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पंजाब कांग्रेस में सुलह की नई कोशिशें, रावत कैप्टन और सिद्धू से करेंगे चर्चा, बागी मंत्रियों से भी होगी बातचीत

Punjab Congress Me Kalah : सिद्धू खेमे की ओर से पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत के फैसलों पर भी सवाल उठाए जाने लगे हैं। सिद्धू खेमे ने रावत से सवाल किया है कि आखिर पंजाब में कैप्टन की अगुवाई में कांग्रेस के चुनाव लड़ने का फैसला कब कर लिया गया।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Shivani
Published on: 31 Aug 2021 11:07 AM IST
Punjab Congress Me Kalah
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अमरिंदर, हरिश रावत, सिद्धू (Photo Design)

Punjab Congress Me Kalah : पंजाब कांग्रेस में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) के खेमों के बीच खाई इतनी ज्यादा चौड़ी हो चुकी है कि पार्टी हाईकमान उसे पाटने में नाकाम साबित हो रहा है। हालांकि हाईकमान की ओर से दोनों खेमों के बीच सुलह की नई कोशिशें शुरू की जा रही हैं। दोनों खेमों के बीच मतभेद खत्म कराने के लिए पंजाब कांग्रेस (Punjab Congress) के प्रभारी हरीश रावत (Harish Rawat) मंगलवार को चंडीगढ़ पहुंचेंगे। वे मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के अलावा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू से भी मुलाकात करेंगे। जानकारों के मुताबिक वे दोनों नेताओं के बीच बैठक कराकर दोनों खेमों के बीच सुलह कराने की कोशिश करेंगे। वे कैप्टन के बागी मंत्रियों और विधायकों से भी मुलाकात करेंगे।

इस बीच सिद्धू खेमे की ओर से पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत के फैसलों पर भी सवाल उठाए जाने लगे हैं। सिद्धू खेमे ने रावत से सवाल किया है कि आखिर पंजाब में कैप्टन की अगुवाई में कांग्रेस के चुनाव लड़ने का फैसला कब कर लिया गया। अगर रावत ने यह फैसला अपने स्तर पर कर लिया है तो वे यह फैसला करने वाले कौन होते हैं।

सिद्धू खेमे की ओर से सवाल उठाए जाने के बाद रावत ने इसका जवाब भी दिया है। उनका कहना है कि मुझे पता है कि मुझे किस समय क्या बोलना है। उन्होंने पंजाब कांग्रेस के नेताओं को धैर्य बनाए रखने और मीडिया से कम बात करने की नसीहत भी दी है। उन्होंने कहा कि मीडिया से कम बात करने पर ही पंजाब में कांग्रेस के चुनाव जीतने की संभावनाएं मजबूत होंगी।

रावत के बयान पर सिद्धू खेमे का सवाल

दरअसल, मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद करने वाले सिद्धू खेमे के नेताओं ने पिछले दिनों देहरादून जाकर पंजाब प्रभारी हरीश रावत से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के दौरान रावत ने पंजाब में नेतृत्व परिवर्तन की मांग को खारिज करते हुए कहा था कि 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पंजाब में कैप्टन की अगुवाई में चुनाव मैदान में उतरेगी। उन्होंने कैप्टन के काम की तारीफ करते हुए कहा था कि कैप्टन ही अगले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का चेहरा होंगे।


उस समय तो सिद्धू खेमे से जुड़े नेताओं ने रावत की बात सुन ली थी मगर अब सिद्धू खेमे की ओर से रावत पर पलटवार किया गया है। सिद्धू खेमे का कहना है कि जब पार्टी ने फैसला किया था कि पंजाब में सोनिया और राहुल की अगुवाई में चुनाव लड़ा जाएगा तो फिर कैप्टन की अगुवाई की बात कहां से पैदा हो गई।

