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Shivpal Yadav का बीजेपी में आना तय, मिल सकती है ये जिम्मेदारी
Shivpal Yadav: शिवपाल के बारे में कयास लगाए जा रहे हैं कि वह जल्द ही भारतीय जनता पार्टी के साथ आ सकते हैं।
Shivpal Yadav News: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) और सपा विधायक शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) के बीच मनमुटाव काफी गहरा गया है। शिवपाल अपने अगले कदम को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं के साथ लगातार बैठकर कर रहे हैं। शनिवार को भी उन्होंने पार्टी कार्यालय पर बैठक कर राय मशविरा किया, वहीं अखिलेश यादव शिवपाल की नाराजगी के बीच दिल्ली पहुंचे और सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) से मुलाकात कर पूरे मामले की जानकारी दी। शिवपाल के बारे में कयास लगाए जा रहे हैं कि वह जल्द ही भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ आ सकते हैं। बीजेपी उन्हें राज्यसभा भेज सकती है, हालांकि शिवपाल की ओर से अभी तक इस पर कोई बयान सामने नहीं आया है। वह सिर्फ इतना ही कहते हैं कि जल्द कोई फैसला लेंगे।
शिवपाल यादव और बीजेपी नेताओं के बीच नजदीकियां धीरे-धीरे बढ़ती जा रही हैं। अखिलेश यादव से नाराजगी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के बाद शिवपाल ने पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी को ट्विटर पर फॉलो करना शुरू करके एक बड़ा मैसेज दिया है। शिवपाल अभी तक कुल 12 लोगों को ट्विटर पर फॉलो करते थे इनमें राष्ट्रपति के अलावा सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, पीसीएस चेयरमैन, पीएसपी महासचिव आदित्य यादव, कांग्रेस राहुल गांधी शामिल थे। लेकिन अब उन्होंने योगी और मोदी को भी फॉलो करना शुरू कर दिया है। इसके बाद उनकी भाजपा में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई हैं।
अगर शिवपाल यादव भाजपा के साथ जाते हैं तो यह अखिलेश यादव के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है। क्योंकि अखिलेश यादव मिशन 2024 और 2027 के लिए आजमगढ़ से सांसदी छोड़कर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बने हैं। ऐसे में अगर शिवपाल बीजेपी के साथ जाते हैं तो उनके यादव वोट बैंक में बड़ी सेंधमारी बीजेपी कर सकती है। क्योंकि भाजपा सपा के यादव वोट बैंक में पहले से ही सेंधमारी में जुटी हुई है। ऐसे में शिवपाल के साथ आने से उनका पलड़ा मजबूत होगा और अखिलेश यादव इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
यादव वोट बैंक सेंधमारी में जुटी बीजेपी
बीजेपी यादव वोट बैंक में कैसे सेंधमारी में जुटी है, वह विधान परिषद के चुनाव में दिखाई दे रहा है। स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र से एमएलसी चुनाव में परिषद के पूर्व सभापति व सपा नेता रमेश यादव के बेटे आशीष यादव आशु को मैदान में उतारा है। इसके साथ ही सपा विधायक और आजमगढ़ के पूर्व सांसद रमाकांत यादव के बेटे अरुणकांत यादव और भाजपा के प्रदेश मंत्री सुभाष यदुवंश को टिकट दिया है। इसमें आशीष यादव आशु निर्विरोध निर्वाचित हो चुके हैं। जबकि इन दोनों के भी जीतने की प्रबल संभावना है।
दरअसल चाचा-भतीजे के बीच खुलकर मनमुटाव उस वक्त सामने आया जब सपा के टिकट पर विधायक बने शिवपाल यादव को पार्टी की विधानमंडल दल की बैठक में नहीं बुलाया गया। इससे आहत शिवपाल ने उसी दिन मीडिया से बात करते अपना दर्द बयां कर दिया था। इसके बाद वह सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव से मिलने उनके दिल्ली आवास पर पहुंचे और अपनी बात रखी। यहां से लौटकर शिवपाल विधायक की अकेले शपथ लिया और सीएम योगी से मिलने उनके सरकारी आवास 5 कालिदास मार्ग पहुंच गए। जहां दोनों नेताओं के बीच करीब 20 मिनट की मुलाक़ात हुई।
शिवपाल का बीजेपी की तरफ झुकाव
शिवपाल की सपा अध्यक्ष से नाराजगी और बीजेपी की तरफ बढ़ रहे झुकाव को देखकर कहा जा रहा है कि शिवपाल यादव बहुत जल्द भाजपा के साथ आ सकते हैं। अगर शिवपाल भाजपा के साथ आते हैं तो उनके सामने क्या विकल्प हो सकते हैं। शिवपाल यादव अपनी पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का या तो भाजपा में विलय कर सकते हैं। या फिर भारतीय जनता पार्टी उन्हें राज्यसभा भेजकर उनकी जसवंतनगर सीट से बेटे आदित्य यादव यह पढ़ना यादव को मैदान में उतार सकती है। शिवपाल का यूपी में बड़ा कद है। इसलिए 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें मोदी मंत्रिमंडल में भी जगह मिल सकती है।
हालांकि शिवपाल यादव को बीजेपी में शामिल करने का फैसला राष्ट्रीय नेतृत्व ले सकता है। यूपी के नेता अभी इस पर कुछ बोलने से कतरा रहे हैं। कुछ दिन पहले डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने ये जरुर कहा था कि भाजपा में इस वक्त वैकेंसी फुल है, लेकिन सीएम योगी से शिवपाल की मुलाकात और राष्ट्रीय नेतृत्व से मिली मंजूरी के बाद शिवपाल को पार्टी में आने से कोई नहीं रोक सकता। यह बीजेपी के लिए काफी फायदेमंद भी होगा। यूपी विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी ने मुलायम परिवार में बड़ी सेंधमारी करते हुए उनकी छोटी बहू अपर्णा यादव को भाजपा में शामिल करा लिया था और उनसे ताबड़तोड़ प्रचार भी कराया था। ऐसे में अगर शिवपाल यादव की बीजेपी में एंट्री होती है तो यह बीजेपी लाभदायक होगा क्योंकि शिवपाल यादव का भी अपना एक जनाधार है और उनके काफी समर्थक भी हैं यादों में भी उनकी अच्छी खासी पकड़ है इसलिए भाजपा इस मौके को पूरा भुनाने की कोशिश करेगी।