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18 मार्च को होगा ऐलान कौन होगा यूपी का सीएम, इन चेहरों को लेकर सरगर्मी मची
यूपी में सीएम कौन होगा? इसका ऐलान अब 18 मार्च को होना है। गुरुवार (16 मार्च) को दिल्ली में हुई पार्लियामेंट्री बोर्ड की मीटिंग में ये तय हुआ है। शनिवार (18 मार्च) को लखनऊ में बीजेपी विधायकों की मीटिंग होगी। मीटिंग में वैंकेया नायडू, भूपेंद्र यादव, केशव प्रसाद मौर्या और ओम माथुर जैसे पार्टी के बड़े नेता शामिल होंगे।
संजय तिवारी
लखनऊ: यूपी में सीएम कौन होगा? इसका ऐलान अब 18 मार्च को होना है। गुरुवार (16 मार्च) को दिल्ली में हुई पार्लियामेंट्री बोर्ड की मीटिंग में ये तय हुआ है। शनिवार (18 मार्च) को लखनऊ में बीजेपी विधायकों की मीटिंग होगी। मीटिंग में वैंकेया नायडू, भूपेंद्र यादव, केशव प्रसाद मौर्या और ओम माथुर जैसे पार्टी के बड़े नेता शामिल होंगे।
इस बीच, अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि यूपी सीएम का फैसला स्टेट यूनिट चीफ केशव प्रसाद मौर्य करेंगे। अमित शाह से मीडिया ने यूपी के अगले सीएम के बारे में लगातार सवाल किए तो शाह ने कहा- सीएम सिलेक्शन की जिम्मेदारी स्टेट बीजेपी चीफ केशव प्रसाद मौर्य की है। इस बारे में जब मौर्य से पूछा तो उन्होंने मुस्कराते हुए कहा- मैं खुद को कैसे चुन सकता हूं। इसके कुछ देर बाद ही केशव की तबीयत बिगड़ गई और उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट कराना पड़ा।
यूपी में सीएम फेस के लिए राजनाथ सिंह का नाम चर्चा
यूपी में सीएम फेस के लिए राजनाथ सिंह का नाम चर्चा में है। हालांकि राजनाथ ने इन अटकलों को फालतू करार दिया था। राजनाथ सिंह के बाद मनोज सिंहा और योगी आदित्यनाथ के नाम भी चर्चा में आए। इनमें से मनोज सिंहा को बहुत लोग फाइनल कैंडिडेट भी मन रहे थे, लेकिन उन्होंने खुद रेस बाहर बता दिया। बीजेपी के प्रभारी संगठनमंत्री रामलाल जी का नाम भी चर्चा पा रहा है। इस बीच एक महिला सांसद ने इस दौड़ में स्मृति ईरानी के नाम की संभावना पर भी इशारा कर इसे और भी दिलचस्प बना दिया है।
हलांकि एक सूत्र का कहना है कि चर्चा में चल रहे नामो से इतर ही कोई चेहरा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में सामने आ सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अब तक की रणनीति तो ऐसी ही रही है। अभी तक की कवायद से मोदी ने उन लोगों के उन आरोपो का जवाब दे दिया है, जो कहा करते थे कि बीजेपी में मुख्यमंत्री के लायक कोई चेहरा ही नहीं है। लगभग डेढ़ दर्शन नाम सामने उछाल कर मोदी ने एक तरफ उन सबकी जबान बंद कर दी है और दूसरी तरफ इनसे भी इतर नया चेहरा देकर एक बार फिर वह चौकाने की भी तैयारी कर चुके हैं। इस पूरे घटनाक्रम के बीच 8 ऐसे चेहरो को दिल्ली बुलाकर उनसे मंथन किया गया है जिनमे उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री का चेहरा तलाशा जा सकता था।
आगे की स्लाइड में पढ़ें यूपी में सीएम फेस के लिए इन नेतों का नाम सबसे ऊपर ...
