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अपर मुख्य सचिव ने माना दोषी, मंत्री ने दी क्लीन चिट

Gagan D Mishra
Published on: 26 Aug 2017 6:47 AM GMT
अपर मुख्य सचिव ने माना दोषी, मंत्री ने दी क्लीन चिट
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अपर मुख्य सचिव ने माना दोषी, मंत्री ने दी क्लीन चिट

लखनऊ: सरकार बनने के बाद से ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार पर लगातार वार कर रहे हैं। पूर्ववर्ती सरकार में किए गए कामों की पड़ताल जारी है। पर सरकार के मंत्री ही जांचों की धार कुंद करने पर तुले हैं। राज्य का ग्रामीण अभियंत्रण महकमे (आरइएस) का ऐसा ही मामला सामने आया है। निर्माण में लापरवाही पर जिस अभियंता की सत्यनिष्ठा संदिग्ध करते हुए परिनिन्दा प्रविष्टि दी गई थी। अपर मुख्य सचिव ने भी इसे दोषी माना और कार्यवाही की मंशा जाहिर की। उसे विभागीय मंत्री राजेन्द्र सिंह 'मोती' ने सिर्फ सचेत कर आरोपों से बरी कर दिया। सूत्रों के मुताबिक इसी अफसर को अब आरइएस का निदेशक बनाने की तैयारी है।

दरअसल, सन 2012—13 में बार्डर एरिया डेवलपमेंट योजना के तहत श्रावस्ती के विधानसभा क्षेत्र ​भिनगा में दो नालों पर पुलिया का निर्माण होना था। तत्कालीन अधीक्षण अभियंता सहारनपुर आरपी सिंह की निगरानी में यह काम कराए गएं। एक पुलिया गुलरा से पड़वलिया जाने वाले मार्ग के भैंसाही नाले पर बना। पर यह ज्यादा समय ठहर नहीं सका। दूसरी पुलिया शिवपुर नाले पर ककरदरी के पास बरगदहां गांव में बना, यह पहली बरसात की बाढ़ में ही बह गया। उस वक्त यह मामला काफी उछला। तब जिलाधिकारी श्रावस्ती ने प्रकरण की जांच के लिए उच्चस्तरीय समिति गठित की। इसमें इन निर्माण कामों में गंभीर अनियमितता बरते जाने का आरोप प्रमाणित पाया गया, तब इंजीनियर आरपी सिंह से नोटिस भेजकर स्पष्टीकरण मांगा गया। पर श्री सिंह ने स्पष्टीकरण देने में रूचि नहीं ली। तब शासन ने इसी साल 12 जनवरी को श्री सिंह की सत्यनिष्ठा संदिग्ध करते हुए परिनिन्दा प्रविष्टि दी। इसके विरूद्ध श्री सिंह ने आनन—फानन में शासन को 21 जनवरी को अपना जवाब सौंपा, जो फाइलों में टहलता रहा। पर भाजपा सरकार बनने के बाद इसी फाइल ने तेजी पकड़ ली और विभागीय मंत्री के आदेश के बाद बीते 31 मई को उन्हें सिर्फ सचेत कर पुलिया निर्माण में गड़बड़ियों के आरोप से मुक्त कर दिया गया।

इस तरह धुले दाग

जब यह फाइल अपर मुख्य सचिव मो. इफ्तेखारूद्दीन के पास पहुंची तो उन्होंने पाया कि यह प्रकरण घटिया निर्माण कर लोक कोष को क्षति पहुंचाने का एक बहुत बड़ा उदाहरण है। जिससे यह प्रमाणित और सिद्ध होता है कि आरोपी अधिकारी आरपी सिंह ने किस प्रकार से मनमाने ढंग से काम किया। इसके दु​ष्परिणाम स्वरूप यह निर्माण कार्य समय से पहले ही क्षतिग्रस्त हो गया, जिससे जन हानि भी हो सकती थी। अत: ऐसे मामले में कार्यवाही की जानी चाहिए। चूंकि प्रकरण लोक सेवा अधिकरण में लम्बित है, अत: इस संबंध में न्याय विभाग का परामर्श लिया जाना उचित होगा। अब जब यही फाइल विभागीय मंत्री राजेन्द्र सिंह 'मोती' के पास पहुंची तो पूरे प्रकरण का रूख ही बदल गया। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया कि आरोपी अभियंता आरपी सिंह के पर्यवेक्षणीय दायित्व के निर्वहन में सचेत नहीं रहने के कारण इन्हें भविष्य के लिए सचेत कर दिया जाए। बस इस तरह श्री सिंह पर लगे आरोपों के दाग धुल गएं।

कामों मेें यह थी अनियमितता

जिलाधिकारी श्रावस्ती की गठित जांच समिति ने पाया कि निर्माण स्थल का मृदा परीक्षण और स्ट्रक्चरल डिजाइन नहीं किया गया था। भैसाही नाले पर बने पुल के तीसरे पियर के अगले भाग पर ​बल्जिंग/उभार चिनाई कार्य पाए गएं। तीसरे पियर की चिनाई में ईंटों के रद्दों के ऊपर एवं नीचे क्रैक पाए गए और तिरछे थे। पियर संख्या—तीन क्षतिग्रस्त पाया गया। एक इंच की दरार आ गई, कट आफ वाल का निर्माण एस्कवरिंग डेप्थ के अनुसार नहीं पाया गया। इसलिए पियर संख्या—तीन क्षतिग्रस्त हो गया और उसमें दरार आ गया। साफ है कि यह पुलिया उपयोग लायक नहीं रहा। इससे शासन को 93.07 लाख की शासकीय क्षति हुई।

शिवपुर नाले पर ककरदरी के पास बरगदहां गांव में पुलिया का निर्माण ​तो हुआ। पर कार्यस्थल का परीक्षण नहीं किया गया। हाइड्रोलिक सर्वे जैसे—कैचमेंट एरिया का आकलन नहीं किया गया। इसकी वजह से आवश्यक्ता से काफी कम लम्बाई की आरसीसी पुलिया का निर्माण हुआ। यह पुलिया पहले बरसात की बाढ़ के समय ही बह गई। इससे शासन को 18.78 लाख रूपये का नुकसान हुआ।

Gagan D Mishra

Gagan D Mishra

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