TRENDING TAGS :
पंजाब कांग्रेस में बड़ा सियासी उलटफेर, धुर विरोधी बाजवा से कैप्टन का मिलन, सिद्धू को लगा झटका
पंजाब की सियासत में कैप्टन के धुर विरोधी माने जाने वाले राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा और कैप्टन के बीच की कटुता अब दूर होती दिख रही है।
नई दिल्ली: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को लेकर पंजाब कांग्रेस में चल रहे झगड़े में एक बड़ा सियासी उलटफेर हुआ है। पंजाब की सियासत में कैप्टन के धुर विरोधी माने जाने वाले राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा और कैप्टन के बीच की कटुता अब दूर होती दिख रही है। बाजवा ने काफी दिनों से कैप्टन के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था और पिछले दिनों सुलह कमेटी के सामने भी उन्होंने कैप्टन की कमियां गिनाई थीं मगर अब उनके रुख में बदलाव होता दिख रहा है।
सियासी हलकों में चर्चा है कि गत दिवस कैप्टन और बाजवा के बीच गुप्त बैठक भी हुई है। इस बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने अपने गिले-शिकवे दूर करने की कोशिश की। खबर है कि कैप्टन और बाजवा ने पंजाब की मौजूदा सियासी स्थिति और भविष्य की योजनाओं पर भी लंबी मंत्रणा की है। कैप्टन और बाजवा के बीच शुरू हुई इस नई सियासी दोस्ती से कैप्टन से नाराज नवजोत सिंह सिद्धू को करारा झटका लगा है।
दोनों नेता सिद्धू को बड़ा पद देने के खिलाफ
पंजाब कांग्रेस का झगड़ा सुलझाने के लिए पिछले दिनों सुलह कमेटी ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, असंतुष्ट नेता नवजोत सिंह सिद्धू समेत मंत्रियों, सांसदों और विधायकों के साथ लंबी चर्चा की थी। पार्टी हाईकमान की ओर से बनाई गई इस सुलह समिति में मलिकार्जुन खड़गे, हरीश रावत और जयप्रकाश अग्रवाल को सदस्य बनाया गया था।
सुलह समिति की ओर से हाईकमान को रिपोर्ट सौंपी जा चुकी है और अब हाईकमान के फैसले का इंतजार किया जा रहा। इस बीच कांग्रेस सूत्रों से मिली खबर के अनुसार हाईकमान असंतुष्ट नेता नवजोत सिंह सिद्धू के प्रति सॉफ्ट रुख अपनाने का पक्षधर है। इसे लेकर कांग्रेस के कई नेता नाराज बताए जा रहे हैं।
सियासी जानकारों का कहना है कि सिद्धू के प्रति हाईकमान के साफ्ट कॉर्नर को देखते हुए ही अब कैप्टन और बाजवा एक मंच पर आ गए हैं क्योंकि दोनों सिद्धू का बढ़ता हुआ सियासी कद देखने को तैयार नहीं है।
कैप्टन की पत्नी ने निभाई बड़ी भूमिका
सियासी जानकारों के मुताबिक कैप्टन और बाजवा की सियासी कटुता दूर करने में मुख्यमंत्री की पत्नी व पटियाला से सांसद चुनी गई परनीत कौर ने बड़ी भूमिका निभाई है। कांग्रेस के एक और सांसद जसबीर सिंह डिंपा ने भी दोनों नेताओं को करीब लाने में काफी मेहनत की है।
सूत्रों के मुताबिक कैप्टन और भाजपा के बीच शुरू हुई इस नई सियासी दोस्ती का असर पंजाब की सियासत पर पड़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
बाजवा के आवास पर हुई मुलाकात
कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री और बाजवा के बीच मुलाकात बाजवा के आवास पर हुई। इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए मुख्यमंत्री निजी गाड़ी से बाजवा के घर पहुंचे थे। हालांकि बाजवा की ओर से अभी भी ऐसी किसी मुलाकात का खंडन किया जा रहा है। उनका कहना है कि वे हमेशा मुख्यमंत्री के गलत फैसले के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं।
बाजवा के इनकार करने के बावजूद कांग्रेस से जुड़े सूत्र दोनों नेताओं की मुलाकात की पुष्टि कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि बाजवा जानबूझ कर अभी मुलाकात की पुष्टि नहीं कर रहे हैं और सही वक्त का इंतजार कर रहा हैं।
प्रदेश अध्यक्ष बनना चाहते हैं सिद्धू
दूसरी ओर सुलह कमेटी की रिपोर्ट पर अभी तक हाईकमान के फैसले का खुलासा नहीं हुआ है मगर सूत्रों का कहना है कि हाईकमान नवजोत सिंह सिद्धू को भी बड़ी जिम्मेदारी देना चाहता है। हालांकि सिद्धू ने कैप्टन के साथ सरकार में काम करने से इनकार कर दिया है।
जानकारों का कहना है कि सिद्धू हाईकमान पर प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने का दबाव डाल रहे हैं। दूसरी ओर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह किसी भी सूरत में प्रदेश अध्यक्ष के रूप में सिद्धू को स्वीकार करने को तैयार नहीं है। पंजाब कांग्रेस के झगड़े में यही पेच फंसा हुआ है जिसके कारण अभी तक हाईकमान भी किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच सका है।
बाजवा भी कर रहे सिद्धू का विरोध
सिद्धू को पंजाब में बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जाने की चर्चाओं के कारण ही कैप्टन और बाजवा दोनों ने बातचीत की है। बाजवा पहले से कैप्टन का विरोध तो करते रहे हैं मगर वे सिद्धू को भी बड़ा सियासी पद देने के पक्षधर नहीं रहे हैं।
पिछले दिनों एक टीवी चैनल को दिए गए साक्षात्कार में भी बाजवा ने इशारों में सिद्धू पर हमला बोला था। उनका कहना था कि कांग्रेस में अच्छे नेताओं की कमी नहीं है जो अनुभवी होने के साथ भरोसेमंद भी हैं और पंजाब में ऐसे नेताओं को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
सियासी जानकारों के मुताबिक कैप्टन और बाजवा के बीच हुई यह नई सियासी दोस्ती पंजाब कांग्रेस में बड़ा गुल खिला सकती है। माना जा रहा है कि इस सियासी दोस्ती से कैप्टन को और मजबूती मिली है तो दूसरी ओर पार्टी के वरिष्ठ नेता नवजोत सिंह सिद्धू को करारा झटका लगा है।