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राज्य सरकार अपना तानाशाही और अहंकारी रवैया छोड़े : अनिल दुबे

Teachers Covid-19 Dead : चुनाव ड्यूटी कारण मृत्यु का शिकार हुए शिक्षक, चिकित्सक आदि लोकतंत्र के लिए प्राणों की आहुति दी।

Shreedhar Agnihotri
Written By Shreedhar AgnihotriPublished By Shraddha
Published on: 19 May 2021 10:30 PM IST (Updated on: 19 May 2021 10:36 PM IST)
चुनाव ड्यूटी कारण मृत्यु का शिकार हुए शिक्षक
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राष्ट्रीय सचिव अनिल दुबे फाइल फोटो (सौ. से सोशल मीडिया)

Teachers Covid-19 Dead : राष्ट्रीय लोकदल (National Lok Dal) ने भाजपा सरकार (BJP Government) पर चुनाव ड्यूटी के दौरान मृत शिक्षकों, कर्मचारियों और चिकित्सकों के आश्रितों को मुआवजा देने में लगाई जा रही तकनीकी आपत्तियों की निंदा करते हुए कहा है कि सरकार अपना तानाशाही और अहंकारी रवैया छोड़ कर कोरोना जैसी महामारी में अपने प्राण गवाने वाले शिक्षकों, कर्मचारियों और चिकित्सकों के आश्रितों का साथ दे।

आज जारी बयान में राष्ट्रीय सचिव अनिल दुबे (National Secretary Anil Dubey) ने कहा कि त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव (Three tier panchayat elections) कराने की अधिसूचना माननीय उच्च न्यायालय (high Court) के निर्देश पर राज्य सरकार ने 25 मार्च को जारी की थी और पंचायत चुनाव (panchayat elections) जब हुए तब से प्रदेश में महामारी अधिनियम लागू है। संक्रामक रोग कोरोना जैसी राष्ट्रीय समस्या के समय चुनाव ड्यूटी करने के कारण मृत्यु का शिकार हुए कर्मचारी, शिक्षक और चिकित्सक आदि ने लोकतंत्र के लिए अपने प्राणों की आहुति दी है।


उन्होंने कहा कि शिक्षकों और कर्मचारियों कि मृत्यु में तकनीकी खामियां ढूंढने वालों को ये पता होना चाहिए कि कोरोना संक्रमण से मृत्यु तत्काल होने के बजाय कुछ समय बाद हो रही हैं और आपदा के माहौल में चुनाव कराने का फैसला शिक्षकों और कर्मचारियों पर थोपे जाने की तरह था, क्योंकि सरकार को मालूम था की चुनाव में कोविड प्रोटोकॉल का पालन संभव नहीं है। ऐसे में चुनाव की ड्यूटी में संक्रमित हुए शिक्षक और कर्मचारियों ने अपनी कर्तव्यनिष्ठा का पालन किया और राज्य सरकार को भी उनकी मृत्यु में तकनीकी कमियां ढूंढने के बजाय महामारी अधिनियम और कोविड प्रोटोकॉल के दायरे में शिक्षकों और कर्मचारियों की मृत्यु को देखना चाहिए।

राष्ट्रीय सचिव अनिल दुबे ने भाजपा सरकार पर लगाया आरोप

राष्ट्रीय सचिव अनिल दुबे ने कहा है की राज्य सरकार प्रदेश के शिक्षकों और कर्मचारी संगठनों द्वारा दी गयी सूची के मुताबिक लगभग 2000 शिक्षकों और कर्मचारियों के आश्रितों को तत्काल 50 - 50 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा करें उन्होंने कहा जो सरकार संकट के समय जनता का साथ छोड़ देती है, जनता भी उसे छोड़ देती है।



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