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UP Election 2022: अखिलेश की गोद में जा रही बसपा की टोली, सीताराम कुशवाहा भी चढ़े साइकिल

UP Election 2022: सीताराम कुशवाहा अपने समर्थकों के साथ समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) का दामन थाम लिया।

Rahul Singh Rajpoot
Report Rahul Singh RajpootPublished By Shraddha
Published on: 10 Nov 2021 2:36 PM IST
अखिलेश की गोद में जा रही बसपा की टोली
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अखिलेश की गोद में जा रही बसपा की टोली

UP Election 2022: यूपी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Elections) से पहले बसपा में नेताओं के भगदड़ थम नहीं रही है। आज एक बार फिर उनकी झांसी सदर विधानसभा (Jhansi Sadar Assembly) से प्रत्याशी रहे सीताराम कुशवाहा (Sitaram Kushwaha) अपने समर्थकों के साथ समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) का दामन थाम लिया। बता दें सीताराम कुशवाहा बसपा से पहले कांग्रेस में भी अहम जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। मंगलवार को भी पीलीभीत से बसपा के पूर्व सांसद की बेटी दिव्या गंगवार (Divya Gangwar) अपने समर्थकों के साथ समाजवादी पार्टी में शामिल हुई थीं। अगर सिर्फ अक्टूबर महीने में देखा जाए तो बसपा के करीब एक दर्जन नेता सपा में शामिल हो चुके हैं।

बसपा से समाजवादी पार्टी में शामिल नेताओं की लिस्ट (BSP Leader Join Samajwadiparty)

1. लालजी वर्मा

2. रामअचल राजभर

3. दिव्या गंगवार

4. असलम अली चौधरी

5. असलम राईन

6. हरगोविंद भार्गव

7. मुजतबा सिद्दीकी

8. हाकिम सिंह बिंद

9. सुषमा पटेल

10. सीताराम कुशवाहा

11. जगदीश राजभर

12. त्रिभुवन दत्त

13. आसिफ उर्फ बब्बू खां

14. सलीम अख्तर

गौरतलब है कि इससे पहले अंबेडकरनगर (Ambedkarnagar) के दो दिग्गज नेताओं रामअचल राजभर (Ram Achal Rajbhar), लालजी वर्मा (Lalji Verma) ने सपा का दामन थामा था। उससे पहले आधा दर्जन बागी विधायकों ने भी समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी। इस प्रकार देखा जाए तो सपा में सबसे ज्यादा बसपा के नेताओं के आने का सिलसिला है। हालांकि अब तक दो से तीन बीजेपी के भी नेता सपा में शामिल हो चुके हैं, लेकिन औसतन बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस के नेताओं की पहली पसंद समाजवादी पार्टी बनी हुई है। वह 2022 के लिए इसे सबसे मुफीद ठिकाना मान रहे हैं।

नेताओं के जाने पर मायावती का क्या है कहना?

एक तरह से बसपा से भले ही बड़े नेताओं से खाली हो चुकी हो, लेकिन मायावती (Mayawati) इसे लेकर बिल्कुल भी चिंतित नहीं दिखाई दे रहीं हैं, अंदर उन्हें भले ही गम हो, लेकिन वह 2022 के लिए पूरी मजबूती के साथ अकेले दम पर चुनाव लड़ने जा रहीं हैं। मायावती प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह कह चुकी हैं कि ऐसे दलबदलू नेताओं के जाने से उनकी पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्होंने अखिलेश यादव और उनकी पार्टी पर भी निशाना साधते हुए कहा था कि इन नेताओं को पार्टी में शामिल करने से उनका ग्राफ नहीं बढ़ेगा बल्कि गिरेगा। उनके जो समर्थक हैं वह बसपा के साथ हैं और उनका साथ देगे।

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Shraddha

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