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UP Politics: बीजेपी में नहीं जायेंगे शिवपाल, अखिलेश को टक्कर देने का प्लान तैयार, जानिए पूरी रणनीति?
Shivpal Singh Yadav: शिवपाल सिंह यादव अभी भाजपा से हाथ नहीं मिलाने वाले हैं.
Shivpal Singh yadav News Today: शिवपाल यादव को लेकर पिछले कई महीनों से तरह-तरह की चर्चाएं चल रही हैं. तमाम कयासों के बीच अब एक बात साफ हो गई है कि शिवपाल अभी भाजपा से हाथ नहीं मिलाने वाले हैं. वह अपनी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी को मजबूत कर नए सिरे से संगठन को खड़ा करने में लग गए हैं. जल्द ही वह अपने प्रदेश अध्यक्ष का ऐलान करेंगे और मई में ही नई प्रदेश कार्यकारिणी का गठन कर लिया जाएगा. शिवपाल यादव अब सपा पर पूरी तरह से हमलावर रहेंगे उनकी नेताओं की फौज भी सपा के खिलाफ मोर्चा खोलेगी. क्योंकि शिवपाल के पार्टी मजबूत होने से सपा से रुष्ट नेता उनकी छतरी के नीचे आएंगे और समाजवादी पार्टी पर हमलावर रुख अख्तियार करेंगे.
इसलिए बीजेपी में नहीं जा रहे शिवपाल
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि शिवपाल काफी सोच समझकर राजनीति करते हैं. वह आने वाले दिनों में भाजपा से हाथ तो मिला सकते हैं, लेकिन उनका पट्टा ओढ़कर राजनीति नहीं कर सकते. क्योंकि भाजपा की विचारधारा और राजनीति करने का तरीका अलग है, शिवपाल समाजवाद का नारा देकर आगे बढ़े हैं. वह भाजपा पर नरम रुख जरूर अख्तियार कर सकते हैं लेकिन सहारे मैदान में नहीं उतर सकते. इसलिए वह आप अपनी पार्टी को मजबूत कर उत्तर प्रदेश की सियासत में पुरानी धाक बनाने के लिए लग गए हैं.
नई कमेटी का गठन जल्द
यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के नतीजे आने के बाद शिवपाल यादव ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी को छोड़ अन्य सभी कमेटियों को भंग कर दिया था. अब इसके नए सिरे से बनाने की कवायद शुरू हो गई है. उन्होंने सप्ताह भर के अंदर प्रदेश कार्यकारिणी के गठन की बात कही है. इससे पहले जब उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी और ट्विटर पर पीएम मोदी, सीएम योगी को फॉलो करना शुरू किया था तो चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया कि वह जल्द ही भाजपा से हाथ मिला सकते हैं, लेकिन अब शिवपाल अपनी पार्टी को फिर से खड़ा कर अखिलेश को जवाब देने की रणनीति में बनाते दिखाई दे रहे हैं.
पीएसपी सूत्रों के मुताबिक आज या कल में नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर कोर कमेटी विचार-विमर्श कर सकती है और अगले सप्ताह इसके नाम का ऐलान हो सकता है. मई में प्रदेश कमेटी, फ्रंटल संगठन तैयार हो जाएगा. इसके बाद जिलेवार अभियान चलेगा. जिला, तहसील और ब्लाक पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.
आजम पर टिकी निगाहें
पिछले दिनों सीतापुर जेल में आजम खान और शिवपाल के बीच हुई बैठक के बाद शिवपाल यादव अखिलेश और बड़े भाई मुलायम सिंह पर हमलावर हो गए हैं. आजम जेल से छूटने के बाद क्या फैसला लेते हैं इस पर सबकी निगाहें टिकी है, लेकिन शिवपाल यादव ने जिस तरह से खुलकर उनका समर्थन किया है उससे साफ है कि शिवपाल और आजम में कुछ बात हुई है. क्योंकि शिवपाल का मुलायम सिंह के बाद सपा को खड़ा करने में सबसे बड़ा योगदान है, अब अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी में उनके साथ कैसा बर्ताव हो रहा है इसका समय समय पर वह जिक्र करते रहे हैं.
