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राष्ट्रपति के बाद अब उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए गहमागहमी शुरू
राष्ट्रपति चुनाव के लिए केंद्र में सत्ताधारी एनडीए और कांग्रेस-वाम व क्षेत्रीय दलों के बीच सीधा मुकाबला तय होने के बाद अब उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए गहमागहमी शुरू हो गई है।
नई दिल्ली: राष्ट्रपति चुनाव के लिए केंद्र में सत्ताधारी एनडीए और कांग्रेस-वाम व क्षेत्रीय दलों के बीच सीधा मुकाबला तय होने के बाद अब उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए गहमागहमी शुरू हो गई है। राष्ट्रपति चुनाव की टकराहट के बाद अब यह तय हो गया है कि उपराष्ट्रपति पद के लिए बीजेपी और विपक्ष में सुलह की कोई गुंजाइश नहीं बची। बीजेपी के लिए इस पद पर किसी दमदार चेहरे को उतारना इसलिए जरूरी है क्योंकि उपराष्ट्रपति के राज्यसभा के सभापति होने के कारण साल 2018 में अहम विधेयकों को पारित करवाने में सभापति की भूमिका मोदी सरकार के लिए बहुत अहम रहेगी।
राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी तय होने के बाद अब उपराष्ट्रपति भी पीएम मोदी की निजी पंसद से तय होना है। इसलिए बाजी किसके हाथ लगती है इस पर गहमा गहमी शुरू हो गई है। मौजूदा उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का कार्यकाल 19 अगस्त को समाप्त हो रहा है। दूसरी ओर विपक्षी पार्टियां अभी उपराष्ट्रपति के मामले में मौन साधे हुए हैं। उपराष्ट्रपति पद पर भी बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए का पलड़ा पहले से ही भारी है।
राज्यसभा में भले ही बीजेपी का संख्याबल विपक्ष के मुकाबले कुछ कम है लेकिन दक्षिण की में तमिलनाडु, आंध्र व तेलांगाना की सत्ताधारी पार्टियों व विरोधियों का समर्थन हासिल होने के बाद अब उपराष्ट्रपति पद पर भी चुनाव मात्र औपचारिकता रह गई है। बता दें, कि इस पद के लिए संसद के दोनों सदनों के सांसद मतदाता होते हैं।
संसद का संख्याबल का पलड़ा भी पूरी तरह एनडीए के साथ है। बिहार के सीएम नीतीश कुमार के खुलकर भाजपा के साथ आने के बाद लगता नहीं कि नीतीश अब उपराष्ट्रपति पद पर समर्थन देने वापस विपक्ष के पाले में जाने की जहमत उठाएंगे। इसकी वजह यह भी है कि कांग्रेस व बाकी विपक्ष नीतीश कुमार के ऐन वक्त पर पाला बदलने से काफी खिन्न हैं।
राष्ट्रपति पद पर आसानी से अपनी पसंद का नाम सामने लाने के बाद अब एनडीए और बीजेपी के हलकों में संभावित नामों पर अंदरूनी अटकलें आरंभ हो गई हैं। बिहार के वरिष्ठ बीजेपी नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री हुकुम देव नारायण यादव उपराष्ट्रपति के संभावित नामों में सबसे आगे शुमार हो रहे हैं। वे इस वक्त लोकसभा सांसद हैं।
बिहार और यूपी में ताकतवर यादव समुदाय को भाजपा के पाले में खींचने के लिए यह तुरुप का पत्ता कारगर दिख रहा है। हालांकि दक्षिण की राजनीति के साथ संतुलन बनाने के लिए केंद्रीय शहरी विकास मंत्री एम वैंकेया नायडु के नाम पर भी विचार हो रहा है। हालांकि महिलाओं में गुजरात की पूर्व सीएम आंनदीबेन पटेल और जामिया मिलिया इस्लामिया की वीसी नजमा हेपतुल्ला का नाम भी चर्चा है लेकिन इन पर उसी सूरत में विचार होगा जब मोदी यह तय करेंगे कि किसी महिला उम्मीदवार को इस पद पर बिठाना है।
हालांकि, लोकसभा स्पीकर पद पर सुमित्रा महाजन को बिठाने के बाद उपराष्ट्रपति पद पर महिला को उतारने की गुंजाइश कम दिख रही है। बीजेपी सूत्रों के हिसाब से इतना तय है कि दलित पिछड़े फैक्टर के बजाय इस मामले में दक्षिण क्षेत्रीय संतुलन बिठाने पर ज्यादा जोर होगा।