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UP Assembly Elections 2022: राजनीति का नया रास्ता ढूंढने पर मजबूर हो सकता है अपना दल (एस)

UP Assembly Elections 2022: कहा जा रहा है कि 2014 से एनडीए (NDA) के कदम से कदम से कदम मिलाकर चलने वाला अपना दल (एस) (Apna Dal) भी अब किसी नए रास्ते की तलाश में हैं।

Shreedhar Agnihotri
Reporter Shreedhar AgnihotriPublished By Shreya
Published on: 3 Jun 2021 1:35 PM IST
Modi Cabinet Expansion 2021
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अपना दल महासचिव अनुप्रिया पटेल- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो साभार- सोशल मीडिया)

UP Assembly Elections 2022: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव (UP Assembly Elections 2022) की आहट सुनाई देने लगी है, नेताओं का दल और दिल बदलने का खेल भी धीरे- धीरे शुरू हो रहा है। इन सबके बीच दलों के नए गठबंधन भी बनने शुरू हो रहे हैं। कहा जा रहा है कि 2014 से एनडीए (NDA) के कदम से कदम से कदम मिलाकर चलने वाला अपना दल (एस) (Apna Dal) भी अब किसी नए रास्ते की तलाश में हैं।

पिछले 2014 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में अपना दल की तत्कालीन विधायक और पार्टी महासचिव अनुप्रिया पटेल (Anupriya Patel) उस समय भाजपा के नजदीक आई जब नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) वाराणसी सीट से चुनाव मैदान में उतरे। इस चुनाव में कुर्मी वोटों को अपने पाले में करने के लिए भाजपा ने अपना दल (Apna Dal) से गठबन्धन कर लिया। वाराणसी लोकसभा की रोहनिया सीट से विधायक अनुप्रिया पटेल ने नामांकन से लेकर मतदान होने तक साझा चुनाव प्रचार किया। अनुप्रिया खुद भी मिर्जापुर से चुनाव लड़कर पहली बार सांसद बनने के साथ ही केन्द्र सरकार में शामिल हो गईं।

इस तरह हुआ अपना दल (सोनेलाल) का गठन

इस बीच अपना दल में टूट हो गयी मां कृष्णा पटेल भाजपा से गठबन्धन के खिलाफ थी तो अनुप्रिया पटेल ने अपना दल (सोनेलाल) का गठन किया और यूपी विधानसभा का चुनाव भाजपा के साथ मिलकर लड़ा। इसका लाभ यह रहा कि पहली बार दल के 9 प्रत्याशी विधायक बने।

अनुप्रिया पटेल (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

इस बीच 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले सीटों के बंटवारे को लेकर भाजपा और अपना दल में तनातनी शुरू हो गयी। अनुप्रिया पटेल ने अधिक सीटों की मांग की पर भाजपा नेतृत्व इस पर तैयार नहीं हुआ तो उन्होंने कांग्रेस से हाथ मिलाने का प्रयास किया। पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) से मुलाकात की। इसकी फोटो भी मीडिया में आई। बस यही से भाजपा नेताओं के मन में खटास का भाव पैदा हो गया।

लोकसभा चुनाव में भाजपा को 2014 से ज्यादा सीटें मिली तो सरकार गठन में अपना दल को किनारे कर दिया गया और मोदी मंत्रिमंडल में अनुप्रिया पटेल को मंत्री पद नहीं दिया गया। तब से इन दोनों ही दलों में यूपी से लेकर दिल्ली तक की राजनीति में खटास दिखाई देने लगी। पर अपना दल एस का यूपी की भाजपा सरकार को अब तक समर्थन देना जारी है।

अब जबकि यूपी विधानसभा चुनाव नजदीक है और मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी छोटे दलों को अपने साथ लाने की मुहिम में जुटा हुआ है तो अपना दल (एस) और समाजवादी पार्टी के बीच नए गठबंधन की सुगबुगाहट शुरू हो गयी है।

मंत्रिमंडल विस्तार तय करेगा गठबंधन का भविष्य

अब अपना दल (एस) अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल को इस बात का इंतजार है कि यदि केन्द्र में होने वाले मंत्रिमंडल विस्तार में उनको स्थान दिया जाता है तो गठबन्धन चलता रहेगा पर यदि एक बार फिर उनके दल की अन्देखी की गयी तो फिर नए रास्ते की तलाश की जा सकती है। वहीं दूसरी तरफ राजनीति के जानकारों का कहना है कि अपना दल (एस) एक रणनीति के तहत समाजवादी पार्टी के साथ गठबन्धन की बातें कर रहा है जिससे भाजपा पर दबाव बनाया जा सके।

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