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Gurmeet Ram Rahim: अपराधी बाबा राम रहीम के सामने भाजपाई नतमस्तक, फिर सामने आया डेरा का सियासी रसूख
Gurmeet Ram Rahim: 18 अक्टूबर को उसने पश्चिमी यूपी के बागपत जिले में एक ऑनलाइन सत्संग का आयोजन किया।
Gurmeet Ram Rahim: डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम उर्फ बाबा राम रहीम इन दिनों फिर से सुर्खियों में हैं। यौन शोषण और हत्या जैसे गंभीर मामलों में उम्रकैद की सजा काट रहे बाबा राम रहीम इस साल तीसरी बार जेल से बाहर आया है। उसे 40 दिन की पैरोल मिली है। जेल से बाहर आते ही वह अपने गतिविधियों में जुट गया है। 18 अक्टूबर को उसने पश्चिमी यूपी के बागपत जिले में एक ऑनलाइन सत्संग का आयोजन किया।
इस सत्संग में बड़ी संख्या में डेरा प्रेमी वर्चुअल माध्यम से जुड़े। सबसे दिलचस्प बात ये है कि इस सत्संग में हरियाणा बीजेपी के बड़े नेताओं ने भी हाजिरी लगाई। जिसके बाद डेरा प्रमुख की पैरोल को हरियाणा की चुनावी राजनीति से जोर कर देखा जाने लगा है। हालांकि, राम रहीम को अपने पैरोल के 40 दिन बागपत में ही गुजराने होंगे। अदालत ने उन्हें हरियाणा के सिरसा स्थित डेरा मुख्यालय जाने की इजाजत नहीं दी है।
राम रहीम के पैरोल का सियासी कनेक्शन
हरियाणा में अगले महीने की शुरूआत में पंचायत चुनावों के साथ – साथ आदमपुर विधानसभा उपचुनाव होने हैं। इन चुनावों में सत्ताधारी बीजेपी की प्रतिष्ठा दांव पर है। किसान आंदोलन के कारण जाट समुदाय में पार्टी के प्रति नाराजगी कायम है। ऐसे में बीजेपी डेरा सच्चा सौदा के सहारे इस कठिन परीक्षा को पास करना चाहती है। यही वजह है कि बीजेपी के मेयर से लेकर विधायक तक बाबा राम रहीम के सामने नतमस्तक हो रहे हैं। हरियाणा विधानसभा के डिप्टी स्पीकर और नलवा से बीजेपी विधायक रणबीर गंगवा ने भी ऑनलाइन सत्संग कार्यक्रम में हाजिरी लगाई और बाबा के फिजिकल दर्शन की इच्छा रखी।
करनाल की मेयर और भाजपा नेता रेणु बाला गुप्ता ने तो उम्रकैद की सजा काट रहे गुरमीत राम रहीम को अपना पिता तक बता दिया। करनाल के बाद हिसार की मेयर गौतम सरदाना की पत्नी ने भी बाबा से आर्शीवाद लिया। इसी तरह तमाम सरपंच और ग्राम पंचायत सदस्यों में राम रहीम का समर्थन पाने की होड़ लगी है। जघन्य अपराध के दोषी बाबा राम रहीम के सत्संग में भाजपा नेताओं के जमावड़े ने पैरोल मिलने की वजह साफ कर दी है।
बाबा ने भी कर दिया समर्थन का ऐलान
पैरोल पर बाहर निकले बाबा राम रहीम ने भी बीजेपी को निराश न करते हुए इशारों में समर्थन का ऐलान कर दिया। पिछले दिनों उन्होंने एक वीडियो संदेश जारी किया था, जिसमें कहा कि कोई मनमर्जी न करे, जैसा जिम्मेदार कहें, वैसा करें। उनकी यह बात पंचायत चुनावों से ही जोड़ी गई। बाबा को इससे पहले फरवरी में 21 दिनों के लिए फरलो मिली थी। तब पंजाब विधानसभा चुनाव का समय था और डेरा ने बीजेपी को समर्थन दिया था। इसके बाद फिर जून में 30 दिनों के लिए पैरोल मिली थी।
डेरा की क्या है सियासी ताकत
हरियाणा और पंजाब में डेरा सच्चा सौदा एक प्रमुख सियासी ताकत है। सत्ता पक्ष के साथ – साथ विपक्ष भी डेरा की नाराजगी मोल लेने से बचता रहता है। भाजपा नेताओं के राम रहीम के सामने नतमस्तक होने पर हरियाणा कांग्रेस के दिग्गज नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा की बेहद सधी हुई प्रतिक्रिया इसका उदाहरण है। दरअसल, इन राज्यों में चुनावों का मौसम आते ही डेरा सच्चा सौदा की राजनीतिक शाखा एक्टिव हो जाती है। हालांकि, गुरमीत राम रहीम हमेशा से राजनीति गतिविधियों में शामिल होने से इनकार करते रहे हैं, लेकिन सच्चाई इसकी ठीक उलट है।
कहते हैं देश-विदेश में बाबा के 5 करोड़ से अधिक शिष्य हैं। यदि डेरा किसी राजनीतिक पार्टी को समर्थन देने के लिए कह देता है तो अनुयायी उसी को वोट देते हैं। पंजाब की 56 और हरियाणा की 20 से अधिक विधानसभा सीटों पर डेरा का प्रभाव है। इसलिए कहा जाता है कि उनके एक फरमान पर सरकार बन जाती है। डेरा ने साल 2004 और 2009 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में खुलेआम कांग्रेस का समर्थन किया था और पार्टी सरकार बनाने में कामयाब रही। इसी तरह 2014 और 2019 में बीजेपी डेरा के समर्थन के बदौलत हरियाणा में कमल खिलाने में कामयाब रही।
जब डेरा का समर्थन काम न आया
ऐसा नहीं है कि डेरा सच्चा सौदा के समर्थन से हमेशा राजनीतिक पार्टियां जीती हैं। साल 2007 में पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को समर्थन देने के बावजूद पार्टी सत्ता में नहीं आ सकी थी। हालांकि, इस चुनाव में कांग्रेस ने अकाली दल को उसके कई मजबूत गढ़ों में शिकस्त दी थी, जो डेरा के समर्थन के कारण ही संभव हो सका। इसी तरह साल 2017 के विधानसभा चुनाव में डेरा ने अकाली – भाजपा गठबंधन को समर्थन दिया था, जो चुनाव में बुरी तरह हारी। हालिया संपन्न विधानसभा चुनाव में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला।
बता दें कि डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम साल 2017 से रोहतक के सुनारिया जेल में यौन शौषण और हत्या के दो मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे हैं। हालांकि, जेल जाने के बावजूद उनके सियासी वजन में कोई कमी नहीं आई है। बीजेपी अगले लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव को देखते हुए डेरा प्रमुख और उनके अनुयायियों को खुश करने में जुटी हुई है। बार – बार बाबा को फरलो और पैरोल मिलना इसी कवायद का हिस्सा है।