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क्या प्रियंका गांधी नहीं जायेंगी राज्यसभा? कांग्रेस में लगा उम्मीदवारों का तांता
लोकसभा में तो कांग्रेस के पास सिर्फ गिनी-चुनी सीटें हैं। अब ऐसे में सभी की नज़रें राज्यसभा के ज़रिए कैसे भी करके संसद तक पहुंचना है।
नई दिल्ली: लोकसभा में तो कांग्रेस के पास सिर्फ गिनी-चुनी सीटें हैं। कांग्रेस के जितने भी दिग्गज थे वो सारे ही लोकसभा चुनाव में शिकस्त खाए बैठे हैं। अब ऐसे में सभी की नज़रें राज्यसभा के ज़रिए कैसे भी करके संसद तक पहुंचना है। जिससे कम से कम उनकी कुछ साख तो बची रहे। लेकिन अब कांग्रेस के पास राज्यसभा में भी उतनी सीटें नहीं हैं कि वो अपने सभी दिग्गजों को संसद तक पहुंचा पाए।
ऐसे में अब कांग्रेस के लिए राज्यसभा उम्मीदवारों का चुनाव करना एक बड़ा सिर दर्द बन गया है। दावेदारों की बड़ी संख्या के चलते कांग्रेस हाईकमान के लिए राज्यसभा चुनाव के उम्मीदवारों का फैसला करना बड़ी चुनौती बन गया है। रिटायर हो रहे सदस्यों के अलावा लोकसभा चुनाव में शिकस्त खाने वाले पार्टी के कई नए-पुराने दिग्गज अब राज्यसभा में पहुंचने के लिए जोर लगा रहे हैं।
प्रियंका नहीं जाएंगी
कांग्रेस को राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनाव में दर्जन भर सीटें मिलेंगी। मगर एक अनार सौ बीमार की तर्ज पर इनके लिए कम से कम पार्टी के तीन दर्जन नेता जोर लगा रहे हैं। ऐसे में अब कांग्रेस नेताओं की इस दावेदारी के बीच एक संकेत हाईकमान की ओर से लगभग साफ है कि प्रियंका गांधी वाड्रा राज्यसभा में नहीं जाएंगी।
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पुरानी और युवा पीढ़ी के नेताओं के बीच राज्यसभा सीट के लिए जारी जोर आजमाइश में हाईकमान दोनों खेमों के बीच संतुलन बनाते हुए उम्मीदवारी तय करेगा। इन संकेतों से स्पष्ट है कि पुराने नेताओं के साथ कांग्रेस के कुछ नए तेज-तर्रार चेहरों को भी राज्यसभा में लाया जाएगा।
ऐसे में पार्टी चाहती है कि कुछ मुखर व बड़े चेहरे संसद तक पहुंचें। पार्टी सूत्रों ने कहा कि कुछ मुखर, वाकपटु और दमदार चेहरों को उच्च सदन में लाना कांग्रेस की सियासी जरूरत है। खासकर लोकसभा में विपक्षी चुनौती कमजोर होने के मद्देनजर पार्टी राज्यसभा में सरकार की घेरेबंदी को ढीला नहीं पड़ने देना चाहती।
दिग्विजय और खड़गे का पहुंचना लगभग तय
इसलिए, वरिष्ठ नेताओं में जहां दिग्विजय सिंह को दूसरी पारी मिलने के प्रबल आसार हैं। वहीं कांग्रेस के मुखर वक्ताओं में प्रमुख व लोकसभा चुनाव में शिकस्त खाने वाले मल्लिकार्जुन खड़गे और सुशील कुमार शिंदे जैसे दिग्गज भी अपनी आखिरी पारी राज्यसभा में खेलने के लिए जोर लगा रहे हैं।
कांग्रेस के युवा चेहरों में जहां मिलिंद देवड़ा और राजीव सातव महाराष्ट्र की एक सीट के लिए दावेदारी जता रहे हैं। वहीं शिवसेना और एनसीपी के साथ तालमेल बिठाकर खड़गे दूसरी संभावना वाली सीट पर निगाह डाल रहे हैं। जबकि शिंदे भी इस दूसरी सीट के लिए प्रयासरत बताए जाते हैं।
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वहीं मध्यप्रदेश की दो सीट में से एक पर दिग्विजय सिंह की दावेदारी पक्की मानी जा रही है, जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया को दूसरी सीट का दावेदार माना जा रहा है। मुख्यमंत्री कमलनाथ और वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के साथ चल रही सियासी खींचतान सिंधिया के लिए चुनौती जरूर है।
सुरजेवाला को मिल सकता है मौका
छत्तीसगढ़ की दो सीटों के लिए तो कई दावेदार हैं, जिनमें अधिकांश बाहरी हैं। इनमें पार्टी के मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला के साथ आंध्र प्रदेश से रिटायर हो रहे सदस्य सुब्बीरामी रेड्डी और केवीपी रामचंद्र राव सरीखे नाम शामिल हैं।
सुरजेवाला की राहुल गांधी से निकटता है तो रेड्डी और राव के कांग्रेस के अंदर अपने सियासी समीकरण और उपयोगिता है। हालांकि इन दोनों में से गुंजाइश केवल एक के लिए ही है।
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गुजरात की दो सीटों के लिए पार्टी नेता भरत सोलंकी, बिहार व दिल्ली के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल, सूबे के वरिष्ठ नेता सागर रायका और कांग्रेस महासचिव दीपक बाबरिया जोर आजमाइश कर रहे हैं।
कुमारी सैलजा की जगह पक्की, तो जितिन व राजीव शुक्ला भी कतार में
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बिहार और झारखंड की एक-एक सीटों के लिए जितिन प्रसाद, आरपीएन सिंह, राजीव शुक्ला सहित कई अन्य नेता अपनी संभावनाओं का रास्ता बनाने की कसरत कर रहे हैं।
हरियाणा में कांग्रेस को एक सीट मिलेगी और लगभग तय माना जा रहा कि प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा को हाईकमान दुबारा मौका देगा। वामदलों के बीच आपसी सहमति बनी तो कांग्रेस बंगाल की एक सीट माकपा महासचिव सीताराम येचुरी के लिए छोड़ सकती है।
तमिलनाडु की एक सीट के उम्मीदवार का फैसला हाईकमान अपनी पसंद और द्रमुक प्रमुख स्टालिन से चर्चा के बाद तय करेगा।