चाहिए: सामना
कांग्रेस के बड़ी पार्टी होने को लेकर सामना में निशाना साधते हुए लिखा गया, 'नि:संदेह कांग्रेस आज तक बड़ी पार्टी है लेकिन बड़ी मतलब किस आकार की?
कांग्रेस के साथ ही तृणमूल और अन्नाद्रमुक जैसी पार्टियां संसद में हैं और ये सारी पार्टियां भाजपा विरोधी हैं। देश के विरोधी दल में एक खालीपन बन गया है और बिखरे हुए विपक्ष को एक झंडे के नीचे लाने की अपेक्षा की जाए तो कांग्रेस के मित्रों को इस पर आश्चर्य क्यों हो रहा है?
देश में भाजपा विरोधी असंतोष की चिंगारी भड़क रही है। लोगों को बदलाव चाहिए ही चाहिए इसलिए वैकल्पिक नेतृत्व की आवश्यकता है। सवाल यह है कि ये कौन दे सकता है?'
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