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शिवपाल यादव को मिला इस कट्टर समाजवादी नेता का साथ, सपा सांसद हुए बागी

sudhanshu
Published on: 29 Oct 2018 3:55 PM IST
शिवपाल यादव को मिला इस कट्टर समाजवादी नेता का साथ, सपा सांसद हुए बागी
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कानपुर: पूर्व सांसद स्वर्गीय चौधरी हरमोहन सिंह के बेटे पूर्व सभापति और वर्तमान में राज्यसभा सांसद चौधरी सुखराम सिंह यादव के बगावती तेवर देखे जा सकते हैं। बल्कि यहाँ तक कयास लगाए जा रहे हैं कि बहुत जल्द वो प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया का दामन थाम सकते हैं। कानपुर का मेहरबान सिंह का पुरवा में बनी चौधरी हरमोहन सिंह की कोठी समाजवादी पार्टी का गढ़ रही है। चुनावी रणीनीति से लेकर मंत्रिमंडल के गठन तक की रणनीति चौधरी हरमोहन सिंह की कोठी से होकर निकलती थी। किसानों के सबसे प्रिय नेता रहे चौधरी हरमोहन सिंह सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह के राजनीतिक गुरु माने जाते थे। मुलायम सिंह और शिवपाल सिंह यादव जब भी कानपुर आते थे तो उनका आशीर्वाद लिए बिना नहीं जाते थे।

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सांसद सुखराम हैं नेताजी के करीबी

चौधरी हरमोहन सिंह के वर्ष 2012 में निधन के बाद चौधरी सुखराम सिंह यादव भी मुलायम सिंह और शिवपाल सिंह यादव के बेहद करीब रहे हैं। राज्यसभा सांसद सुखराम सिंह यादव सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को अपना नेता नहीं मानते है क्योंकि वो आज भी मुलायम सिंह यादव को अपना नेता मानते हैं। वर्ष 2012 में समाजवादी पार्टी की बागडोर जब अखिलेश यादव के हाथ में आयी तो इस परिवार ने अखिलेश यादव से दूरी बना ली। चौधरी हरमोहन सिंह का जब 2012 में निधन हुआ तो पूरा यादव परिवार शामिल हुआ था।

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अखिलेश ने नहीं दी तवज्‍जो

पूर्व सीएम अखिलेश यादव अपने पांच साल के कार्यकाल में एक या दो बार ही सुखराम सिंह यादव के घर पहुंचे हैं। लेकिन मुलायम सिंह यादव और शिवपाल समय-समय पर मेहरबान सिंह पुरवा का रूख करते रहे हैं। जैसे ही अखिलेश यादव के हाथ में सत्ता आई तो उनके परिवार में चाचा और भतीजे के बीच दरार पड़ने लगी। वर्ष 201 7 के विधानसभा चुनाव के वक्त अखिलेश यादव और शिवपाल के बीच का विवाद मीडिया की सुर्खियां बनने लगा। शिवपाल सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी से अलग होकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया का गठन किया। इसके साथ ही समाजवादी पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़ने का एलान कर दिया।

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शिवपाल यादव ने की थी खास बैठक

बीते 18 अक्टूबर 2018 को चौधरी हरमोहन सिंह की 97 वीं जयंती के मौके पर मेहरबान सिंह पुरवा में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया था। जिसमें शिवपाल सिंह यादव मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की थी। इस कार्यक्रम से सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव नदारद रहे। इस दौरान शिवपाल सिंह यादव और सुखराम सिंह यादव की बंद कमरे में एक घंटे तक बैठक भी हुई थी।

इसके बाद कानपुर देहात और आसपास के जनपदों में बनी यादव महासभा समेत कई असंतुष्ट कार्यकर्ताओं को प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के जिलाध्यक्ष से मुलाकात कर उनको समर्थन करने की अपील की है।

प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के मंडल अध्यक्ष रघुराज शाक्य के मुताबिक चौधरी सुखराम सिंह हमारे साथ हैं। इसके साथ ही शिवपाल सिंह यादव के बेहद करीबी हैं। यादव महासभा समेत कई छोटे-छोटे दल हमारे साथ हैं। हमारी पार्टी का लगातार विस्तार हो रहा है और बड़ी संख्या में युवा हमारे साथ जुड़ रहे हैं। इसके साथ ही कई अन्य दलों के लोग भी हमारे संपर्क में हैं।

इस घटना से बढ़ी दूरियां

13 दिसंबर 2014 को पूर्व विधान परिषद सभापति व वर्तमान राज्यसभा सांसद सुखराम सिंह यादव को पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने भरे मंच पर फटकार लगायी थी। दरअसल शहीद डिप्टी कमांडेंट के परिजनों को आर्थिक मदद का चेक सौंपने के लिए मुख्यमंत्री उठे थे। तभी सुखराम यादव भी पीछे-पीछे आ गए। इस बात से तमतमाए पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने घूरते हुए चेक उनकी तरफ बढ़ाई तो माहौल में सन्नाटा छा गया था। पूर्व श्रम मंत्री शाहिद मंजूर ने सुखराम को पीछे किया और स्थिति संभाली। लेकिन मंच पर बैठने के बाद भी अखिलेश यादव का मूड उखड़ा रहा था।

इसके बाद से सुखराम सिंह यादव और अखिलेश यादव में दूरियां बढती चली गईं। इसके बाद से अखिलेश यादव ने सुखराम सिंह यादव की तरफ रुख तक नहीं किया। मुलायम सिंह यादव की वजह से सुखराम सिंह यादव को राज्यसभा सांसद के लिए मनोनीत किया गया था। लेकिन अब सुखराम सिंह यादव के बगावती तेवर साफ देखे जा सकते हैं।



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