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Politician Sanjay Seth Biography: ऐसे राजनेता जो जानते हैं दोस्ती निभाने का हुनर, करोड़ों के मालिक संजय सेठ
Rajya Sabha Sadasya Sanjay Seth Kaun Hai: संजय सेठ 10 अगस्त 2019 को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे वहीँ आज हम आपको उनके राजनैतिक करियर से लेकर उनके जीवन से जुड़ी कुछ और बातों से रूबरू करवाने जा रहे हैं।
Sanjay Seth Biography (Image Credit-Social Media)
Sanjay Seth Biography Wiki in Hindi: संजय सेठ उत्तर प्रदेश के एक ऐसे राजनीतिज्ञ हैं जो अपने शानदार व्यक्तित्व और दिलदार अंदाज के लिए जाने जाते हैं। दोस्ती निभाने का हुनर इनमें जैसे कूट-कूट कर भरा हो। वे 2016 में समाजवादी पार्टी के सदस्य के रूप में उत्तर प्रदेश से भारत की संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा के लिए चुने गए थे। उन्होंने उत्तर प्रदेश ओलंपिक संघ ( भारतीय ओलंपिक संघ से संबद्ध) के सह-उपाध्यक्ष, उत्तर प्रदेश बैडमिंटन संघ (भारतीय बैडमिंटन संघ से संबद्ध) के उपाध्यक्ष और कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (क्रेडाई), उत्तर प्रदेश क्षेत्र के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया है। संजय सेठ 10 अगस्त 2019 को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए।
संजय सेठ का प्रारंभिक जीवन
संजय सेठ का जन्म लखनऊ , उत्तर प्रदेश में लवकुश नारायण सेठ और कुसुम सेठ के घर 10 फरवरी 1961 को हुआ था। सेठ ने लखनऊ विश्वविद्यालय से वाणिज्य में स्नातक की डिग्री ( बी. कॉम ) प्राप्त की है । सेठ की शादी लीना सेठ से हुई है। उनका एक बेटा और एक बेटी है। ये सेठ शालीमार कॉर्प लिमिटेड के सह-संस्थापकों में से एक हैं ।
रियल एस्टेट उद्योग में उनके अनुभव और सफलता के कारण, उन्हें कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया (क्रेडाई), उत्तर प्रदेश क्षेत्र का अध्यक्ष चुना गया।
संजय सेठ का राजनैतिक सफर
संजय सेठ 10 अगस्त 2019 को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए। राज्यसभा के सक्रिय सदस्य सेठ को जल संसाधन संबंधी संसदीय समिति (जुलाई 2016-अगस्त 2017) में नियुक्त किया गया था। उन्होंने सितंबर 2016 से जून 2018 तक अधीनस्थ विधान संबंधी समिति में भी काम किया । वे वर्तमान में उद्योग संबंधी समिति (सितंबर 2017 से) और रेलवे कन्वेंशन समिति (जून 2018 से) के सदस्य के रूप में कार्य कर रहे हैं। संजय सेठ 2019 से भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं। इसके पहले संजय सेठ समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबियों में गिने जाते रहे हैं। बाद में अखिलेश यादव के भी करीबियों में उनकी गिनती होती रही है। हालांकि संजय सेठ समाजवादी पार्टी में रहते पार्टी के कोषाध्यक्ष भी रह चुके हैं। सपा ने उन्हें साल 2016 में सपा की तरफ से राज्यसभा भेजा था। उसके बाद 2019 में भारतीय जनता का दामन थामने के पहले उन्होंने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया और बीजेपी में शामिल हो गए थे। फिर भाजपा ने उन्हीं की रिक्त हुई सीट पर उनको वापस से राज्यसभा भेज दिया था। संजय सेठ 2016 से लेकर 2022 तक राज्यसभा के सदस्य रहे हैं, हालांकि 2022 में उनका कार्यकाल खत्म होने के बाद संजय सेठ को भाजपा ने दोबारा नहीं भेजा था। लेकिन, संजय सेठ ने भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को इस बात का आश्वासन दिया है कि भाजपा अगर उन्हें अपने आठवें प्रत्याशी के रूप में उतारती है तो वह अपने जीत के लिए वोटो का जुगाड़ करेंगे। सपा के 7 विधायकों ने बीजेपी के पक्ष में क्रास वोटिंग करते हुए भाजपा उम्मीदवार संजय सेठ को वोट किया। इस तरह से संजय सेठ भाजपा के आठवें प्रत्याशी के तौर पर उच्च सदन पहुंच गए।
