मोदी सरकार के 3 साल का सफरनामा: कितने आए अच्छे दिन ?

suman
Published on: 26 May 2017 11:20 AM GMT
मोदी सरकार के 3 साल का सफरनामा: कितने आए अच्छे दिन ?
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बदलती राजनीतिक बयार को भांपकर उसकी धारा में बह जाने वाले कुछ प्रशासनिक अधिकारियों ने अपनी चाल बदल ली है। राजधानी में बैठे कुछ आला अधिकारी संजय तिवारी

लखनऊ: केन्द्र में नरेन्द्र मोदी की सरकार के तीन वर्ष पूरे हो गये। अच्छे दिन के नारे के साथ सत्ता में आई, इस सरकार के इस त्रैवार्षिक रिपोर्टकार्ड का सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या भारत में अच्छे दिन आ गये। जनता की नजर में ये कितने अच्छे दिन हैं? इन तीन वर्षों में यकीनन दुनिया भी बदली है और देश भी। इन्हीं तीन वर्षों में भारतीय जनता पार्टी का अब तक का प्रबलतम विस्तार देखने को मिला है। इन तीन वर्षों में कश्मीर में पाकिस्तान के सर्वाधिक झंडे लहराये गये हैं। इन तीन वर्षों में और भी बहुत कुछ हुआ है। सेना के जवानों पर पत्थर भी बरसे हैं और थप्पड़ भी। लेकिन यह भी हुआ है कि पहली बार बिना युद्ध के भारत की सेना ने पाकिस्तान के भीतर घुसकर तबाही मचाई है और दुश्मन चिल्लाया है। पहले हर दो-तीन महीने पर देश के किसी कोने में फटने वाले बमों को इन तीन वर्षों में लकवा मार गया है। देश में केन्द्र की सरकार और उसके किसी मंत्री पर अभी तक भ्रष्टाचार का कोई आरोप सामने नहीं आया है। नक्सलवादियों ने यदि सुरक्षाबलों पर हमले किये हैं तो सुरक्षाबलों ने भी उनकी खाट खड़ी कर दी है। नोटबंदी जैसी प्रक्रिया जिसे दुनिया के सभी अर्थशास्त्री विफल होने का दावा कर रहे थे, वह भारत में सफल हुई और इधर-उधर फैला हुआ धन सरकार के खजाने को मिला यह अपने आप में एक कीर्तिमान से कम नहीं है। विश्वमंच पर भारत आर्थिक और सामरिक क्षेत्र में महारथी के रूप में उभर कर सामने आया है। एनएसजी पर दावेदारी को लेकर प्रधानमंत्री खुद दो सप्ताह के बाद रूस से मिलने जा रहे हैं।

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अपने तीन साल के कार्यकाल में मात्र २७५ करोड़ रूपये खर्च कर नरेन्द्र मोदी ने साढ़े तीन लाख किलोमीटर की यात्रा की है। यह यात्रा दुनिया की आठ यात्राओं के बराबर है। मोदी ने वास्तव में भारत की स्थापना के लिए विश्व मंथन किया है। वह दुनिया के बड़े से बड़े और छोटे-छोटे देशों में स्वयं जाकर संवाद स्थापित कर रहे हैं और भारत के पक्ष में दुनिया को खड़ा करने में उन्होंने बहुत बड़ी कामयाबी हासिल की है। देश के भीतर अपनी पार्टी का प्रसार और विश्वमंच पर भारत की दमदार स्थापना नरेन्द्र मोदी के तीन वर्षों के कार्यकाल का समग्र है। वैसे भी मोदी ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान यही कहा था कि मैं देश की चौकीदारी करने के लिए जनता के बीच आया हूं। हमारा यह चौकीदार सच में ऐसा चौकीदार बनकर उभरा है जिसने सीमाओं को सुरक्षित भी किया और सम्मानित भी।

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महत्वपूर्ण उपलब्धियां

प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी की महत्वपूर्ण उपलब्धियों में डिजिटल इंडिया, सार्क सेटेलाइट, उज्जवला योजना, वन रैंक वन पेंशन, रियल स्टेट बिल, नोटबंदी, जीएसटी, कैशलेश भारत बनाने की मुहिम, मन की बात से लोगों से संवाद और देश के सीमावर्ती राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की सरकारें बनवाने में सफलता को रेखांकित किया जा सकता है। अपने पड़ोसी चीन की आंखों में आंखें डालकर बात करने में भारत को अब कोई झिझक नहीं है। देश की एक्सपायर हो चुकी योजना आयोग जैसी संस्था को नीति आयोग के रूप में पुर्नजन्म देना भी मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धि है। हर साल पेश होने वाले दो बजट को एक करके रेल बजट को भी देश केेेे मूल बजट में शामिल करना इस सरकार की उपलब्धि है। मोदी के सत्तासीन होने के बाद ९ राज्यों में भारतीय जनता पार्टी ने सरकार बनाई। इनमें से ६ राज्य ऐसे हैं जहां पहली बार भाजपा को सत्ता नसीब हुई है। जम्मू-कश्मीर और आंध्रप्रदेश जैसे राज्यों में भाजपा की सहयोगी सरकारें हैं। भारत की कुल आबादी के ६३ प्रतिशत हिस्से पर काबिज होने में मोदी कामयाब हुए हैं।

