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अखिलेश-शिवपाल के बीच शह-मात का रोचक खेल, कौन होगा पास, कौन फेल

Rishi
Published on: 30 July 2017 4:15 PM GMT
अखिलेश-शिवपाल के बीच शह-मात का रोचक खेल, कौन होगा पास, कौन फेल
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राजकुमार उपाध्याय

लखनऊ: पिछले साल समाजवादी परिवार के बीच चले महासंग्राम के नतीजे में अखिलेश को तोहफे में साईकिल मिली और उनके चाचा शिवपाल यादव पैदल हो गए। पर उन्होंने हार नहीं मानी। वह अब तक परिवार को एकजुट करने की कोशिश में जुटे हैं।

उनके खेमे के दो सिपहसालार यशवंत सिंह और बुक्कल नवाब एमएलसी पद से इस्तीफा देकर भगवा खेमे का रूख कर चुके हैं। अन्य कई विधायकों के भी यही रास्ता अख्तियार करने की गुंजाइश है। इसकी आहट अखिलेश के कानों तक भी पहुंच चुकी है। नतीजतन उन पर कड़े राजनीतिक फैसलें लेने का दबाव है।

इसमें भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का तीन दिनी प्रवास आग में घी की तरह काम कर रहा है। सूत्रों की मानें तो शिवपाल यादव एनडीए का हिस्सा बनने के इच्छुक कहे जा रहे हैं। हालांकि मीडिया में वह अब तक इसका खंडन कर रहे हैं। पर सियासत में अक्सर देखा गया है कि अफवाह भी तमाम समीकरणों को खुर्द बुर्द करने की हैसियत रखते हैं।

अखिलेश खेमे पर इसी का बढ़ता दबाव देखा जा रहा है। उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव प्रो रामगोपाल यादव की चुप्पी भी अखर रही है। हालांकि अब तक इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

उधर शिवपाल यादव ने चुनाव के पहले जिन आरोपों के साथ रामगोपाल के निष्कासन की घोषणा की थी। अब उनकी चर्चा उसी भगवा खेमे से नजदीकी को लेकर गर्म है। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव दिल्ली मे हैं। शिवपाल यादव के अलावा पार्टी के कई विधायकों के भी दिल्ली प्रवास की खबर है।

प्रदेश में शाह की मौजूदगी सपा छत्रपों की सियासी हनक को ठंडा कर रही है। अफवाहों का बाजार गर्म है। इन सबके बीच अपने पिता मुलायम सिंह की छत्रछाया के बिना नयी स्थितियां अखिलेश की सियासी बौद्धिकता की परीक्षा ले रही हैं। चाचा—भतीजे के बीच चल रही इस रस्साकशी को संयोग कहें या राजनीतिक बाजीगरी पर साफ दिख रहा है कि अखिलेश और शिवपाल के बीच दिल्ली से लेकर लखनऊ तक शह-मात का खेल जारी है।

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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