इसी से नाराज शिवपाल ने 2017 में अपनी पार्टी बनाई थी. लेकिन 2022 में सारे मतभेदों को भुलाकर अपनी पार्टी का विलय सपा में करने की भी बात कर दी थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. अखिलेश ने सिर्फ शिवपाल को सपा के टिकट पर चुनाव लड़ाया बाकी उनके नेताओं को किनारे कर दिया. विधानमंडल दल की बैठक में नहीं बुलाए जाने से नाराज शिवपाल ने अपना दर्द बयां किया और अब वो खुलकर अखिलेश के खिलाफ बैटिंग करने लगे हैं.
प्रदेश में तीसरे मोर्चे की कवायद
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी की सक्रियता बढ़ने से उत्तर प्रदेश में तीसरे मोर्चे के बनने को ताकत मिलेगी. यूपी विधानसभा चुनाव से पहले भी इस मोर्चे के खड़ा होने की रेखा खींची गई थी लेकिन ऐन वक्त पर शिवपाल और ओमप्रकाश राजभर का अखिलेश के साथ चले जाने से इस मोर्चे पर विराम लग गया था. अब एक बार फिर से अगर प्रसपा यूपी में मजबूत होती है तो तीसरे मोर्चे की ताकत मिलेगी. जेल से बाहर आने के बाद आजम खान का क्या रूख होता है, क्या वह नई पार्टी बनाते हैं या शिवपाल यादव के साथ जाते हैं या फिर अखिलेश पर ही भरोसा जताते हैं यह गौर करने वाली बात होगी. इसके अलावा सपा से नाराज चल रहे ज्यादातर नेता शिवपाल यादव के साथ आ सकते हैं.
प्रसपा से सपा को नुकसान की उम्मीद
अगर यूपी में प्रसपा मजबूत होती है तो जाहिर तौर पर इसका नुकसान समाजवादी पार्टी को भुगतना होगा. क्योंकि शिवपाल की अपनी भी एक ताकत है. उनका एक अच्छा खासा वोट बैंक है. शिवपाल की पकड़ मथुरा, आगरा, फिरोजाबाद, एटा, कासगंज, फर्रुखाबाद, कन्नौज, इटावा, मैनपुरी व इसके आसपास के जिलों अच्छी है. 2017 में जब शिवपाल ने अखिलेश से नाराज होकर पार्टी छोड़ी थी इसका असर इन क्षेत्रों में दिखाई दिया था.
2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा गठबंधन को 73 सीटें मिली तो बसपा से तालमेल कर मैदान में उतरे अखिलेश यादव 5 सीट पर सिमट गए. यूपी चुनाव 2022 से पहले गठबंधन की बातें कहने वाले शिवपाल को जब अखिलेश की तरफ से कोई प्रस्ताव नहीं मिला था तो उन्होंने रथ यात्रा शुरू की थी. यह रथयात्रा मथुरा से ही शुरू हुई थी. उसके बाद इसका असर दिखा और अखिलेश - शिवपाल से मुलाकात की.
फिर वह समाजवादी पार्टी के टिकट पर मैदान में उतरे. लेकिन चुनाव बाद जिस तरह से फिर चाचा भतीजे के बीच मतभेद उत्पन्न हो गया है. उससे अब इन दोनों के बीच सुलह के रास्ते लगभग बंद हो गए हैं. शिवपाल जहां यह कहते सुनाई दे रहे हैं कि अखिलेश को निकालना हो तो निकाल दें, वहीं अखिलेश यह कह रहे हैं उन्हें जाना हो तो चले जाएं. ऐसे में यह साफ है कि अब चाचा भतीजे के रिश्तों लम्बी खाई आ गई है.
शिवपाल ने ट्वीट कर अखिलेश पर बोला था हमला
ईद के मुबारक मौके पर शिवपाल यादव ने एक ट्वीट कर समाजवादी पार्टी के मुखिया पर करारा हमला बोला था उन्होंने कहा था 'अपने सम्मान के न्यूनतम बिंदु पर जाकर मैंने उसे संतुष्ट करने का प्रयास किया इसके बावजूद अगर नाराज हो तो किस स्तर तक उसने हृदय को चोट दी होगी हमने उसे चलना सिखाया और वह हमें रौंद कर चला गया.