Punjab political News: पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के कांग्रेस छोड़ने के एलान से पार्टी में खलबली मची हुई है। कैप्टन के करीबी विधायकों पर नजर रखने का काम भी शुरू कर दिया गया है । क्योंकि कैप्टन चन्नी सरकार के लिए भी बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकते हैं। राज्य के कांग्रेस नेताओं का भी मानना है कि यदि कैप्टन ने दो दर्जन विधायकों को तोड़ने में कामयाबी हासिल कर ली तो चन्नी सरकार के लिए बड़ा खतरा पैदा हो जाएगा। दिल्ली से चंडीगढ़ लौटने पर कैप्टन के कांग्रेस छोड़ने का एलान करने के बाद कई विधायकों के सियासी भविष्य को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ चर्चा की है। राज्य कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने इस ओर इशारा करते हुए कहा कि कैप्टन के एलान के बाद विधायकों में चिंता जरूर दिख रही है। कैप्टन समर्थक विधायकों की ओर से पहले ही फ्लोर टेस्ट कराने की मांग की जा चुकी है। हांलाकि कैप्टन ने इस बात मीडिया से बातचीत में कहा कि फ्लोर टेस्ट के बारे में फैसला लेने का अधिकार स्पीकर के पास है। वे ही इस बाबत अंतिम फैसला कर सकते हैं।
भाजपा में नहीं शामिल होंगे कैप्टन
दिल्ली से चंडीगढ़ लौटने पर कैप्टन ने साफ कर दिया है कि अब वे कांग्रेस छोड़ने के लिए पूरी तरह तैयार हैं । मगर इसके साथ ही उन्होंने यह भी साफ किया है कि वे भाजपा में शामिल नहीं होंगे। कैप्टन ने यह बताने से भी इनकार कर दिया कि उनके कांग्रेस छोड़ने की स्थिति में कितने विधायक पार्टी से इस्तीफा देंगे। उनका कहना था कि वक्त आने पर सब कुछ पता चल जाएगा। हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा कि विधायकों के पार्टी छोड़ने के बाद फ्लोर टेस्ट का फैसला स्पीकर ही करेंगे। कांग्रेस को डूबता हुआ जहाज बताते हुए कैप्टन ने कहा की पार्टी में अब वरिष्ठ नेताओं तक की कोई सुनवाई नहीं की जा रही है। उन्होंने कहा कि वे पंजाब के हितों के लिए काम करना जारी रखेंगे। इस इस संबंध में वे सभी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने एक बार फिर अपने अपमान का मुद्दा उठाते हुए कहा कि मुझे इस तरह का अपमान सहने की आदत नहीं है। कैप्टन ने कहा कि जीवन में मेरे कुछ सिद्धांत है। उन सिद्धांतों पर चलकर अब मैं आगे कांग्रेस में नहीं रह सकता। मेरे लिए राज्य की सुरक्षा सबसे बड़ा मुद्दा है । मैं आगे भी इसके लिए काम करता रहूंगा।
सिब्बल के घर प्रदर्शन पर तीखी प्रतिक्रिया
कैप्टन ने पार्टी में वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी किए जाने पर तीखी प्रतिक्रिया जताई और इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि युवा पीढ़ी को आगे बढ़ाया जाना जरूरी है ।मगर इस पीढ़ी को भी वरिष्ठ नेताओं के अनुभवों के आधार पर आगे का कार्यक्रम तय करना चाहिए। उन्होंने दिल्ली में कपिल सिब्बल के घर पर कांग्रेसियों के प्रदर्शन की निंदा करते हुए कहा यह पार्टी के भविष्य के लिए अच्छा संकेत नहीं है। उनके साथ इस तरह का खराब व्यवहार केवल इसलिए किया गया , क्योंकि वे नेतृत्व को पसंद नहीं थे । उन्होंने पार्टी में कुछ सवाल उठाए थे। कैप्टन ने कहा कि यदि पंजाब में प्रशासन को दुरुस्त नहीं रखा गया तो पाकिस्तान को मुसीबतें पैदा करने का बड़ा मौका मिल जाएगा। मेरे लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है।इसी सिलसिले में मैंने दिल्ली में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से बातचीत की ।
सिद्धू पर फिर बोला बड़ा हमला
पूर्व मुख्यमंत्री ने नवजोत सिंह सिद्धू पर एक बार फिर बड़ा हमला बोलते हुए कहा कि यह व्यक्ति पंजाब के लिए ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि सिद्धू चुनाव में जिस सीट से भी चुनाव लड़ेंगे, वहां उनकी पराजय सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश की जाएगी। उनके रहते कांग्रेस का कभी भला नहीं होने वाला। क्योंकि वे एक अस्थिर आदमी हैं। वे कब क्या कदम उठाएंगे, कोई नहीं जानता। उनके आने से कांग्रेस को लगातार नुकसान हो रहा है मगर पार्टी हाईकमान मूकदर्शक बना हुआ है। कैप्टन ने कहा कि मेरा कांग्रेस से इसलिए मोहभंग हो गया है क्योंकि यहां पर वरिष्ठ नेताओं को अपनी बात रखने का कोई हक ही नहीं रह गया है। ऐसी पार्टी में रहकर मैं भविष्य में खुद को अपमानित महसूस नहीं कर सकता। इसीलिए मैंने अपने सारे विकल्प खुले रखे हैं । अब आगे की राजनीति तय करने के लिए चर्चा की जा रही है।
सीएम के पास तैनाती का अधिकार
सिद्धू के इस्तीफे के संबंध में पूछे जाने पर कैप्टन ने कहा कि मैंने अपने कार्यकाल के दौरान अध्यक्ष को किसी भी प्रकार हस्तक्षेप नहीं करने दिया था। किसी भी सरकार के कार्यकाल में अफसरों की नियुक्ति और तैनाती का हक मुख्यमंत्री के पास ही रहता है, प्रदेश अध्यक्ष के पास नहीं। पंजाब में पैदा हुए नए विवाद का जिक्र करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि दरअसल सिद्धू सुपर सीएम के तौर पर काम करना चाहते हैं। कोई भी मुख्यमंत्री से बर्दाश्त नहीं कर सकता। सियासी जानकारों का मानना है कि कैप्टन के रुख से साफ हो गया है कि वे जल्द ही पार्टी को बड़ा झटका देने की कोशिश में जुटे हुए हैं। हाल के दिनों में उनके बयानों से साफ हो गया है कि अब उन्हें कांग्रेस में अपना कोई सियासी भविष्य नहीं दिख रहा है । इसके साथ ही वे उन स्थितियों को लेकर भी काफी नाखुश बताए जा रहे हैं जिनके चलते उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।