1- केशव प्रसाद मौर्य
बीजेपी यूपी चीफ केशव को 14 मार्च को दिल्ली बुलाया गया था। सूत्रों की मानें तो उनसे अर्जेंट पहुंचने के लिए कहा गया। अब भी दिल्ली में ही रुके हुए हैं।
क्यों बन सकते हैं सीएम
केशव बीजेपी के यूपी चीफ होने के साथ 2002 से संघ के कार्यकर्ता हैं। क्षेत्रीय और प्रदेश स्तर पर विश्व हिंदू परिषद में कई पदों पर रहे हैं। बीजेपी के टिकट पर कई बार कौशांबी और इलाहाबाद से विधानसभा चुनाव लड़े, लेकिन हार गए। 2014 में इलाहाबाद के फूलपुर से सांसद बने। मौर्य पिछड़ी जाति से आते हैं, जिसकी वजह से ही उन्हें पार्टी का यूपी चीफ बनाया गया था। उनकी अध्यक्षता में यूपी चुनाव जीतने का फायदा उन्हें मिल सकता है। पिछड़े वोटर्स को 2019 में एक बार फिर से कैश कराने के लिए बीजेपी उन पर दांव खेल सकती है।
कहां हो सकती है दिक्कत
-केशव पर कई गंभीर धाराओं में केस दर्ज हैं।
-इनमें हत्या की कोशिश समेत लूट और धमकी देने जैसे मामले भी शामिल हैं।
2-श्रीराम चौहान
श्रीराम चौहान को बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री शिव प्रकाश ने 14 मार्च को लखनऊ पहुंचने को कहा। उन्हें अलग से बुलाकर 15 मार्च को उनसे कई घंटे बातचीत हुई। उन्हें 17 मार्च को फिर बुलाया गया है।
क्यों बन सकते हैं सीएम
वाजपेयी सरकार में श्रीराम चौहान केंद्रीय मंत्री रहे। 2 बार सांसद रहे। वे बीजेपी के अतिपिछड़ा वर्ग से आते हैं। संतकबीरनगर के धनघटा से विधायक चुने गए हैं।बीजेपी को 2019 के लोकसभा चुनावों को जीतने के लिए किसी दलित या अति पिछड़े चेहरे की तलाश है, जो जमीनी स्तर से जुड़ा हो।
कहां हो सकती है दिक्कत
युवाओं की बात करने वाले नरेंद्र मोदी और अमित शाह के सामने दिक्कत श्रीराम चौहान की उम्र को लेकर हो सकती है। वे इस वक्त 62 साल के हैं। इसके अलावा कहा ये भी जा रहा है कि बीजेपी के दूसरे नेताओं को श्रीराम चौहान के नाम पर दिक्कत हो सकती है।
3- स्वतंत्र देव सिंह
स्वतंत्र देव सिंह पिछले 15 साल से प्रदेश बीजेपी में कई पदों पर रहकर काम कर रहे हैं। उनकी संगठन में मजबूत पकड़ मानी जाती है। लक्ष्मीकांत वाजपेयी के बाद स्वतंत्र देव का नाम प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए भी चर्चा में पहले स्थान पर था।
क्यों बन सकते हैं सीएम
बुंदेलखंड से ताल्लुक रखने वाले स्वतंत्र देव भी पिछड़ी जाति से आते हैं, जिससे उनके सीएम होने के संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
कहां हो सकती है दिक्कत
स्वतंत्र देव और बीजेपी के यूपी चीफ केशव प्रसाद मौर्य दोनों पिछड़ी जाति के हैं। माना जा रहा है कि अगर बीजेपी सीएम पद के लिए किसी सवर्ण चेहरे को आगे करेगी तो पार्टी का यूपी चीफ दलित या पिछड़ी जाति का होगा। वहीं, अगर दलित या पिछड़ी जाति का चेहरा सीएम बना तो फिर पार्टी का यूपी चीफ कोई सवर्ण चेहरा हो सकता है। स्वतंत्र देव के लिए भी यही समस्या है। वो सीएम हुए तो केशव मौर्य से प्रदेश अध्यक्ष का पद छिन सकता है, क्योंकि बीजेपी 2019 की तैयारी के साथ मैदान में है।
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4-दिनेश शर्मा
बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और 2014 लोकसभा के दौरान राष्ट्रीय सदस्यता प्रभारी बनाए जाने के साथ ही इस वक्त शर्मा को गुजरात प्रभारी की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई है। वे लखनऊ के दो बार से लगातार मेयर रहे हैं। वर्तमान में भी वह लखनऊ के मेयर हैं। लखनऊ यूनिविर्सिटी से उन्होंने डबल पीएचडी की है। जनता में उनकी इमेज साफ और दो टूक बात कहने वाली है।