सिद्धू के करीबी ने साधा निशाना

सिद्धू खेमे से जुड़े प्रमुख विधायक परगट सिंह का कहना है कि हरीश रावत को यह स्पष्ट करना चाहिए कि आखिर पार्टी ने कैप्टन की अगुवाई में चुनाव लड़ने का फैसला कब ले लिया। उन्होंने इस मामले में हरीश रावत पर निशाना साधते हुए कहा कि वे इस बात का फैसला करने वाले कौन होते हैं कि पार्टी कैप्टन की अगुवाई में ही चुनाव में उतरेगी। उन्होंने सवाल किया कि आखिर रावत को यह अधिकार किसने दे दिया कि वह पंजाब में पार्टी की अगुवाई के संबंध में फैसला करें। उन्होंने कहा कि खड़गे कमेटी की ओर से फैसला लिया गया था कि चुनाव संबंधी कोई भी घोषणा करने का अधिकार सिर्फ पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास रहेगा तो ऐसे में रावत अपने स्तर पर फैसला लेने वाले कौन होते हैं।

पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की ओर से ईंट से ईंट बजा देने के बयान का जिक्र करते हुए परगट सिंह ने कहा कि संभवत: सिद्धू ने इस बयान के जरिए हरीश रावत पर ही निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि सिद्धू ने सोनिया गांधी या पार्टी नेतृत्व पर कोई निशाना नहीं साधा था।

रावत ने दी संयम बरतने की नसीहत

सिद्धू खेमे की ओर से सवाल उठाए जाने के बाद हरीश रावत ने नरम अंदाज में जवाब देते हुए पार्टी के सभी नेताओं से संयम बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने कहा कि मुझे यह बताने की जरूरत नहीं है कि मुझे कब क्या बोलना चाहिए। इस मामले में मुझे किसी की भी सलाह की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि पंजाब के पार्टी नेताओं को हर छोटी-बड़ी बात को लेकर मीडिया में बयान नहीं देना चाहिए।


पंजाब के नेताओं को यह बात समझ लेनी चाहिए कि वे मीडिया से जितनी ज्यादा दूरी बनाकर चलेंगे, उतना पंजाब में कांग्रेस के जीतने की संभावनाएं मजबूत होंगी। उन्होंने परगट को संयम भरे अंदाज में जवाब देते हुए कहा कि पंजाब में कांग्रेस के पास कैप्टन अमरिंदर सिंह, नवजोत सिंह सिद्धू और परगट सिंह जैसे चेहरे हैं। चुनाव में सभी नेताओं का उपयोग करके पार्टी अपनी ताकत दिखाने में जरूर कामयाब होगी।

सिद्धू खेमे से मुलाकात के तत्काल बाद रावत दिल्ली पहुंच गए। उन्होंने पंजाब संकट को लेकर पार्टी हाईकमान से चर्चा भी की है। माना जा रहा है कि पार्टी नेतृत्व की ओर से रावत को चुनाव के मद्देनजर नरम अंदाज में अपनी बात करने की सलाह दी गई है। साथ ही रावत ने पंजाब प्रभारी के दायित्व से मुक्त किए जाने की गुजारिश भी की है। हालांकि पार्टी नेतृत्व की ओर से अभी रावत को पद पर बने रहने के लिए कहा गया है। अब रावत को दोनों खेमों के बीच सुलह कराने के लिए चंडीगढ़ भेजा जा रहा है। अब हर किसी की नजर रावत के चंडीगढ़ दौरे पर टिकी हुई है।

दोनों खेमों में बढ़ सकती है खींचतान

सियासी जानकारों का मानना है कि पंजाब में चल रही खींचतान से साफ है कि आने वाले दिनों में कैप्टन और सिद्धू खेमा के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर और तेज हो जाएगा। रावत की ओर से पंजाब में नेतृत्व परिवर्तन की मांग ठुकराए जाने के बाद सिद्धू खेमे की ओर से कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने की बात कही गई है।


जानकारों का कहना है कि अभी तक सोनिया गांधी की ओर से पंजाब के किसी भी नेता को मिलने के लिए समय नहीं दिया गया है। हालांकि सिद्धू खेमा लगातार इसके लिए प्रयास कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक दोनों खेमों में चल रही खींचतान के कारण आने वाले दिनों में कांग्रेस का संकट और बढ़ सकता है। विधानसभा चुनाव पर भी इस खींचतान का असर पड़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।



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Shivani

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