TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

सिकुड़ी दलों की दहलीज: राजकिशोर होंगे हाथी पर सवार, अखिलेश दास थामेंगे कमल

बस्ती के दबंग नेताओ में से एक राजकिशोर सिंह एक बार फिर से हाथी पर सवार हो सकते हैं। इस सवारी को लेकर तब चर्चा और पुख्ता हो जाती है जब उनके साथ ही बर्खास्त किए गये मंत्री गायत्री प्रजापति को फिर से बाइज्जत लाल बत्ती वापस कर दी गयी। सारे फैसले वापस हो गये। सिवाय राजकिशोर के मंत्री पद के।

zafar
Published on: 9 Oct 2016 5:37 PM IST
सिकुड़ी दलों की दहलीज: राजकिशोर होंगे हाथी पर सवार, अखिलेश दास थामेंगे कमल
X

लखनऊ: दरअसल चुनाव आते ही पार्टी के नेताओं की निष्ठा का लिटमस टेस्ट होता है। यूपी में चुनाव सर पर है। राजनैतिक दलों की दहलीज अब महत्वाकांक्षाओँ के सामने छोटी पड़ने लगी है। नेताओं को कायदे से ज्यादा अपने फायदे की फ्रिक होने लगी है। इसी की कड़ी में दो सबसे नये नाम आये हैं। हाल में ही सपा सरकार में पैदल किए गये काबीना मंत्री राजकिशोर सिंह अब बसपा में जा सकते हैं। वहीं कई दलों के हमसफर रह चुके और बहुत दिन से दल तलाश रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री अखिलेश दास के भगवा ओढ़ने की खबर जोरों पर है।

राजकिशोर कर सकते हैं घर वापसी

-बस्ती के दबंग नेताओ में से एक राजकिशोर सिंह हाथी पर सवार हो सकते हैं।

-इस सवारी को लेकर तब चर्चा और पुख्ता हो जाती है जब उनके साथ ही बर्खास्त किए गये मंत्री गायत्री प्रजापति को फिर से बाइज्जत लाल बत्ती वापस कर दी गयी।

-राजकिशोर को हटाने से शुरु हुए यदुकुल के सियासी संग्राम में सारे फैसले करीब-करीब वापस हो गये। सिवाय राजकिशोर के मंत्री पद के।

-ऐसे में राजकिशोर ने इसे अपना राजनैतिक अपमान बताया था।

-माना जा रहा था कि राजकिशोर अब अपनी नयी सियासी पारी की शुरुआत कर सकते है।

-ऐसे में भाजपा में उनकी बात उनके हिसाब से बात न बनने के बाद अब वह हाथी पर सवार हो सकते हैं।

अखिलेश दास को भाया भगवा

-उत्तर प्रदेश के दमदार कांग्रेसी अब भगवा पहनने की तैयारी में हैं।

-बसपा से कांग्रेस की यात्रा कर चुके अखिलेश दास अब भाजपा में इंट्री करने जा रहे हैं।

-सूत्रों की मानें तो अखिलेश दास की सारी बात हो चुकी है और उनकी ज्वाइनिंग को लेकर तरीके पर बात हो रही है।

दल बदल का मौसम

-दरअसल यूपी चुनाव से पहले दल बदल बहुत आम होता है पर बसपा को मिल रहे एक के बाद एक झटकों के बीच राजकिशोर की वापसी एक राहत के तौर पर मानी जा रही है। खासकर बस्ती और गोरखपुर मंडल में।

-वहीं अखिलेश दास का भाजपा में जाना उनके खुद के लिये राजनीतिक संजीवनी के तौर पर ही देखा जाएगा।

-बहरहाल ये तो महज बानगी हैं। दल बदल के इस मौसम में अभी नेताओं की महत्वाकांक्षाओं का आकार दलों की लक्ष्मण रेखा को लगातार सिकोड़ेगा यह तो तय है।



\
zafar

zafar

Next Story