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Uttarakhand Politics: तीरथ की अगुवाई में चुनाव नहीं लड़ना चाहती भाजपा, मंथन में जुटा नेतृत्व

सूत्रों के मुताबिक भाजपा नेतृत्व अगला विधानसभा चुनाव तीरथ सिंह की लीडरशिप में लड़ने का इच्छुक नहीं है। उत्तराखंड में भाजपा के कई नेता भी इसके खिलाफ बताए जा रहे हैं। यही कारण है कि इस मुद्दे पर गहराई से मंथन शुरू कर दिया गया है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Pallavi Srivastava
Published on: 2 July 2021 11:32 AM IST
Uttarakhand Politics: तीरथ की अगुवाई में चुनाव नहीं लड़ना चाहती भाजपा, मंथन में जुटा नेतृत्व
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Uttarakhand Political News: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत दो दिनों से दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। बुधवार को उनका उत्तराखंड में पहले से ही कई कार्यक्रम तय था मगर हाईकमान के अचानक तलब करने पर वे सारे कार्यक्रम रद्द कर दिल्ली पहुंच गए। हाईकमान की ओर से अचानक तलब किए जाने के बाद उत्तराखंड में एक बार फिर मुख्यमंत्री बदलने की चर्चाओं ने तेजी पकड़ ली है। भाजपा से जुड़े सूत्रों के कारण पार्टी हाईकमान तीरथ की अगुवाई में अगला विधानसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहता। यही कारण है कि दिल्ली में शीर्ष स्तर पर गहन मंथन का दौर चल रहा है।

तीरथ सिंह रावत की 10 मार्च को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में ताजपोशी हुई थी। इतने छोटे कार्यकाल के दौरान भी उनके कई बयानों को लेकर विवाद पैदा हुए। उत्तराखंड में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और पार्टी हाईकमान मुख्यमंत्री को लेकर जल्द ही कोई फैसला लेने के मूड में दिख रहा है।

शाह और नड्डा के साथ तीरथ की बैठक

दिल्ली पहुंचने के बाद मुख्यमंत्री रावत की पार्टी के अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात हो चुकी है। भाजपा सूत्रों के मुताबिक यह मुलाकात शाह के घर पर हुई। देर रात हुई इस बैठक के दौरान उत्तराखंड में नेतृत्व और अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मुद्दे पर गहराई से मंथन किया गया। सूत्रों के मुताबिक भाजपा नेतृत्व अगला विधानसभा चुनाव तीरथ सिंह की लीडरशिप में लड़ने का इच्छुक नहीं है। उत्तराखंड में भाजपा के कई नेता भी इसके खिलाफ बताए जा रहे हैं। यही कारण है कि इस मुद्दे पर गहराई से मंथन शुरू कर दिया गया है।

हार का खतरा नहीं मोल लेना चाहता नेतृत्व

भाजपा नेतृत्व राज्य में चुनाव से ठीक पहले नेतृत्व बदले जाने को लेकर भी चिंतित है। बार-बार पार्टी का नेतृत्व बदले जाने से भी पार्टी की छवि पर असर पड़ने की आशंका है मगर इसके साथ ही नेतृत्व उत्तराखंड में हार का खतरा भी नहीं मोल लेना चाहता। भाजपा ने 2012 में भी चुनाव से ठीक पहले उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन किया था। उस समय रमेश पोखरियाल निशंक की जगह बीसी खंडूरी की ताजपोशी की गई थी मगर भाजपा कांग्रेस के हाथों में चुनाव हार गई थी। फिर भी माना जा रहा है कि भाजपा चुनाव से ठीक पहले सीएम का चेहरा बदलकर चुनाव मैदान में उतर सकती है।

विधायक बनने का भी फंसा है पेंच

तीरथ सिंह रावत के साथ एक और पेंच विधानसभा की सदस्यता को लेकर फंसा हुआ है। उन्होंने 10 मार्च को उत्तराखंड की कमान संभाली थी और उन्हें 6 महीने के भीतर यानी 10 सितंबर तक विधानसभा का सदस्य बनना है। मौजूदा समय में रावत पौड़ी गढ़वाल से सांसद हैं। उत्तराखंड भाजपा में चर्चा है कि वे गंगोत्री विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। मौजूदा समय में यह विधानसभा सीट खाली है। आम आदमी पार्टी की ओर से इस सीट से कर्नल अजय कोठियाल को प्रत्याशी बनाने का ऐलान किया गया है।

चुनाव आयोग लेगा अंतिम फैसला

वैसे राज्य में उपचुनाव के संबंध में अभी तक चुनाव आयोग ने अंतिम फैसला नहीं लिया है। माना जा रहा है कि आयोग कोरोना महामारी की स्थितियों को देखते हुए ही अंतिम फैसला करेगा। रावत के पास अभी भी विधानसभा सदस्य बनने के लिए दो महीने का वक्त बचा है।

रावत के गंगोत्री विधानसभा सीट से लड़ने की चर्चाएं भले ही की जा रही हों मगर वे पौड़ी गढ़वाल सीट से चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं। रावत की इस सीट पर मजबूत पकड़ है और वहां के मौजूदा विधायक भी यह सीट उनके लिए खाली करने को तैयार हैं। अब हर किसी की नजर आयोग के फैसले पर टिकी हुई है। विधानसभा का कार्यकाल एक साल से कम समय का बचे होने पर उपचुनाव नहीं भी कराए जा सकते हैं। इस बारे में अंतिम फैसला चुनाव आयोग को ही करना है। सूत्रों के मुताबिक कोरोना महामारी को देखते हुए आयोग उपचुनाव कराने का इच्छुक नहीं है।

तीरथ कुछ भी बोलने को तैयार नहीं

उत्तराखंड के मुद्दे पर अभी तक भाजपा ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। पार्टी में शीर्ष स्तर पर मंथन चल रहा है और राज्य में नेतृत्व परिवर्तन के असर की संभावना पर भी गहराई से चर्चा की जा रही है। उधर तीरथ सिंह रावत नेतृत्व परिवर्तन के मुद्दे पर कुछ भी खुलकर बोलने को तैयार नहीं है।

उनका कहना है कि मैं चिंतन शिविर से नेतृत्व के बुलावे पर दिल्ली पहुंचा हूं और मेरी पार्टी के शीर्ष नेताओं से बातचीत हुई है। हालांकि उन्होंने इस बात का खुलासा नहीं किया कि बातचीत किन मुद्दों को लेकर हुई। उन्होंने कहा कि मेरे उपचुनाव लड़ने के संबंध में भी अंतिम फैसला पार्टी नेतृत्व को ही करना है।



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Pallavi Srivastava

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