क्यों बन सकते हैं सीएम
दिनेश शर्मा की संगठन में जबरदस्त पकड़ होने के साथ उनकी पब्लिक में अच्छी खासी लोकप्रियता है।
उनका नाम इसलिए भी आगे माना जा रहा है, क्योंकि अमित शाह ने उन्हें खुद कॉल करके दिल्ली बुलाया था।
कहां हो सकती है दिक्कत
बीजेपी 2019 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर मायावती को सीधी टक्कर देने के लिए किसी अति पिछड़े, दलित या अति दलित को सीएम बनाने की घोषणा कर सकती है। इस वजह से दिनेश शर्मा के सीएम बनने में दिक्कत आ सकती है। पिछली बार लोकसभा चुनावों में भी बीजेपी को मिली जीत के बावजूद बसपा वोटों के मामले में दूसरे नंबर पर थी। इस बार के भी विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी की जीत के बावजूद मायावती वोटों के मामले में दूसरे नंबर पर ही थीं। बीजेपी का वोट पर्सेंटेज 44 रहा, जबकि बसपा का 22 फीसदी से भी ज्यादा है। इस मामले में सपा तीसरे नंबर पर रही, जिसका वोट पर्सेंटेज 20 रहा।
5-सुरेश खन्ना
बीजेपी के विधायक दल के नेता और 5 बार से विधायक रह चुके सुरेश खन्ना पब्लिक फेस हैं। उनकी क्षेत्र में अच्छी पकड़ होने के साथ संगठन में भी लोगों से अच्छे ताल्लुक हैं। सुरेश खन्ना जाति से खत्री हैं। उनकी पंजाबियों में भी अच्छी पकड़ है। राज्य में भी वे व्यापारी वर्ग और पंजाबी वर्ग पर अच्छी पकड़ रखते हैं। सुरेश खन्ना को 13 मार्च की शाम को मैसेज दिया गया कि अमित शाह उनसे मिलना चाहते हैं, जिसके बाद खन्ना तुरंत दिल्ली के लिए रवाना हो गए।
कहां हो सकती है दिक्कत
सुरेश खन्ना पंजाबी हैं, खत्री हैं। अपरकास्ट होने की वजह से उन्हें दिक्कत आ सकती है, क्योंकि बसपा से लड़ने के लिए बीजेपी दलित या अति पिछड़े चेहरे आगे कर सकती है।
आगे की स्लाइड में पढ़ें कहां हो सकती है सतीश महाना को सीएम बनने में दिक्कत...
6 -सतीश महाना
बीजेपी के 4 बार से लगातार विधायक रहे सतीश महाना इस बार भी विधायक बने हैं। कारोबारियों में महाना की अच्छी पकड़ है। 1999 में बाबू बनारसी दास गुप्ता सीएम बने थे। महाना को भी 14 मार्च को अमित शाह की तरफ से तुरंत आने को कहा गया और कुछ ही देर में वो दिल्ली के लिए रवाना हो गए।
कहां हो सकती है दिक्कत
बीजेपी को कारोबारियों से हमेशा सपोर्ट मिलता रहा है। इस बार भी ऐसा हुआ। लेकिन सीएम फेस के रूप में किसी दलित या पिछड़े को बनाने की मजबूरी में इनके सीएम बनने में दिक्कत आ सकती है।
7- सिद्धार्थनाथ सिंह
सिद्धार्थनाथ सिंह इलाहाबाद की पश्चिमी विधानसभा से विधायक हैं। वे पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के पोते हैं। उन्हें 14 मार्च की शाम को इलाहाबाद से सीधे दिल्ली आने के लिए कहा गया। उनके साथ प्लस प्वाइंट ये है कि वे लाल बहादुर शास्त्री के पोते हैं। वे बीजेपी में पिछले 14 साल से हैं, लेकिन अभी तक किसी भी बड़ी जिम्मेदारी को उन्हें सौंपा नहीं गया है।
कहां हो सकती है दिक्कत
सिंह को अगर सीएमबनाया जाता है तो ये उनके लिए नई जिम्मेदारी और नया एक्सपीरियंस होगा, क्योंकि इसके पहले उन्हें बीजेपी में कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गई है।
8- रमापति शास्त्री
रमापति शास्त्री विधायक हैं। वे बीजेपी के प्रदेश संगठन मंत्री होने के साथ ही पूर्व की बीजेपी सरकार में मंत्री भी रहे हैं। वे दलित वर्ग से हैं और उन्हें बीजेपी के सीएम फेस तौर पर आगे भी माना जा रहा है। बीजेपी के जातिगत फॉर्मूले में उन्हें भी फिट चेहरा माना जा रहा है। उन्हें एक केंद्रीय मंत्री के जरिए दिल्ली बुलवाया गया था।