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सीएम तो योगी हैं! तो फिर राहुल भटनागर की क्यों चल रही है भैया
लखनऊ : प्रभावी मुख्यमंत्री सचिवालय के अभाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मुख्यसचिव राहुल भटनागर पर निर्भरता बहुत लोगों को चौंका रही है। खासकर पिछले दिनों हुए 44 आईएएस अधिकारियों के तबादलों के बाद ।
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सत्ता के गलियारों के अंदरुनी सूत्रों का कहना है, कि इन तबादलों पर राहुल भटनागर की छाप साफ तौर पर देखी जा सकती है, और कुछ अधिकारियों के प्रमुख पदों पर नियुक्ति के वो जिम्मेदार भी माने जा रहे हैं । मुख्यमंत्री योगी ने सत्ता संभालने के साथ ही मेहनती और ईमानदार अधिकारियों का समर्थन किया है ।
सूत्रों का कहना है, कि हाल ही में हुए तबादलों में राहुल भटनागर की खूब चली । लेकिन कुछ मामलों में उनकी अधिकारियों की च्वाइस योगी की योजना के अनुरुप नहीं हो पाई । वैसे भटनागर की छवि आम लोगों से दूर रहने वाले अधिकारी की ही रही है, और इस बात की संभावना कम ही है कि वो मुख्यमंत्री योगी की रफ्तार के साथ तालमेल बनाकर चल सकें ।
इस बात को ऐसे भी समझा जा सकता है कि उनका ज्यादातर कार्यकाल प्रमुख सचिव गन्ना के तौर पर रहा है, और उन्होंने हमेशा इस विभाग को अपने साथ रखना चाहा है, यहां तक कि मुख्य सचिव बनने के बाद भी । गन्ना किसानों के भुगतान का योगी की चाह के विपरित राहुल भटनागर गन्ना लाबी के समर्थक माने जाते रहे हैं । ये देखने वाली बात होगी कि वो अपने कर्तव्यों का पालन कैसे कर पाते हैं ।
ये बात जो योगी आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण के समय ही मानी जा रही थी, कि उनके पास अपने वादों को पूरा करने का भारी दबाव है । ऐसे में राहुल भटनागर उनकी रफ्तार से कैसे खुद को मैच कर पाएंगे ये देखने वाली बात होगी।
सरकार द्वारा की गयी पहली पोस्टिंग जोकि शहरी विकास विभाग में की गयी थी, उससे विवाद खड़ा हो गया था, कि आखिर कैसे एक अक्षम को योगी ने इतनी बड़ी जिम्मेदारी दे दी । ये निर्णय तब तक तो सही था जब तक अच्छे अफसर नहीं मिल रहे थे योगी को । लेकिन जिस तरह से 44 अफसरों का ट्रांसफर किया गया वो संदेह पैदा करता है की अब क्या ।
राहुल का पद पर बने रहना भी सवाल पैदा कर रहा है, क्योंकि चुनाव के समय बीजेपी ने ही इनकी शिकायत आयोग से की थी। newstrack.com से योगी सरकार के एक कद्दावर मंत्री ने बताया कि मंत्रिमंडल में शामिल सभी साथी अच्छे सचिव चाहते थे, लेकिन राहुल की वजह से ऐसा मुमकिन नहीं हो सका ।