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बजट से बंगाल में चुनावी फायदा लेने के कोशिश, जानें कितनी असरदार

पश्चिम बंगाल की सरकारें हमेशा से केंद्र पर उपेक्षा करने का आरोप लगती रहीं हैं। ऐसे में पहली बार केंद्र ने इस राज्य के लिए बड़ी योजनाओं का ऐलान किया है।

Shivani Awasthi
Published on: 2 Feb 2021 5:31 AM GMT
बजट से बंगाल में चुनावी फायदा लेने के कोशिश, जानें कितनी असरदार
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नई दिल्ली। कोरोना महामारी और इसकी वजह से लगातार गिरती अर्थव्यवस्था केंद्र और राज्य सरकारों के लिए एक बहुत बड़ी परेशानी बन गयी है। फिर भी तमाम आर्थिक संकटों के बावजूद केंद्र सरकार ने अपने बजट में उन राज्यों के प्रति ख़ास दरियादिली दिखाई है जहां इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं। सबसे ज्यादा मेहरबानी पश्चिम बंगाल पर है। इसके बाद असम का नंबर है। वैसे, बंगाल से ज्यादा ध्यान तमिलनाडु का रखा गया है। दरअसल, भाजपा पश्चिम बंगाल में सत्ता के प्रमुख दावेदार के तौर पर उभरी है। तृणमूल कांग्रेस को उसने बुरी तरह घेर रखा है। भाजपा यहाँ कोई कसार बाकी नहीं रखना चाहती। दूसरी ओर असम में एनआरसी और सीएए की वजह से भाजपा के सामने सरकार बचने की चुनौती है।

बंगाल को हजारों करोड़ के प्रोजेक्ट

पश्चिम बंगाल की सरकारें हमेशा से केंद्र पर उपेक्षा करने का आरोप लगती रहीं हैं। ऐसे में पहली बार केंद्र ने इस राज्य के लिए बड़ी योजनाओं का ऐलान किया है। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार 2014 से ही केंद्रीय बजट में बंगाल की उपेक्षा का आरोप लगाती रही हैं। ये बात काफी हद तक सही भी है क्योंकि केंद्र सरकार की उदासीनता और बजट में पर्याप्त आवंटन नहीं होने की वजह से कोलकाता की ईस्ट-वेस्ट मेट्रो समेत कई केंद्रीय परियोजनाएं कछुए की चाल से चलती रही हैं।

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बंगाल में 25 हजार करोड़ की लागत से 675 किलोमीटर नई सड़कें बनाने का एलान

इस बार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बंगाल की शिकायतों को दूर कर दिया है। वित्त मंत्री ने पश्चिम बंगाल में 25 हजार करोड़ की लागत से 675 किलोमीटर नई सड़कें बनाने का एलान किया है। इनमें कोलकाता को सिलीगुड़ी से जोड़ने वाली सड़क की मरम्मत भी शामिल है। वित्त मंत्री ने कोलकाता के नजदीक डानकुनी से फ्रेट कॉरीडोर बनाने का एलान किया है। इसके अलावा राज्य के खड़गपुर से विजयवाड़ा तक एक अलग फ्रेट कॉरीडोर बनाया जाएगा जिससे माल परिवहन में तेजी आएगी। इसके अलावा बंगाल में एम्स की स्थापना की भी योजना है।

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यही नहीं, सीतारमण ने अपने बजट भाषण के दौरान नोबेल पुरस्कार विजेता कविगुरू रबींद्रनाथ की एक कविता का भी जिक्र किया - फेथ इज द बर्ड दैट फील्स लाइट एंड सिंग्स व्हेन द डार्क इज स्टिल डौन यानी विश्वास वह चिड़िया है जो सुबह के अंधेरे में भी रोशनी महसूस कर लेती है और गाती है। वित्त मंत्री ने कहा कि इतिहास में यह पल एक नए युग की सुबह का है, जिसमें भारत उम्मीूद की भूमि बनने की ओर अग्रसर है।