भाजपा ने आठ तो सपा ने तीन प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था। भाजपा ने अपने आठवें प्रत्याशी संजय सेठ को राज्यसभा उम्मीदवार बना कर चुनाव को दिलचस्प कर दिया था। संजय सेठ के जीत को लेकर संशय बना हुआ था, लेकिन संजय सेठ ने सपा के 7 विधायकों को मैनेज करते हुए अपनी जीत दर्ज कर ली।
संजय सेठ ने लखनऊ में बसपा सुप्रीमो मायावती, इटावा में मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव का बंगला बनवाया था। बताया जाता है कि मुलायम सिंह और अखिलेश के अलावा संजय सेठ के मायावती से भी बेहद अच्छे संबंध हुआ करते थे।
करोड़ों की संपत्ति के मालिक पर नहीं रखते एक भी कार
उत्तर प्रदेश विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से द्विवार्षिक राज्यसभा निर्वाचन में जीत दर्ज करने वाले संजय सेठ 127 करोड़ रुपये से अधिक संपत्ति के मालिक हैं। राज्यसभा चुनाव के शपथ पत्र में संजय सेठ ने अपनी संपत्ति का विवरण दिया है। इसके अनुसार, उनके पास 127 करोड़ 44 लाख 78 हजार रुपये की चल- अचल संपत्ति है। सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि उनके पास कोई कार नहीं है। भाजपा नवनिर्वाचित राज्यसभा सांसद पर करीब 29 करोड़ रुपए की देनदारियां भी हैं। गुड़गांव में पांच हजार वर्ग फुट का 4.50 करोड़ रुपए के प्लाट के साथ ही लखनऊ, उन्नाव और दिल्ली में फ्लैट, मकान एवं कोठी है।
महंगे गिफ्ट देने का रखते हैं शौक
संजय सेठ सिर्फ अपनी चल-अचल सम्पत्ति से ही नहीं बल्कि वह दिलदारी में भी बेहद रईस तबियत के हैं। ये इतने बड़े सेठ हैं कि उनको सत्ता का साथ हमेशा जरूरी लगा। उत्तर प्रदेश में सरकार बहुजन समाज पार्टी की हो या समाजवादी पार्टी की या फिर वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी की संजय सेठ सभी के साथ खड़े हुए नजर आए। कहा जाता है कि संजय सेठ नेताओं को बंगले गिफ्ट करने में तो मायावती के लिए जी जान से खड़े रहने में सबसे आगे रहे। 2016 में विधान परिषद में मनोनीत होने के लिए जब समाजवादी पार्टी की ओर से प्रस्ताव राजभवन को भेजा गया था तब तत्कालीन राज्यपाल रामनाईक ने प्रस्ताव को वापस कर दिया था और यह पूछा था कि सामाजिक कार्यों में संजय सेठ का क्या योगदान है। तब संजय सेठ मनोनीत विधान परिषद सदस्य नहीं बन सके थे।
संजय सेठ हर कदम पर मुलायम सिंह के परिवार के साथ रहे। जानकारी के अनुसार मुलायम सिंह परिवार के अनेक बंगलो का निर्माण संजय सेठ ने फ्री ऑफ कास्ट किया था। इसके बाद में वे समाजवादी पार्टी के बहुत खासमखास सदस्यों में शामिल हो गए थे। लगभग 1000 करोड़ की लागत से बनाए गए जेपी सेंटर के निर्माण का कार्य भी संजय सेठ की कंपनी को ही मिला था।
पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का भी निभाया है साथ
इसके अतिरिक्त माल एवेंन्यु में बसपा के कार्यकाल में एक स्मारक का निर्माण किया जा रहा था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा रखी थी। 2011 में इसी परिसर में एक मजदूर की गिरने से मौत हो गई थी। ये मामला उच्च स्तर पर पहुंच गया था कि जहां सुप्रीम कोर्ट की रोक थी वहां निर्माण कैसे हो रहा था। इसके बाद में मुकदमा दर्ज किया गया कि जॉपलिंग रोड स्थित संजय सेठ के निर्माणाधीन परिसर में मजदूर की मौत हो गई। संजय सेठ की कंपनी की ओर से मजदूर को मुआवजा भी दिया गया। इस तरह से संजय ने मायावती की मदद में एक बड़ा योगदान दिया था।