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कश्मीर पर कवायद

कश्मीर से धारा 370 को हटाने की चर्चा उसी समय शुरू हो गई थी जिस दिन नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लिया था। अधिकांश लोगों को यह लगा था कि जल्द ही कश्मीर से धारा 370 हट जायेगा। कश्मीर को लेकर मोदी की नीति पर कोई संदेह नहीं किया जा सकता। पिछले तीन वर्षों में जिस तरह कश्मीर दबे हुए फोड़े से आगे निकलकर अब पका हुआ फोड़ा बन चुका है उस दशा में यह स्वीकार करने में कोई कोताही नहीं होनी चाहिए कि मोदी सरकार ने अब इस पके हुए घाव का ऑपरेशन शुरू दिया है। कश्मीर को लेकर पाकिस्तानी रणनीति को ध्वस्त करने में मोदी कामयाब रहे हैं। खासकर एलओसी पर भारतीय फौजों ने अपना शिकंजा कसा है और पाकिस्तान को चारों खाने चित कर दिया है। भारतीय सेना के दिग्गज जनरलों का भी मानना है कि कश्मीर में भारतीय फौज को ऐसी पोलिटिक्ल बैकिंग इससे पहले कभी नहीं मिली थी। भारत की सेना ने पहले पाकिस्तान में घुस कर सर्जिकल स्ट्राइक किया और अभी हाल में जिस तरह 30 सेकेंड में पाकिस्तान के १२ चौकियों को ध्वस्त किया है वह बेमिसाल है। यद्यपि कश्मीर में भारतीय जनता पार्टी और पीडीपी की संयुक्त सरकार है। बावजूद इसके कश्मीर की बढ़ती अशांति अब किसी निर्णय तक ले जा सकती है ऐसा भारतीय ही नहीं पाकिस्तानी मीडिया भी सोचने लगा है।

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आतंकवाद पर प्रहार

नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद से घरेलू और वैश्विक मंचों पर आतंकवाद के खिलाफ जिस तरह हल्ला बोला है वैसा इस देश ने पहली बार महसूस किया है। मोदी की क्षमता और इस दिशा में भारत की ताकत और पहल का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अभी चंद रोज पहले अरब में आयोजित ५५ मुस्लिम देशों के सम्मेलन में पाकिस्तान के प्रधानमुंत्री को मंच तक नहीं मिला। जिसे लेकर पाकिस्तान के भीतर असंतोष उपद्रव की स्थिति में पहुंच गया है। ऐसे सम्मेलन में पहले पाकिस्तान को बहुत महत्व दिया जाता था। इस सम्मेलन में अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप स्वंय मौजूद थे और अपने भाषण में उन्होंने एक तरफ पाकिस्तान का नाम तक नहीं लिया और दूसरी ओर भारत द्वारा आतंकवाद के खिलाफ लड़ी जा रही लड़ाई की खुलकर सराहना की। आतंकवाद के मुद्दे पर अपने वैश्विक यात्राओं के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा तैयार किये गये जनमत ने आज पाकिस्तान को अकेला खड़ा कर दिया। यद्यपि भारत में पहले पठानकोट और उड़ी के हमलों से विचलन की स्थिति जरूर आई , लेकिन भारतीय सेना ने इसका जिस जज्बे से बदला लिया और भारत के नेत़ृत्व ने सेना का जिस तरह मनोबल बढ़ाया उसकी सारी दुनिया सराहना कर रही है।

