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UP Elections 2022 : भाजपा विधानसभा चुनाव में निषाद पार्टी के साथ गठबन्धन कर मैदान में उतरेगी

UP Elections 2022 : यूपी में विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा ने निषाद पार्टी से गठबन्धन कर एक बड़ी सफलता हासिल की।

Shreedhar Agnihotri
Written By Shreedhar AgnihotriPublished By Shraddha
Published on: 24 Sept 2021 2:29 PM IST
भाजपा विधानसभा चुनाव में निषाद पार्टी के साथ गठबन्धन कर मैदान में उतरेगी
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भाजपा विधानसभा चुनाव में निषाद पार्टी के साथ गठबन्धन करेगी (फोटो - न्यूजट्रैक)

UP Elections 2022 : उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) के पहले भाजपा (BJP) ने निषाद पार्टी (Nishad Party) से गठबन्धन कर एक बड़ी सफलता हासिल की। हांलाकि सीटों के बंटवारे के बारे में भाजपा और निषाद पार्टी की तरफ से कुछ नहीं कहा गया। पर पूर्वांचल क्षेत्र में निषादों के एक बड़े वोट बैंक का भाजपा को लाभ मिल सकता है।


पिछले तीन दिनों से प्रदेश के चुनाव प्रभारी और केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द प्रधान (Union Minister Dharmendra Pradhan) के यूपी दौरे में रहने के बाद आज इसकी औपचारिक घोषणा की गयी। बुधवार को राजधानी लखनऊ आने के बाद धर्मेन्द्र प्रधान गोरखपुर और सिद्धार्थनगर भी गए थे। जहां से उन्होंने फीड बैक लेकर आज इसकी घोषणा पत्रकार वार्ता में की। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अगला विधानसभा चुनाव भाजपा मोदी और योगी के नेतृत्व में लडेगी।

उन्होंने कहा कि हम सामाजिक समरसता का पूरा ख्याल रखते हुए ही मिशन 2022 के चुनाव में उतरने जा रहे हैं। उनके दल की निषाद पार्टी से हर मसले पर बात हो चुकी है। अपना दल पहले से हमारे साथ है। उन्होंने कहा कि पहले भी मंत्री रहते हुए यूपी आता रहा हूं। उज्जवला गैस परियोजना की शुरुआत यूपी से ही की थी। योजना का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे आमजन को बहुत बडा लाभ हुआ है।


केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान(फोटो - न्यूजट्रैक)


एक सवाल के जवाब में केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि जहां तक किसानों की नाराजगी की बात है तो ऐसा कुछ नहीं है। आजादी के बाद सबसे अधिक किसानों के लिए मोदी सरकार ने ही काम किया है। किसानों की आमदनी दोगुनी करने का काम किया था।

दरअसल, यूपी की राजनीति में छोटे दलों का काफी असर रहा है। अगर इन राजनीतिक दलों पर गौर करें तो सबसे अधिक छोटे दलों की उपजाऊ जमीन पूर्वांचल का क्षेत्र रहा है। यहां जातिगत और क्षेत्रीय आधार पर खूब दल पनपे हैं। यही कारण है कि मुख्य दलों में बसपा को छोड़कर, भाजपा, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस छोटे दलों को मिलाने के प्रयास में लगे हुए हैं। मायावती पहले ही अकेले चुनाव लडने की बात कह चुकी हैं। जबकि कमजोर पड़ चुकी कांग्रेस छोटे दलों को अपनी पार्टी में मिलाकर खुद को मजबूत करने की कोशिश में है। हाल ही में राष्ट्रवादी जन समाज पार्टी ने अपने दल का कांग्रेस में विलय कर प्राथमिक सदस्यता ग्रहण कर ली।


भारतीय जनता पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में अपना दल (एस) के अलावा निषाद पार्टी से भी गठबंधन किया था। निषाद पार्टी के अध्यक्ष डाक्टर संजय निषाद के पुत्र प्रवीण निषाद भाजपा के चुनाव चिन्ह पर लोकसभा का चुनाव लडकर लोकसभा पहुंचे थें। उपचुनावों में भी संजय निषाद भाजपा के साथ खुलकर दिखे। इस लिए इस बात की पूरी उम्मीद काफी दिनों से दिख रही थी कि इस बार फिर वह भाजपा के साथ ही नजर आएगें।


छोटे दलों को अपनी तरफ मिलाने के लिए भाजपा कांग्रेस और सपा लगातार प्रयास कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के चुनाव में मुख्य मुकाबले में समाजवादी पार्टी के साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपना असर दिखा चुका महान दल साथ आ चुका है। जबकि राष्ट्रीय लोकदल पहले से उसके साथ है। जनवादी पार्टी की समाजवादी पार्टी से लगातार बातचीत हो रही है। पूरी उम्मीद है कि यह पार्टी अखिलेश यादव के साथ विधानसभा चुनाव में खड़ी दिखाई देगी। अखिलेश यादव अभी कई और छोटे दलों को अपने पाले में लाने के प्रयास में हैं। उम्मीद की जा रही है कि चुनाव के पहले और भी कई छोटे दल उनके साथ होगें।


पश्चिमी उत्तर प्रदेश के उभरते दलित नेता चंद्रशेखर आजाद ने अपनी भीम आर्मी के राजनीतिक फ्रंट आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के बैनर तले उपचुनाव के जरिये दस्तक दे दी है। जल्द ही वह भी किसी बडे दल के साथ अथवा किसी मोर्चे में शामिल होते नजर आएगें।



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