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Kotkapura Firing: क्या था कोटकपूरा फायरिंग? जिसमें फंस गए पंजाब के दो दिग्गज नेता
Kotkapura Firing: बहबल कलां फायरिंग स्थल पर 16 दिसंबर 2021 से बरगाड़ी इंसाफ मोर्चा का धरना अभी भी जारी है।
Kotkapura Firing: पंजाब के कोटकपूरा गोलीकांड की जांच कर रही एसआईटी ने प्रकाश सिंह बादल, सुखबीर बादल और तत्कालीन टॉप पुलिसकर्मियों को दोषी पाया है। ये गोलीकांड दरअसल 'बेअदबी' की घटनाओं के बाद हुआ था। ये मसला अब भी पंजाब में बहुत गरमाया हुआ है। जानते हैं कि कब क्या हुआ।
चोरी के बाद घटी घटना
1 जून, 2015 को फरीदकोट जिले के कोटकपुरा विधानसभा क्षेत्र के गुरुद्वारा बुर्ज जवाहर सिंह वाला से गुरु ग्रंथ साहिब चोरी हो गया था, जिसके बाद बहुत विरोध हुआ था। लेकिन ये मामला हल नहीं हो सका बल्कि 24 और 25 सितंबर को कोटकपूरा के बरगारी गांव में घरों की दीवारों पर गुरु ग्रंथ साहिब और कुछ सिख धार्मिक नेताओं के बारे में अपमानजनक टिप्पणी वाले पोस्टर चिपका दिए गए।
पोस्टर चिपकाए गए
बरगारी गांव के गुरुद्वारे के सामने दीवार पर भी पोस्टर चिपकाए गए थे। इसके बाद 12 अक्टूबर, 2015 को एक और घटना हुई, जब गुरु ग्रंथ साहिब के फटे पन्ने बरगारी गांव की गलियों में पाए गए, जिसके बाद कोटकपूरा चौक पर एक धरना शुरू किया गया था, जिसमें तत्कालीन शिअद-भाजपा सरकार से अपराधियों पर कार्रवाई की मांग की गई।
लाठीचार्ज और फायरिंग
प्रदर्शनकारियों ने अक्टूबर के पहले सप्ताह में कोटकपुरा में तत्कालीन डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल से भी मुलाकात की थी। 14 अक्टूबर, 2015 को कोटकपूरा चौक से प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए फायरिंग और लाठीचार्ज किया गया, जिसमें कुछ लोग घायल हो गए। इसके बाद उसी दिन प्रदर्शनकारियों के एक और समूह को तितर-बितर करने के लिए बेहबल कलां गांव में गोलीबारी की गई जिसमें दो व्यक्ति कृष्ण भगवान सिंह और गुरजीत सिंह मारे गए। इन घटनाओं के बाद कुछ दिनों के लिए पंजाब में व्यापक विरोध शुरू हो गया था और राज्य के अधिकांश राजमार्गों पर प्रदर्शनकारियों द्वारा यातायात रोक दिया गया था।
एसआईटी का गठन
इसके तुरंत बाद, शिरोमणि अकाली दल भाजपा सरकार ने तत्कालीन एडीजीपी सहोता के नेतृत्व में एक एसआईटी का गठन किया, जिसने इन घटनाओं को कुछ विदेशी तत्वों की करतूत बताया था। 30 नवंबर, 2015 को कोटकपूरा फायरिंग मामले की जांच के लिए आईजी रणबीर सिंह खटरा की अध्यक्षता में एक और एसआईटी का गठन किया गया था, जबकि सीबीआई को बरगारी और बुर्ज जवाहर सिंह वाला में बेअदबी के मामले सौंपे गए।
सीबीआई जांच वापस, नई एसआईटी
कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने सितंबर 2018 में पंजाब विधानसभा में फैसला लेने के बाद सीबीआई से यह जांच वापस ले ली थी। मई 2018 में तत्कालीन एडीजीपी प्रबोध कुमार के नेतृत्व में एक और एसआईटी का गठन कांग्रेस सरकार ने किया था जिसमें आईजी कुंवर विजय प्रताप एसआईटी सदस्यों में से एक थे। प्रताप की एसआईटी रिपोर्ट में उल्लेख किया गया था कि बेअदबी की घटनाएं सुखबीर बादल, सुमेध सैनी और डेरा सच्चा सौदा प्रमुख की करतूत थीं। हालाँकि, उनकी रिपोर्ट को उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया था, जिसके बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा एक नई एसआईटी का गठन किया गया। यादव के नेतृत्व वाली एसआईटी ने जांच के दौरान सुखबीर बादल और प्रकाश सिंह बादल से भी पूछताछ की थी।
धरना जारी
गौरतलब है कि बहबल कलां फायरिंग स्थल पर 16 दिसंबर 2021 से बरगाड़ी इंसाफ मोर्चा का धरना अभी भी जारी है।