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पूर्वोत्तर पर पहल

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नजर हमेशा भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को लेकर बहुत सतर्क रही है। अपने चुनाव प्रचार के समय से लेकर ही मोदी पूर्वोत्तर राज्यों को देश की मुख्यधारा से जोडऩे और सुरक्षित करने को लेकर अत्यंत संजीदा रहे हैं। कई दशकों से उलझे हुए नागा समस्या को जिस तरह से मोदी ने हल किया वह भारत के लिए ऐतिहासिक दिन था। मोदी के नेतृत्व में पहली बार भारतीय जनता पार्टी को असम मणिपुर और अरूणांचल जैसे राज्यों में सरकार बनाने का अवसर मिला है। यह मोदी की दूर दृष्टि का परिणाम है कि पूर्वोत्तर राज्यों में उनके प्रति जनता में विश्वास बढ़ा है और भारत की पूर्वोत्तर सीमाएं सुरक्षित हुई हैं। यह भी एक इतिहास बनने जा रहा है कि अपनी सरकार के तीन साल पूरे होने के उपलक्ष्य में नरेन्द्र मोदी 26 मई को पूर्वोत्तर में ही रहने वाले हैं। वह इसी दिन भारत के सामरिक महत्व के और देश के सबसे बड़े लम्बे पुल को लोकार्पित करेंगे। यह पुल पूर्वोत्तर में उन सारी मुश्किलों को हल करने जा रहा है। जिनके कारण भारत की सेना को अपना साजो-सामान पहुंचाने की दिक्कत होती थी। लोहित नदी पर बना यह पुल साढ़े नौ किलो मीटर लम्बा है और यह 60 टन वजन वाले टैंकों को ढोने में सक्षम है। यहां से चीन की सीमा बहुत निकट है।

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दक्षिण एशिया में अभिभावक की भूमिका

मोदी के नेतृत्व में भारत इस समय दक्षिण एशिया में अभिभावक की भूमिका में है। पाकिस्तान को छोड़ दिया जाये तो सार्क के सभी देश भारत को बेहिचक अपना गार्जियन मानते हैं। अपनी इसी भूमिका में भारत ने सार्क सेटेलाइट भी प्रक्षेेपित किया है जिसे दुनिया बहुत ही अचरज से देख रही है। भारत की तकनीकि का लाभ भारतीय उप महाद्वीप के अलावा एशिया और प्रशांत क्षेत्रों को सभी छोटे देशों को मिले, ऐसी व्यवस्था नरेन्द्र मोदी ने बनाई है। दक्षिण एशिया क्षेत्र में भारत ने जिस तरह से पाकिस्तान को अलग-थलग किया है वह इस बात का प्रमाण है कि क्षेत्र के सभी देश भारत की नीतियों से सहमत हैं।

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विफलताएं

प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी ने विश्व मंच पर भारत को बहुत ताकत दिलाई है, लेकिन देश के भीतर कुछ ऐसी समस्याएं रही हैं, जिन पर काबू पाने में वह नाकामयाब रहे हैं। मसलन देश में 2करोड़ नौकरियां देने की बात कही गई थी, लेकिन मोदी सरकार के कार्यकाल में नौकरियां तो नहीं बढ़ी, घट जरूर गईं। इस लिहाज से बेरोजगारी पर काबू पाने में यह सरकार उतनी सफल नहीं रही। इसी तरह चुनाव के दौरान महंगाई को मुददा बनाकर जब अच्छे दिनों की बात की गई थी तब लगा था कि महंगाई पर अंकुश लगेगा, लेकिन इस पर भी कोई खास सफलता सरकार को नहीं मिली। इसी तरह आदर्श ग्राम योजना के मामले में मोदी सरकार की उपलब्धियां शून्य नजर आती हैं। सांसदों ने जिन गांवों को गोद लिया उनका कोई पुरसाहाल नहीं है।

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ट्रिपल तलाक

भारतीय जनता पार्टी के घोषणा पत्र का हिस्सा है कॉमन सिविल कोड। मोदी सरकार ने उस दिशा में कोई ठोस कदम तो नहीं उठाया, लेकिन मुस्लिम समाज की महिलाओं द्वारा उठाये गये ट्रिपल तलाक के मुद्दे ने ऐसा रूप अख्तियार किया है जो देश को कॉमन सिविल कोड की दिशा में लेकर जा रहा है। ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर सरकार की दृष्टि स्पष्ट है और मुस्लिम समाज की महिलाओं से उसकी संवेदना जुड़ी हुई है। मामला सुप्रीमकोर्ट में है, लेकिन देश के सामान्य जनमानस में यह मुद्दा छाया हुआ है। यहां तक की हॉल में हुए उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के समय यह ज्यादा ही गर्म मुददा बन गया है और ऐसा कहा जाने लगा कि ट्रिपल तलाक पर भाजपा की द़ृष्टि के कारण मुस्लिम महिलाओं के वोट भाजपा को जरूर मिल रहे हैं।

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गाय और गंगा

लंबे समय से भारत में गाय और गंगा को संरक्षित करने की कवायद हो रही है। गोवध पर प्रतिबंध की मांग चल रही है। मोदी सरकार ने गंगा को बचाने के लिए बकायदा एक मंत्रालय ही बना दिया, लेकिन इन तीन वर्षों में गंगा की सेहत में कोई सुधार देखने को नहीं मिल रहा। हालांकि इस मंत्रालय की मंत्री उमा भारती गंगा की सफाई और अविरलता को लेकर बयान तो देती रहती हैं, लेकिन कोई ठोस परिणाम सामने आया नहीं है।

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