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क्या AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के छोटे भाई अकबरुद्दीन को मिलेगी चुनौती?
तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में चंद्रायानगुट्टा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र ऐसा है जहां ७० फीसदी से ज्यादा आबादी मुस्लिम है। पुराने शहर के इस इलाके में आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहदुल मुलसमीन प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के छोटे भाई अकबरुद्दीन का दबदबा रहा है।
हैदराबाद: तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में चंद्रायानगुट्टा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र ऐसा है जहां ७० फीसदी से ज्यादा आबादी मुस्लिम है। पुराने शहर के इस इलाके में आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहदुल मुलसमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के छोटे भाई अकबरुद्दीन का दबदबा रहा है। देखना ये है कि क्या इस चुनाव में कांग्रेस और भाजपा कोई करिश्मा दिखा पाएंगी?
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इस निर्वाचन क्षेत्र से इस बार कांग्रेस ने पूर्व मिस्टर यूनीवर्स फाइनलिस्ट ईसा बिन ओबैद मिस्री को अपना प्रत्याशी बनाया है। ईसा बिन ओबैद मिस्री यमनी मूल के हैं। असल में १९वीं सदी में हैदराबाद के निजाम यमन के लोगों को हैदराबाद लाए थे। इनमें से ज्यादातर लोग पुराने शहर के चंद्रायानगुट्टा और बरकस इलाके में बस गए।
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यमीन लोगों के वंशजों को स्थानीय भाषा में ‘चौश’ कहा जाता है। आमतौर पर ये लोग बॉडीबिल्डर और पहलवान होते हैं। कांग्रेस इस इलाके में ‘मजलिस से मुक्ति’ का नारा दे रही है।
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दूसरी ओर भाजपा ने इस सीट से सैयद शाहजादी को उतारा है। राजनीति शास्त्र में एमए, शाहजादी विद्यार्थी परिषद की सक्रिय नेता रही हैं। वे उत्तरी तेलंगाना के आदिलाबाद जिले की हैं। शाहजादी का कहना है कि पुराने शहर के बाशिंदों के जीवन को सुधारने के लिए कोई काम नहीं किया गया है। वे क्षेत्र में केंद्रीय स्कीमों को लागू करने का वादा करती हैं।
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तेलंगाना राज्य का पहला चुनाव २०१४ में हुआ था जिसमें अकबरुद्दीन को ६० फीसदी वोट मिले थे। आज भी वो बाकी पार्टियों के लिए बड़ी चुनौती हैं। इसकी वजह भी है। वो ये कि पुराने शहर के मुसलमान बाशिंदों में ‘मजलिस’ के प्रति बेहद मजबूत लगाव है। ‘मजलिस’ की खिलाफत तो ईशनिंदा से कम नहीं मानी जाती। पुराने जमाने से निजाम के वफादारों में निचली जाति के हिंदू भी रहे हैं। इस वर्ग के लोग भी ‘मजलिस’ को ही वोट देते हैं।
पुराने शहर के लोगों का कहना है कि किसी समस्या या मुसीबत के वक्त ओवैसी बंधु हमेशा साथ खड़े होते हैं। ‘वे हमारी हर बात ध्यान से सुनते हैं। और हमें बचाने के लिए कहीं भी पहुंच जाते हैं।’ लोगों का कहना है कि इस चुनाव में एमआईएम - टीआरएस गठजोड़ सफल होगा।
सन १९९४ में जब विद्रोही एमआईएम प्रत्याशी अमानुल्ला खान ने अपनी खुद की पार्टी ‘एमबीटी’ लांच की थी और चंद्रायानगुट्टा सीट जीती थी। लेकिन १९९९ से अकबरुद्दीन ओवैसी ने जब भी इस सीट से चुनाव लड़ा वो हमेशा भारी मतों से जीतते ही रहे हैं।
अकबरुद्दीन ओवैसी अपने भाषणों के जरिए हमेशा चर्चा में रहते हैं और इनके वीडियो भी खूब वायरल होते हैं। अकबरुद्दीन ने एक जनसभा में कहा कि चीफ मिनिस्टर उनके सामने झुकते रहे हैं। उनकी पार्टी जिसे चाहे कुर्सी पर बैठा सकते हैं और जिसे चाहे उतार सकती है। इसकी मिसाल 11 दिसंबर को देखने को मिल जाएगी। इतना ही नहीं, अकबरुद्दीन ने रोजगार के मामले पर मुख्यमंत्री केसीआर पर निशाना साधा और कहा कि जब मुख्यमंत्री बनाओगे तो बता दूंगा कि कितना रोजगार दे सकता हूं।