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आखिर आधी रात के बाद जेल से क्यों रिहा हुए भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर रावण?
सहारनपुर: लगातार किए जा रहे धरना प्रदर्शन और आंदोलनों के बाद आखिरकार प्रदेश सरकार ने भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण को देर रात सहारनपुर जेल से रिहा कर दिया गया। हालांकि, देर रात तक जिला प्रशासन यह दावा करता रहा कि अभी रिहाई के आदेश प्राप्त नहीं हुए हैं और शुक्रवार की दोपहर तक ही रावण को जेल से रिहा किया जाएगा। मगर रात ढाई बजे जैसे ही जेल के बाहर जैसे ही भीडभाड कम हुई रावण को जेल से रिहाई कर दी गई।
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गुरुवार की रात करीब आठ बजे लखनउ में योगी सरकार की ओर से एक विज्ञप्ति जारी की गई थी, जिसमें कहा गया कहा गया था कि चंद्रशेखर रावण की माता कमलेश द्वारा दिए गए प्रत्यावेदन और वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण को जेल से रिहा किया जा रहा है।
हालांकि उन पर लगाई गई रासुका की अवधि समाप्त होने में अभी वक्त है। रासुका की अवधि एक नवंबर 2018 को समाप्त होनी थी। बीती रात करीब आठ बजे सहारनपुर जिलाधिकारी आलोक पांडे ने भी कहा था कि सरकार की ओर से आदेश जारी हो गए हैं, लेकिन अभी तक जिला प्रशासन को आदेश प्राप्त नहीं हुए हैं और शुक्रवार को ही रावण की रिहाई हो सकेगी।
रावण की रिहाई की जानकारी मिलने के बाद जिला जेल के बाहर हजारों समर्थक उमड़ गए थे। अंदाजा लगाया जा रहा था कि शुक्रवार की सुबह ही रावण की रिहाई होगी। क्योंकि शांति व्यवस्था और सुरक्षा व्यवस्थाओं को भी ध्यान में रखा जाना था। लेकिन आधी रात के बाद जब जेल के बाहर भीड़ कम हुई तो रावण को रात करीब ढाई बजे जेल से रिहा कर दिया गया।
माना जा रहा है कि यह कदम इसलिए उठाया गया, क्योंकि शुक्रवार की दोपहर दिन में रिहाई होने से सड़कों पर हजारों समर्थक उमड़ सकते हैं और इससे व्यवस्था भी चरमरा सकती है। प्रशासन को भी यह डर सता रहा था कि यदि दिन में रिहाई की जाती है तो भीड़ में शामिल उपद्रवी शांति व्यवथ्सा को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए ही आधी रात के बाद जब यह पूरी तरह से स्पष्ट हो किया कि आधी रात में ही रावण को रिहा किए जाने से शांति व्यवस्था को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा तो रावण को बिना देर लगाए ढाई बजे जेल से बाहर निकाल दिया गया।
बताया जाता है कि उस वक्त उनके समर्थकों की संख्या भी कम हो गई थी और केवल खास खास पदाधिकारी और समर्थक ही जेल के बाहर मौजूद थे। उधर, जेल से बाहर निकलने के बाद रावण ने फिर दोहराया कि उनकी लड़ाई किसी वर्ग विशेष से नहीं है, बल्कि अत्याचार और अन्याय के खिलाफ है, जो आगे भी जारी रहेगी। उधर, भीम आर्मी के जिलाध्यक्ष कमल वालिया ने भी कहा कि चंद्रशेखर के जेल से बाहर आने से दलित आंदोलन को तेजी और बल मिलेगा।