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UP Politics: जल्द BJP के साथ फिर दिखाई देंगे ओमप्रकाश राजभर, गुपचुप बैठकों से तो यही लग रहा
UP Politics: यूपी में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के बाद अब छह विधायकों वाले सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर विपक्ष में है। लेकिन, पाला बदलने की कोशिश में है।
UP Politics : पिछले दो दशकों तक उत्तर प्रदेश की राजनीति में छोटे दलों की भूमिका बेहद अहम हुआ करती थी। पर, इधर कुछ वर्षों में पूर्ण बहुमत की सरकारों का दौर शुरू होने के बाद छोटे दलों की भूमिका अब धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगी है। सत्ता पाने की चाहत उन्हें हमेशा बेचैन करती रहती है।
अब सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) को ही लीजिए। विधानसभा चुनाव में उन्होंने समाजवादी पार्टी से गठबंधन किया था। परन्तु, भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के बाद अब छह विधायकों वाले सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर (Omprakash Rajbhar) विपक्ष में है। लेकिन, पाला बदलने की कोशिश में है।
बीजेपी नेताओं के साथ गुपचुप मीटिंग
इस बात की चर्चा राजनीतिक गलियारों में खूब हो रही है। दरअसल बुधवार को जब ओमप्रकाश राजभर प्रदेश के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह से गुपचुप एक गेस्ट हाउस में मिले तो इसे लेकर कयासबाजी का दौर और तेज हो गया। दयाशंकर सिंह के साथ केन्द्रीय मंत्री और लखनऊ के सांसद कौशल किशोर भी थे। यहीं नहीं ओमप्रकाश राजभर के दोनों बेटे भी बैठक में मौजूद थे। दो घंटे तक चली मुलाकात को लेकर कहा जा रहा है कि जल्द ही ओमप्रकाश राजभर पाला बदलने वाले हैं।
'राजनीति में संभावनाएं खत्म नहीं होती'
हालांकि, राजभर खेमे से कहा गया कि उन्होंने अपने क्षेत्र के विकास के लिए दोनों मंत्रियों से मुलाकात की है। पर सवाल इस बात का है कि जब विकास को लेकर बैठक होनी थी तो यह बैठक सचिवालय में होनी चाहिए थी। हालांकि, उनसे जब राजभर के भाजपा संग आने की संभावना को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि राजनीति में संभावनाएं कभी खत्म नहीं होती हैं।
अमित शाह से मिलने की खबरें आई
इससे पहले पिछले महीने राजभर के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) से भी मुलाकात की खबरें आई थी। दिल्ली में हुई दोनों नेताओं के बीच बातचीत के दौरान केंद्रीय मंत्री और प्रदेश भाजपा प्रभारी धर्मेन्द्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) और प्रदेश संगठन मंत्री सुनील बंसल (Sunil Bansal) भी मौजूद थें। कयास लगाए जा रहे हैं कि ओमप्रकाश राजभर प्रदेश मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं।
सीएम योगी ने दिखाया था बाहर का रास्ता
उल्लेखनीय है कि, पिछली भाजपा सरकार में सुहेलदेव समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर मंत्री थे। इसके पहले राजभर ने गठबंधन के तहत 2017 का विधानसभा चुनाव भी लड़ा था पर उचित सम्मान न मिलने पर उन्होंने जब राज्य सरकार को कोसना शुरू किया तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
कई जतन किए, सब नाकाम
इसके बाद ओमप्रकाश राजभर ने कई छोटे दलों के लेकर भागीदारी संकल्प मोर्चा का भी गठन किया। यहीं नहीं उनकी ओवैसी भी दोस्ती हुई पर विधानसभा चुनाव के पहले ही इस दोस्ती का अंत हो गया। इस बीच अखिलेश यादव से बातचीत की और उनके साथ हो लिए। उन्होंने समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। चुनाव में उन्हें सफलता भी मिली पर सत्ता से दूर समाजवादी पार्टी से अब उनका मोहभंग होता दिख रहा है।
अभी सुभासपा के पास 6 सीटें
यहां यह बताना जरूरी है कि वर्ष 2017 में सुभासपा ने चार सीटें जीती थीं। वहीं, इस बार अखिलेश यादव के साथ मिलकर 18 सीटों पर चुनाव लड़ा और छह में जीत हासिल की। यह बात अलग है कि ओपी राजभर अपने बेटे अरविंद को चुनाव नहीं जिता पाए। हालांकि, गाजीपुर और मऊ के साथ उनके दल ने आजमगढ़, अम्बेडकरनगर, बस्ती, बलिया में काफी बेहतरीन प्रदर्शन किया है।