नजर चाय मजदूरों पर

पश्चिम बंगाल और असम में चाय बागान में काम करने वाले मजदूरों के वोट उन क्षेत्रों में निर्णायक साबित होते हैं। चाय बागानों के मजदूरों की बुरी हालत भी किसी से छिपी नहीं है। बंगाल के चाय बागान बहुल उत्तरी इलाके में विधानसभा की 56 सीटें हैं। इलाके में लंबे अरसे से एक दर्जन से ज्यादा बागान बंद पड़े हैं। इनके अलावा कई बागान घाटे में हैं और वहां के मजदूरों को राशन और स्वास्थ्य जैसी न्यूनतम मौलिक सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं।

इस इलाके से अक्सर मजदूरों के भुखमरी का शिकार होने की खबरें आती हैं। बीते एक दशक में पांच सौ से ज्यादा मजदूर अकालमृत्यु का शिकार हो चुके हैं। बागानों में मजदूरों की बुरी स्थिति के कारन वहां हिंसा भी काफी होती रहती है। अशिक्षा और अन्धविश्वास का यहाँ का बोलबाला है। लेकिन केंद्र या राज्य सरकार ने अब तक इन बागानों और उनके मजदूरों के लिए कुछ नहीं किया था।

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बहरहाल, इसे ध्यान में रखते हुए बजट में इन दोनों राज्यों के चाय मजदूरों के कल्याण के लिए एक हजार करोड़ रुपए का प्रावधान रखा गया है। मजदूरों के अलावा चाय उद्योग भी आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। पिछले साल असम सरकार के समक्ष अपील करते हुए चाय वर्करों के एसोसिएशन ने कहा था कि आयुष मंत्रालय को इसके लिए आगे आना होगा और इम्युनिटी संवर्धक के तौर पर चाय को प्रमोट करना होगा। उन्होंने यह भी कहा था कि लॉकडाउन के कारण यह सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुआ है।

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सड़कों का जाल असम में भी बिछेगा। बजट में अगले 3 सालों के भीतर असम में 13,100 किलोमीटर से ज्यादा का राष्ट्रीय राजमार्ग तैयार किया जाएगा। इसके लिए बजट में 34 हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। बजट में 19000 करोड़ रुपये से चल रहे राजमार्गों के काम का हवाला भी दिया गया है।

तृणमूल ने लताड़ा

केंद्र सरकार की दरियादिली पर ममता बनर्जी की अगुवाई वाली तृणमूल कांग्रेस सरकार ने स्वाभाविक तौर पर चुनावी प्रतिक्रिया ही व्यक्त की है। पार्टी के प्रवक्ता डेरेक ओ ब्रायन ने केंद्रीय बजट को ‘विजनलेस’ बताते हुए सरकार की दरियादिली को चुनावी बताया है। उन्होंने कहा कि इस फर्जी बजट का फोकस भारत को बेचना है। डेरेक ने कहा कि बंगाल जो कल कर चुका है, केंद्र आज उसकी बात कर रहा है। हमारी सरकार ने वर्ष 2018 में 5,111 किलोमीटर लंबी नई सड़कें बनाई थी जो देश में एक रिकॉर्ड था। उसके बाद वर्ष 2019 में 1165 किलोमीटर नई सड़कों का निर्माण हुआ है। लेकिन अब केंद्र सरकार महज 675 किमी लंबी सड़क के निर्माण का वादा कर रही है।

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विपक्षी सीपीएम और कांग्रेस ने भी बजट को चुनावी करार दिया है। सीपीएम नेता सुजन चक्रवर्ती ने कहा है कि इस बजट में आंकड़ों की बाजीगरी दिखाई गई है। इससे साफ है कि सरकार की निगाहें अप्रैल-मई में होने वाले विधानसभा चुनावों पर हैं। उसके बाद पहले की तमाम परियोजनाओं की तरह यह परियोजनाएं भी ठंढे बस्ते में चली जाएंगी। उधर, कांग्रेस नेता अब्दुल मन्नान भी इसे चुनावी बजट मानते हैं। उनका कहना है कि भाजपा की राजनीतिक मंशा साफ हो गई है।

नीलमणि लाल

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